सरकारी तंत्र में चार साल से उलझा रहा पेयजल टंकी निर्माण का काम

नगरपालिका से हटाकर अब सरकार ने पीएचईडी को सौपा जिम्मा

अमृत योजना में स्वीकृत हुए 5 करोड़ 98 लाख

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील। सांभर में पीएचईडी की तरफ से चिन्हित किए गए हाईजॉन क्षेत्रों में पेयजल के लिए करीब दो दशक  से परेशान लोगों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा।  निवर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान पुरानी कोतवाली परिसर में जलाशय बनाए जाने के लिए विभाग की तरफ से इसका जमीनी खाका तैयार कर सरकार के पास स्वीकृति हेतु भिजवाया गया था। नगरपालिका सांभर को इस काम के लिए कार्यकारी एजेंसी नियुक्त किया गया था लेकिन औपचारिकताओं को पूरा नहीं करने के कारण जलाशय निर्माण का काम शुरू नहीं हो सका और योजना अधर में लटक गई। सरकार बदलने के बाद जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के  आला अफसरों ने स्थानीय अभियंताओं की तकनीकी रिपोर्ट के आधार पर इस योजना को पुनः शुरू किए जाने हेतु वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति हेतु पत्रावली वर्तमान सरकार को भिजवाई थी। अब इस काम के लिए अमृत योजना में 5 करोड़ 98 लख रुपए स्वीकृत किए गए हैं। विभागीय सूत्रों ने बताया कि चुनाव आचार संहिता हटने के बाद ही तकनीकी स्वीकृति मिलते ही इस कार्य के लिए शीघ्र निविदा निकाली जाएगी। लोगों का कहना है कि पूर्व विधायक की ओर से इसके लिए ठोस प्रयास किए होते तो यह योजना कभी की सफल हो जाती और लोगों को परेशानी से नहीं जूझना पड़ता। जलाशय निर्माण के बाद यहां के वार्ड  19, 20, 21 22 के करीब 2 हजार से अधिक लोगों इस गर्मी के सीजन में राहत मिलने की उम्मीद नजर नहीं आती है। अभी बीसलपुर बांध में पानी के लगातार हो रही कमी के कारण करीब 6 लाख लीटर पानी सांभर को कम मिल रहा है, यानी अभी 34 लाख लीटर पानी ही उपलब्ध हो रहा है पेयजल की कमी का एक मोटा कारण इसको भी गिनाया जा रहा है। इस मामले में कनिष्ठ अभियंता ने ओपी वर्मा बतातें है कि जिन मौहल्लों की पेयजल लाइन एक बार भी नहीं बदली गई है, या जो पाइप लाइन अंदर से जाम होने के कारण पेयजल सप्लाई में बाधा का प्रमुख कारण बना हुआ है उसको बदलने की योजना पर भी अमल किया जाएगा। भीषण गर्मी को दृष्टिगत रखते हुए पेयजल की कमी से जूझ रहे इलाकों में विभाग की तरफ से टैंकर से पेयजल सप्लाई पहुंचाने के लिए भी कार्य योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा।