भगवान का नाम लिया जाए तो बेकार नहीं जाता

अरशद शाहीन 

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पीपलू/टोंक। कस्बे के तेजाजी चौक सामुदायिक भवन परिसर में आयोजित संगीत मय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन की कथा मे कथा वाचक पंडित आचार्य प्रदीप कृष्ण शास्त्री ने ध्रुव की कथा विस्तार पूर्वक सुनाया

की ध्रुव की दो माताए थी उसके पिता छोटी मां व छोटे भाई से अधिक प्रेम करते थे। ध्रुव एवं ध्रुव की मां की ओर ध्यान नहीं देते थे। ध्रुव अपने पिता की गोद मे बैठना चाहता था। एक दिन ध्रुव पिता के पास पहुंच कर गोंद मे बैठने लगा तो छोटी मां ने उसको भगा दिया बालक ध्रुव अपनी मां को रोते हुए पिता की गोद मे बैठने की जींद करने लगा मां ने कहा बैठना है। 

तो भगवान की गोद में बैठ यह सुनकर बालक ध्रुव जंगल में भगवान की खोज में निकल गया। और कही वषों तक भगवान की तपस्या की तपस्या पर भगवान राजी हुए ओर बालक ध्रुव को गोंद मे बिठाया और उसका नाम अमर करतें है। उत्तर दिशा में हमेशा चमकने वाले तारे के रुप में अमर कर दिया। कहा की भगवान का नाम गलती से भी लिया जाए तो मनुष्यों को उसका फल जरूर मिलता है। इस लिए कभी भी लिए गए भगवान का नाम बेहरत नहीं जाता है। इस अवसर पर महावीर कुमावत ,शंकर सिंह, दुर्गा लाल सेन, किशोर माली आदि मौजूद रहे।