पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी ने कहा मेले हमारी संस्कृति की पहचान

धार्मिक जयकारों से गुंजा परिवेश, तेजाजी के रंग में रंगा आवां कस्बा

अरशद शाहीन 

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टोंक। आँवा कस्बे में एक पखवाड़े से धर्म की सरिता बह रही है। ग्राम के प्रमुख मंदिरों से गुजरती लोक देवता तेजाजी के ध्वज की इन शोभायात्राओं में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। वही पूर्व मंत्री व भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ प्रभु लाल सैनी ने तेजाजी व उनके ध्वज की पूजा अर्चना कर शोभायात्रा को नगर भ्रमण को आगे बढ़ाया, सैनी ने कार्यक्रम में सभी गायक कलाकारों का माला पहनाकर उनका अभिनन्दन कर कहा कि आज के समय में धर्म, आस्था व विश्वास ही जो धर्म व भारतीय संस्कृति को बचाये हुवे है, सैनी ने अपने उदबोधन मे ये कहते हुवे  ग्रामीणों को भी चेताया कि संस्कृति अब धीरे धीरे खत्म होती जा रही है, अगर इस संस्कृति को जीवित रखना है तो ये धार्मिक कार्यक्रमो में नव युवकों को भी जोड़ते रहे जिससे ये अलगोजा गायन व वादन शैली जीवित रह सके इस राजस्थानी संस्कृति से नव युवकों को जोड़ने व ऐसे कार्यक्रम भी करते रहे और इस गायन व वादन शैली से परिपूर्ण करे ताकि ये शैली जीवित रह सके, आज भी लोक देवताओं के भजन किये जाते है, अब जरूरत है तो राजस्थानी संस्कृति को बढ़ावा देना। 

इस प्रयास में राजस्थान सरकार अपना जल्द विजन लेकर आएगी और जो कुछ कमियां पहले छूट गई थी वो अब जल्द ही पूर्ण भी कर ली जाएगी। राजस्थान की प्रसिद्ध गायन शैली में अपना एक प्रमुख स्थान भी रखती है।तेजादशमी को इनकी पूर्णाहुति के साथ ही आवां सहित बारहपुरों में श्रद्धालु पूरी तरह से तेजाजी के रंग में रंग गए।

इस दौरान कचोलाई के तथा अखनियाँ दरवाजे के तेजाजी के मेलों में जन सैलाब उमड़ पड़ा तथा लोग वीर तेजा की भक्ति में डूब गए।इसके लिए विगत 20 दिनों सेतेजाजी की समिति के तत्वाधान में तेजा गीतों की मधुर स्वरलहरियों ने परिवेश को पावन व धार्मिक बना दिया।ध्वज की शोभायात्राओं में 36 कौमों के सहयोग से जोत व ध्वज को ग्राम के प्रमुख मंदिर परिसर में प्रतिस्थापित कर प्रतिदिन शोभायात्रा निकाली गई थी। जिसमें सैकड़ो लोगों की उपस्थिति में अलगोजों की सुरीली धुन,ढोलक की थाप व मंजीरों की तान पर तेजा गीतों की शानदार प्रस्तुति दी गई। 

जिनमें श्रद्धालु देर रात तक नाचते झूमते रहे।इन दिनों भक्तों ने ध्वज व ज्योत की पूजा करते हुए सभी लोक परम्पराएं निभाई।मेरा मानना है कि मेले व पर्व हमारी संस्कृति को संजीवनी प्रदान करते हैं।तेजाजी हमारी आस्था व श्रद्धा के प्रतीक हैं।तेजाजी गीतों में विभिन्न लोक वाद्य यन्त्रों से निकली दिलकश ध्वनि वातावरण को पवित्र व पावन करने के साथ सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।वातावरण में मौजूद हानिकारक, जहरीले व नकारात्मक विषाणुओं और तत्वों का शमन कर शुद्धता व पोषण प्रदान करती है।लोगों की मान्यता है कि धार्मिक मेले, पर्व व त्योंहार हमारी लोक संस्कृति के वाहक हैं, जो धार्मिक मान्यताओं के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर भी खरे उतरते हैं।

 भाईचारे, सद्भाव, एकता, समरसता व सामाजिक सौहार्द स्थापित करने वाले इन उत्सवों के संरक्षण व संवर्धन के लिए नव पीढ़ी को दृढ़ संकल्पित होकर आगे आने की जरूरत है।

उपस्थित जन समुदाय ने इस प्रकार के आयोजनों को राज्य पर्यटन विभाग में शामिल करने की मांग उठाते हुए इनके प्रोत्साहन की अभिलाषा जताई है।