दीपावली विशेष-2024
www.daylife.page
फिर से मन के दीप जलाओ
विश्ववासों के शब्द जगाओ
छोटे-छोटे अंधियारों में
खुशियों के संसार सजाओ।
जीवन के सूने आंगन में
स्मृतियों की जोत जलाओ
बहुत समय हलचल में बीता
अब कुछ देर सहज हो जाओ।
बीता समय नहीं आता है
सपनों के सुरताल बजाओ
सुबह शाम के सन्नाटों में
आशा का उन्माद जगाओ।
सब कुछ भीतर छिपा हुआ है
मत बांधों कुछ बाहर आओ
सांसों के इस शीशमहल में
हंसो-हंसाओ झूमो गाओ।
फिर से मन के दीप जलाओ
रचना के संसार सजाओ
दुख के सपनों को बिसराओ
सुख का समय बधाई गाओ।
लेखक : वेदव्यास
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार व पत्रकार हैं