जन्म दिवस शुभ तेरा गुड़िया : हरीश शर्मा

 कविता

लेखक : हरीश शर्मा

कवि, पत्रकार, संस्थापक, अध्यक्ष, बेटा पढ़ाओ-संस्कार सिखाओ अभियान, लक्ष्मणगढ़ - (सीकर)

www.daylife.page

प्रिय परी, 

समय कब, कैसे निकल गया,

पता ही कहां चला।

नन्ही परी की मुस्कुराहट ने,

दिखाई ऐसी कला।

समय कैसे, कब निकल गया,

पता ही नहीं चला।।

नई खुशियां, नई उम्मीदें,

फिर से वापस आ गईं।

सूना था एक आंगन, आज 

किलकारी छा गयी।। 

एक ललक, एक उमंग,

जीने की नई चाहत है।

तेरी मधुर मुस्कान, देती 

मुझे गमों से राहत है।।

तेरे मुख से निकले,

अस्पष्ट से स्वर, चन्द शब्द।

उजाला दिखाते हैं, मन 

गुदगुदाते हैं, करते हैं स्तब्ध।।

अंधेरे को चीरते, उजाले की 

किरण से, उदासी मिटाते हैं।

ये नन्ही सी जान, जहान है,

सच में बच्चे जीना सिखाते हैं।

जन्म दिवस शुभ तेरा गुड़िया,

कैसे निकल गया ये साल।

स्वस्थ रहो तुम, मस्त रहो,

कभी झुके ना मेरा भाल।।