पत्रकारों की रुचियां : रामजी लाल जांगिड

लेखक : रामजी लाल जांगिड 

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं विभिन्न मामलों के ज्ञाता

www.daylife.page

1968 में हिन्दुस्तान टाइम्स लिमिटेड के जनरल मैनेजर थे- श्री गिरिजा नंदन साही।यह बिहार के भूमिहार थे। इसलिए उन्होंने प्रशासन के महत्वपूर्ण पदों पर केवल बिहार के भूमिहारों को बिठा रखा था। वह दूसरी मंजिल में रहते थे। पहली मंजिल में पांच सम्पाद‌कीय विभाग थे- दो दैनिकों और तीन पत्रिकाओं के। अंग्रेजी दैनिक- हिन्दुस्तान टाइम्स, हिन्दी दैनिक  हिन्दुस्तान, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, कादम्बिनी मासिक, बच्चों के लिए मासिक 'नंदन'। सबसे नीचे छापा खाना था। लेखा विभाग, प्रशासन विभाग, प्रसार विभाग, विज्ञापन विभाग और कैंटीन पहली मंजिल में थे। रात की पाली के पत्रकारों के लिए छ पैसे का नमकीन चने की दाल का कूपन और आठ पैसे का एक कप गर्म दूध का कपून मिलता था। रात की पाली रात 7 बजे से शुरू होती थी। लगभग 11 बजे तक सम्पादन का काम खत्म हो जाता था। चीफ सब एडिटर पेज बनवाने के लिए नीचे चला जाता था। बाकी लोग टेलीप्रिंटर पर महत्वपूर्ण खबर न छूट जाए। इस पर नज़र रखते थे। लगभग रात 1 बजे कारें अलग अलग दिशाओं में पत्रकारों को घर छोड़ने के लिए निकलती थीं। घर का दरवाजा खुलने तक कार खड़ी रहती थी, जिससे कोई हादसा न हो सके। 

रात 11 बजे से 1 बजे तक हिन्दी के पत्रकार गप्प मारते थे और अंग्रेजी के पत्रकार कोई न कोई नई किताब पढ़‌ते थे। मैं रात की ड्यूटी में कई बार साप्ताहिक हिन्दुस्तान की आवरण कथा लिखता था या अंग्रेजी सम्पादकीय विभाग में जाकर अपने मित्र ओम प्रकाश भगत के साथ नई पुस्तकों के बारे में चर्चा करता था। 

भगत जी शाम को 6 बजे कनाट प्लेस आ जाते थे और रोज किताबों की दुकानों का दौरा करते थे। कनाट प्लेस के सारे पुस्तक विक्रेता उन्हें जानते थे। वह हिन्दुस्तान टाइम्स के रविवारीय परिशिष्ट में पुस्तक समीक्षा भी करते थे। अंग्रेजी संपादकीय विभाग में प्रूफ रीडर श्री मदन लाल हिन्द समाजवादी नेता श्री राजनारायण के साथ रहता था। उससे भी समाजवादी नेता श्री किशन पटनायक द्वारा सम्पादित 'सामयिक वार्ता'  की प्रतियां मिल जाती थीं। दिन में मैं साप्ताहिक हिन्दुस्तान और कादम्बिनी के पत्रकारों के साथ साहित्यिक चर्चा करता था। प्रेस कर्मचारियों के नेता और अंग्रेजी पत्रकार के एल कपूर से भी मेरी दोस्ती थी। म(लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)