संसद की गरिमा बनी रहे

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संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहां जाता है पक्ष व विपक्ष लोकतंत्र की गाड़ी के दो पहियों के समान है संसद की  प्रति मिनट की कार्रवाई पर लाखों रुपए खर्च होते है जो जनता की मेहनत की कमाई है संसद शोर शराबा व हंगामा करने का स्थान नहीं है। संसद इसलिए है की पक्ष व विपक्ष व्यर्थ की बहस करने की बजाय देश की ज्वलंत समस्याओं पर गंभीरता से विचार विमर्श करें व मिलजुलकर उन समस्याओं का निराकरण करें। विपक्ष होने का मतलब यह तो नहीं की हर विषय पर हंगामा खड़ा किया जाए संसद में धर्म के नाम पर राजनीति नहीं की जाए। तभी सही मायने में देश व जनता को राहत मिलेगी।

लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़।