जयपुर। भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी, डाँग क्षेत्र के मसीहा, जनसंचार माध्यमों के क्रान्तिवीर, सौजन्यता-विनम्रता की प्रतिमूर्ति, आदिवासी, पिछड़े, दलितों एवं वंचितों के प्राणाधार रहे डॉ.सत्यनारायण सिंह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित, ’’सत्यनिर्मल’’ ग्रंथ का लोकार्पण रविवार 21 जुलाई को सांय राजस्थान इंटरनेषनल सेंटर, जयपुर में आयोजित कार्यक्रम में भारत सरकार के सचिव वी. श्रीनिवास आई.ए.एस. द्वारा किया। ’’सत्यनिर्मल’’ ग्रंथ का सम्पादन वरिष्ठ साहित्कार एवं शब्द संसार के अध्यक्ष श्रीकृष्ण शर्मा ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व कुलपति प्रो. बी.एम.शर्मा ने की तथा विषिष्ठ अतिथि ओंकार सिंह लखावत, अध्यक्ष, राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण थे।
ग्रंथ में जस्टिस पानाचन्द जैन, जस्टिस एन.के.जैन, जस्टिस एन.एल. टिबरेवाल, जस्टिस महेश चन्द शर्मा, जस्टिस विनोद शंकर दवे, जस्टिस सुरेन्द्र नाथ भार्गव, जस्टिस आर.के. आकोदिया, ने डॉ.सत्यनारायण सिंह पर विद्वतापूर्वक लेख लिखे हैं ।
ग्रंथ में सर्व राजेन्द्र गहलोत, डॉ. सी.पी.जोशी. डॉ. बी.डी.कल्ला, शांति धारीवाल, राजीव अरोड़ा, ललित के. पँवार, डॉ. धर्मसिंह सागर, पी.एन. भण्डारी, आई.सी. श्रीवास्तव, मुन्नालाल गोयल, अरविन्द मायाराम तथा ज्ञानप्रकाश पिलानियां आदि ने डॉ. सत्यनारायण सिंह के सामाजिक सरोकारों पर प्रखर आलेख लिखे हैं।
252 पृष्ठों के ग्रंथ में 104 विद्वानों के आलेख हैं। वी.श्रीनिवास ने ग्रंथ को लोकार्पित करते हुए कहा कि डॉ.सत्यनारायण ने गुडगवर्नेंस के लिए जो कार्य किए वह सन् 2047 तक स्वतंत्र भारत की शताब्दी के लिए मार्ग दर्शन का कार्य करेंगे। यदि लोकतंत्र का जिला स्तर पर विकेन्द्रीकरण हो तो जन आकाक्षाओं की पूर्ति संभव है।
प्रो. बी.एम. शर्मा ने कहा कि डॉ. सत्यनारायण सिंह के नेतृत्व में गुडगवर्नेंस का खूब काम हुआ पर अब तो शायद ही किसी को याद हो कि श्री सिंह ने राजस्थान में बहुत पहले ही गुडगवर्नेंस का बीडा उठाया था। अब जरूरत है कि निरन्तर गुड गवर्नेंस के अवरोधक तत्वों को समय समय पर हटाते चले जाएं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ पुनीता सिंह ने किया। इस अवसर पर ग्रंथ सम्पादक श्रीकृष्ण शर्मा को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन श्रीमती निर्मला सिंह, डॉ. रिपुंजय सिंह तथा डा. परिक्षित सिंह ने किया।