व्यंग्यकार, साहित्यकार एवं लेखक, प्रधान सम्पादक, 'विश्वा', अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, यू.एस.ए., स्थाई पता : सीकर, (राजस्थान)
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आज तोताराम को चाय का गिलास पकड़ाते हुए हमारा हाथ थोड़ा काँप सा गया।
बोला- क्या बात है, जैसे कम मतदान से सरकार का गला सूख रहा है वैसे ही तेरा हाथ किस भय से काँप रहा है।
हमने कहा- हमने क्या किसी कंपनी से घटिया दवा बेचने की छूट के बदले बॉन्ड थोड़े ही लिए हैं जो डरेंगे। लगता है कोरोना के टाइम पर कोवीशील्ड के जो दो डोज़ लगवाए थे उन्हीं का कोई साइड इफेक्ट हो गया है। सुना है कुछ लोग तो हार्ट अटेक से मर भी गए। कुछ के हाथ-पैर कांपने लगे, कुछ को दिखाई कम देने लगा।
बोला- ये सब योरप के देशों के अपने को कुछ ज्यादा ही लोकतान्त्रिक दिखाने के फालतू के चोंचले हैं । ये सब भारत की विश्व गुरु की छवि और उन्नति से जलते हैं इसलिए जब तब तरह तरह के सर्वेक्षण करवाते रहते और भारत की रेंकिंग नीचे दिखा कर अपनी खीझ निकालते रहते हैं। ये तो मोदी जी थे जो अपने प्रभाव से इतने टीके ले आए और लोगों को फ्री में लगवाकर कोरोना के कहर से बचा लिया।
हमने कहा- लेकिन तोताराम हमें किसी ने मोदी जी का एक वीडियो भेजा है जिसमें वे एक महिला पत्रकार को इंटरव्यू दे रहे हैं।
बोला- वह तो लोकतंत्र में मीडिया से मुखातिब होना भी जरूरी होता है वरना उन्हें कहाँ इतना समय है? एक तो वैसे ही 20-20 घंटे प्रतिदिन काम करके हालत खराब रहती है। ऊपर से बार बार कहीं न कहीं चुनाव और इस बार 400 से पार का लक्ष्य!
वैसे उस इंटरव्यू में क्या खास हुआ था।
हमने कहा- प्रश्न और उत्तर तो खैर हमेशा की तरह पहले से ही तय थे लेकिन यदि तुमने गौर किया हो तो उनके हाथ की मध्यमा और अनामिका अंगुलियाँ काँप रही थीं। हो सकता है उन पर भी टीके का कोई दुष्प्रभाव आ गया हो।
बोला- क्या तूने उनका टीका लगवाते हुए फ़ोटो देखा है?
हमने कहा- कण कण में छुपा भगवान एक बार न दिखाई दे लेकिन मोदी जी का फ़ोटो दिखाई न दे यह नहीं हो सकता। बहुत पहले एक बार कोरोना के टाइम पर पोस्ट ऑफिस गए तो पोस्टमास्टर के पीछे मोदी जी दिखाई दिए। मोदी जी और सीकर के पोस्ट ऑफिस में। फिर ध्यान से देखा और दो समझदार लोगों से पता किया तो ज्ञात हुआ कि मोदी जी ने जनता को टीका लगवाने की प्रेरणा देने के लिए टीका लगवाते हुए अपने लाखों फ़ोटो देश के विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर लगवाए हैं। उसी कार्यक्रम के तहत यह फ़ोटो यहाँ लगा है।
तोताराम ने अगला प्रश्न किया- तो बता, मोदी जी कौनसी बांह में टीका लगवा रहे थे?
हमने कहा- बाईं बांह में।
बोला- और अंगुलियाँ कौनसे हाथ की काँप रही थीं?
हमने कहा- दाहिने की।
बोला- इसका मतलब यह हुआ कि टीके का कोई दुष्प्रभाव नहीं हुआ। यदि टीके का दुष्प्रभाव हुआ होता तो बाएं हाथ की अंगुलियां काँपतीं। यह तो 2024 में चुनाव में 400 पार की अग्रिम शुभसूचना के फलस्वरूप उनका दायाँ अंग फड़क रहा था। पुरुष का दायाँ अंग फड़कना शुभ माना जाता है।
हमने कहा- लेकिन तोताराम, बीमारी और वह भी कोरोना जैसी, क्या किसी सामान्य जन और प्रधानमंत्री में भेद करती है?
बोला- ऐसी बात नहीं है। जन्म, मरण, बीमारी, सुख-दुख छोटे बड़े, धनी-गरीब, हिन्दू-मुसलमान सभी को व्यापते हैं। इस काल में दुनिया में कोरोना अनेक देशों में अनेक नेता, व्यापारी, खिलाड़ी, कलाकार, सामान्य और विशिष्ट सभी तरह के लोग मरे भी हैं। चूंकि मोदी जी बाल ब्रह्मचारी हैं, सात्विक जीवन जीने वाले, संतोषी, अत्यंत विनम्र, सेवा भावी, सबका भला सोचने वाले, कुंठा, घृणा, राग द्वेष से मुक्त संत पुरुष हैं इसलिए भी उन पर टीके का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ा।
हमने कहा- लेकिन हम तो सामान्य जीव हैं। अगर हमें कुछ हो गया तो बहुत मुश्किल हो जाएगी। आजकल हाथ ही नहीं काँपते हैं बल्कि दृष्टि भी कमजोर हो गई है। तभी जब विश्व में भारत का डंका बज रहा है तो हमें कुछ सुनाई नहीं दे रहा, चहुँमुखी विकास हो रहा है तब हमें कुछ दिखाई नहीं दे रहा। न अच्छे दिन, न पुराने डी ए का 18 महिने का एरियर, और न फोन में मार्च और अप्रैल की पेंशन की पीडीएफ़ तक नहीं दिखाई दे रही है।
तभी अचानक तोताराम तैश में आ गया, बोला- भलाई का ज़माना ही नहीं रहा। एक तो फ्री में टीका लगवाया, मरने से बचाया और ऊपर से बिना बात पायजामे से बाहर हुआ जा रहा है। सीरम वाले से 175 करोड़ टीके खरीदे थे जिस पर 50 करोड़ के बॉन्ड मिले। मतलब एक टीके पर 26 पैसे। तूने दो टीके लगवाए तो कायदे से तेरे टीकों पर सरकार ने 52 पैसे कमाए होंगे।
ये पकड़ दो रुपए और चुप बैठ। कमाई से चौगुने। और बंद रख अपनी जुबान। खबरदार जो लोक कल्याणकारी सरकार और सेवभावी नेताओं की बिना बात निंदा की तो।
और तोताराम गुस्से में बिना चाय पिए ही चला गया।
(लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)