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टोंक। भले ही आज कई क्षेत्र पिछड़े जिलों में शुमार किए जाते हो, लेकिन उनका ऐतिहासिक प्राचीन वैभव को देखे, तो हैरानी होती है। प्राचीन रहस्यों का जिला टोंक, पुस्तक एक ऐसी ही पुस्तक है, जो भावी पीढी को सोचने को मजबूर करेगी। जिस टोंक जिले को आज पिछ़ड़ा जिला कहा जाता है। वहां दो हजार साल पहले एक समृद्धि शहर बसता था। जिसको पुरातत्वविद कार्लाइल ने करीब 150 साल पहले उजागर किया। कई प्राचीन सिक्कों के साथ ही यहां से कई अवशेष मिले, जो इसबात को साबित करते हैं कि यहां पर 10 वीं शताब्दी तक एक समृद्ध सभ्यता वजूद में थी। एम.असलम द्वारा लिखी पुस्तक प्राचीन रहस्यों का जिला टोंक, में इसके बारे में रोशनी डाली गई हे। वहीं पूरे जिले में मिले प्राचीन अवशेषों के बारे में बताया गया है। यहां पर खेड़ा सभ्यता, रेढ सभ्यता के साथ ही कई प्राचीन क्षेत्र मौजूद है। पौराणिक मान्यताओं के हिसाब से इस क्षेत्र को श्रीकृष्ण से जोड़कर भी देखा जाता है।
हाथी भाटा क्षेत्र, जिसको पौराणिक गाथाओं के हिसाब से पांडवों से जोड़कर देखा जाता है। इस पुस्तक में जहां जिले के प्राचीन रहस्यों के बारे में जानकारियां है, वहीं टोंक जिले की कैलीग्राफी, नमदा एवं लोक गायन कला चारबैत पर भी काफी रोशनी डाली गई है। मेरठ की बैगम समरू पर लिखे दुर्लभ काव्यात्म पुस्तक का जिक्र है, तो उत्तर प्रदेश, खैराबाद के रहने वाले फिल्म गीतकार जावेद अख्तर के बुजुर्गों की अहमियत भी बयां की गई है। तीन खंडों में 144 पेज की इस पुस्तक में दुनिया के नामवर रोमांसवादी शायर अख़्तर शीरानी के जीवन को भी प्रतिपादित किया है। साथ ही वो नाकाम क्यो हुए इसबात पर विशेष फोकस किया गया है। इस किताब को पढकर जहां शोध के नए आयाम की ओर ध्यान इंगित होता है। वहीं इस पुस्तक को देखकर नवाबों की नगरी टोंक के प्राचीन वैभव के बारे में भी पता चलता है। इस प्रकार की पुस्तक किसी जिले ही नहीं बल्कि देश के शोधार्थियों के लिए भी एक नया संदेश देती नजर आती है।
राजस्थान के पिछड़े जिलों में शुमार किए जाने वाले टोंक का इतिहास काफी प्राचीन है। आज भले ही इसे पिछड़ा जिला माना जाता हो, लेकिन यहां का अतीत काफी बुलंद रहा। यहां पर प्राचीन टाटा नगर था, वहीं विश्व की सम्पन्न खेड़ा सभ्यता के निशानात भी मौजूद है। टोंक शहर एवं जिले की कला साहित्य एवं ऐतिहासिक महत्व के कारण देश ही नहीं दुनिया तक में पहचान है। जिसको इसमें बताने की भी कोशिश की गई है। यहां के प्राचीन धार्मिक स्थल जहां अपनी गाथा स्वयं बयां करते दिखाई देते हैं, वहीं यहां पर एकता भाईचारे की भी सैंकड़ों मिसाले मौजूद हैं। पौराणिक गाथाओं की माने तो यहां का इतिहास पाषण युग से जुड़ा नजर आता है। बहरहाल कहने का तात्पर्य ये हैं कि यहां पर देश के पर्यटन के विकास के लिए सभी संभावनाएं मौजूद है।
लेखक एम.असलम का कहना है कि भावी पीढी को यहां के इतिहास एवं यहां की कलाओं आदि से अवगत कराए जाने की जरुरत समझते हुए ये पुस्तक लिखने की चेष्ठा की गई। जिसमें कई विद्वानों द्वारा लिखी पुस्तकों को आत्मसात करते हुए भावी पीढी को टोंक की प्राचीनता से अवगत कराने का प्रयास किया गया। साथ ही यहां की कला एवं यहां के महत्व आदि पर रोशनी डालने का प्रयास भी किया गया है।
टोंक जिले में खेड़ा सभ्यता एवं रैढ सभ्यता स्थल है, जहां मिले अवशेष आदि के आधार पर इसकी खुदाई कर वहां दबे रहस्यों से पर्दा हटाया जा सके। ये पुस्तक प्राचीन वैभव रखने वाले टोंक के महत्व को उजागर करने के साथ ही आगे इस क्षेत्र में कुछ करने का संदेश दे ऐसा भी प्रयास रहा है। जिसकी आज आवश्यकता भी अनुभव की जा रही है। देश में कई शोध कार्य हो रहे हैं, इसमें टोंक की सभ्यताओं, कलाओं एवं यहां के प्राचीन एवं वर्तमान महत्व को प्रतिपादित करते हुए शोध को भी बढावा दिए जाने की जरुरत है। इस जरुरत को भावी पीढी ही पूरा कर सकती है। वहीं जनप्रतिनिधियों को भी टोंक के महत्व से अवगत कराते हुए इसके विकास की सोच पैदा करने की आवश्यकता अनुभव की जा रही है। पुस्तक का नाम : प्राचीन रहस्यों का जिला टोंक, लेखक : एम. असलम टोंक, राज., प्रकाशन : सनातन प्रकाशन, जयपुर, राजस्थान