बस लोगों की भलाई कीजिए

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अपने आसपास नजर डालिये। बहुत से जरुरतमंद आपके सामने हाथ फैलाएंगे पर आप उन्हें नकारिए मत। जो बन पड़ें दीजीए, ये सच है कि आप एक पैसा दोगे वो दस लाख देगा। विगत दिनों चिकित्सक को दिखाने गई, आटो वाले से साठ रु. तय किये परन्तु मुझे कुछ ज्यादा समय लग गया, आटो वाला कुछ नारज सा लगा शायद जो समय मेरे लिये जाया किया वो और कमाई कर सकता था। वापस जब निर्धारित स्थान पर उतारा तो मैंने सौ का नोट दिया और कहा अपने बच्चों को टोफी खिला देना और वो खुश हो गया।

संयोगवश दूसरे दिन मुझे मेल करवाने साईबर कैफे जाना पड़ा, अवकाश के कारण कर्मचारी नदारद थे और मालिक ने स्पष्ट रुप से मना कर दिया। मैंने कहा- सर प्लीज मनामत कीजिए ये अति आवश्यक मेल है और आज ही भेजना है। मालिक ने कहा- अच्छा आप बैठिये और तुरंत मेरे मेल को भेज दिया। मैंने उनका आभार व्यक्त किया। शुल्क के लिए सौ का नोट निकाला और देने लगी तो बोले-मेरे पास खुले नहीं है। इस पर मैंने बताया कि मेरे पास भी सिर्फ एक दस का नोट ही है तो बोले-इतना ही दे दो। जबकि मेल चार्ज चालिस रु था। उसकी इन्सानियत देखकर हैरान रह गई। उपरोक्त घटना से मैंने सीखा- बस आप भलाई कीजिए, आगे खुद ईश्वर आपके लिये बन्द दरवाजे भी खोल देगा।   

लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)