सरकार दुग्ध के फैट की एमएसपी निर्धारित करे : मनीष यादव

पशुपालकों के हित में....

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जयपुर। विधायक मनीष यादव ने आज विधानसभा कार्यसंचालन एंव प्रकिया के नियम 50 (स्थगन प्रस्ताव) के माध्यम से विधानसभा में पशुपालकों का मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना का बकाया 250 करोड रूपयें का अनुदान दिलानें का मुद्दा उठाया विधानसभा में।

विधायक यादव ने कहां कि कि प्रदेश की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में पशुपालन व्यवसाय का विशेष महत्व है। प्रदेश वासियों के लिये पशुपालन न केवल जीविकोपार्जन का आधार है, बल्कि यह उनके लिये रोजगार और सामान्य आय प्राप्ति का सुदृढ़ तथा सहज स्रोत भी है। बढती महंगाई एंव संरचनात्मक समस्याओं के कारण पशुधन का आशानुकूल विकास नहीं हो पा रहा है। प्रदेश में कृषि उत्पादन पूर्णतः वर्षा पर निर्भर रह गया है तथा वर्षा की अपर्याप्ता के कारण यहाँ हर तीन-चार साल बाद पूर्ण या आंशिक अकाल की छाया बनी रहती है। मंहगाई की इस मार में पशुपालकों द्वारा पशुओं के लिए चारा कय करना भी दुस्वार हो जाता है, तथा अधिकांश पशु अकाल की चपेट में आ जाते हैं, और पशुपालक कठिनाई में पड़ जाते हैं। पशुओं के चारे तथा खल काकडें का भाव आज आसमान छू रहा हैं।

प्रदेश में पशुपालकों को आर्थिक संबल प्रदान करने के उद्देश्य से तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा बजट वर्ष 2013-2014 में शुरू हुई मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना के तहत सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों में दूध की सप्लाई करनें वाले पशुपालकों को 2 रूपयें प्रति लीटर की दर से अनुदान दिया जाता था, परन्तु पशुपालक विरोधी बीजेपी सरकार ने 2014 में सत्ता में आते ही इसें बंद कर दिया गया था।

परन्तु कांग्रेस सरकार द्वारा इसे पुनः 1 फरवरी 2019 को शुरू किया गया तथा बजट वर्ष 2022-2023 के तहत प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढावा देने तथा पशुपालकों को आर्थिक संबल प्रदान करने हेतु अनुदान राशि को 2 रूपयें से बढाकर 5 रूपयें प्रति लीटर कर दिया गया था।

विधायक ने कहां कि इस योजना के तहत प्रदेश के लगभग 5 लाख पशुपालकों का विगत लगभग 7 माह से अनुमानित 250 करोड रूपयें का अनुदान बकाया चल रहा है, जिससें प्रदेश के पशुपालकों का आर्थिक संबल भी टूटा है, तथा दुग्ध उत्पादन भी घटा है।उन्होंने कहा कि सरकार पशुपालकों के लंबित अनुदान का भुगतान शीघ्र करवाकर पशुपालकों राहत प्रदान करावें।