यूँ होता तो क्या होता...! : रमेश जोशी
लेखक : रमेश जोशी 

व्यंग्यकार, साहित्यकार एवं लेखक, प्रधान सम्पादक, 'विश्वा', अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, यू.एस.ए., स्थाई पता : सीकर, (राजस्थान)

ईमेल : joshikavirai@gmail.com, ब्लॉग : jhoothasach.blogspot.com

सम्पर्क : 94601 55700 

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आजकल हम तोताराम पर हावी रहते हैं जैसे मोदी जी सभी विपक्षियों पर । एक बात का जवाब देने से पहले वे और उनके दाएं-बाएं रहने वाले एक से बढ़कर एक 50 अनर्गल बातें उछाल देते हैं कि विपक्ष अपनी बात भूल जाता है और जवाब देते देते ही पस्त हो जाता है जैसे आलू और पत्ता गोभी की सुहाग रात में आलू घूँघट ही उठाता रहा और रात बीत गई अर्थात मतदान का 7 वां चरण पूरा हो गया। 

लेकिन आज तोताराम आते ही हमारे कोई जुमला उछालने से पहले ही बैठते-बैठते बोला- अर्ज किया है। 

हमने कहा- अभी तो आए हो । मुशायरा शुरू होने में वक़्त है। तनिक बैठ तो सही। अर्ज भी कर देना। हम इरशाद और मुकर्रर भी कह देंगे। 

लेकिन तोताराम ने हमारी एक न सुनी, जैसे मोदी जी किसीकी नहीं सुन रहे हैं। और अर्ज कर ही दिया- 

हुई मुद्दत कि गालिब मर गया पर याद आता है 

वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता। 

हमने कहा- बस, इसी आदत के कारण तो गालिब पीछे रह गया । बात बिना बात ज़िंदगी भर फच्चर फँसाता रहा- यूँ होता तो क्या होता। अरे, जो हो रहा है उसे देख सुन और बोल ‘अति उत्तम’ और मौज कर। लेकिन माने तब ना। तभी तो ज़िंदगी भर खाता रहा धक्के। 

बोला- यह शे’र गालिब का नहीं मोदी जी का है। 

हमने कहा- दुनिया जानती है यह शे’र गालिब का है। 

बोला- क्रोनोलॉजी समझ। जब गालिब मर ही गया तो फिर क्या शे’र लिखने वापिस आया और फिर शे’र लिखा और फिर मर गया ? 

हमने कहा- लेकिन मोदी जी तो पक्के राष्ट्रवादी हैं। वे हिजाब की जगह घूँघट बोलते हैं, रिवाज की जगह परंपरा बोलते हैं, मुबारक की जगह बधाई बोलते हैं।

बोला- ऐसी बात नहीं है। ‘मोदी है तो मुमकिन है’ भी तो उन्हीं का दिया हुआ नारा है। वे अनेक भाषाओं के ज्ञाता है और छंद, अनुप्रास के अनुसार उर्दू ही क्या, अंग्रेजी या किसी भी भाषा का उपयोग कर लेते हैं। 

हमने कहा- लेकिन मोदी जी तो किसी भी बात में इफ्स ऐंड बट्स नहीं लगाते। वे पक्की पक्की गारंटी देते हैं। सब कुछ निश्चयात्मक रूप से कहते हैं जैसे भाइयो, मुझे 50 दिन का समय दीजिए उसके बाद चाहें जिस चौराहे पर—----। 

बोला- नहीं ऐसी बात नहीं है कल ही उन्होंने पटियाला में कहा- 1971 की जंग में 90 हजार से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक हमारे कब्जे में थे। मैं विश्वास से कहता हूँ, अगर उस समय मोदी होता तो उनसे करतारपुर साहिब लेकर राहत इसके बाद ही फौजियों को छोड़ता। तत्कालीन सरकार ऐसा नहीं करवा पाई और 70 साल तक करतारपुर साहिब के दर्शन दूरबीन से करने पड़ते थे। 

हमने कहा- तो मोदी जी को किसने रोका था, चले जाते शिमला और समझौते के समय इंदिरा जी को नेक सलाह देते कि वे पाक सैनिकों को तब तक न छोड़ें जब तक पाकिस्तान करतारपुर साहिब ही नहीं पाक अधिकृत कश्मीर वापिस न कर दे।

बोला- कैसे चले जाते? बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन में भाग लेने के कारण इंदिरा सरकार ने उन्हें जेल में जो डाल रखा था। 

हमने कहा- इंदिरा जी ने तो खुद जोखिम उठाकर मुक्तिवाहिनी की मदद की और बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में साहस पूर्वक हस्तक्षेप करके उसे आजाद करवाया। वे क्यों मोदी जी को बांग्लादेश मुक्ति का समर्थन करने के लिए जेल में डालेंगी ? और मोदी जी तो शायद उस समय चाय बेचने से बोर होकर अपने 35 वर्षीय भिक्षाटन पर निकले हुए थे। हमें सब पता है, हम उस समय 1971 से 1975 तक पोरबंदर में थे। 

बोला- इंदिरा जी नहीं चाहती थीं कि बांग्लादेश की मुक्ति का श्रेय मोदी जी ले जाएँ। अगर मोदी जी उस समय जेल से बाहर होते तो हो सकता है अकेले ही बांग्लादेश को मुक्त करवा देते। 

हमने कहा- हो सकता है, यदि मोदी जी सन 1025 में होते तो महमूद गजनवी को सोमनाथ पर हमला करने के समय ही ठिकाने लगा देते। मोहम्मद गौरी को भी दिल्ली में घुसने नहीं देते। और अगर अमित शाह जी होते तो उसी समय सी ए ए लगा देते और कोई भी मुसलमान और ईसाई भारत में घुस ही नहीं पाता। 

बोला- क्या किया जाए। यह इस देश का दुर्भाग्य है कि मोदी जी उस समय नहीं थे। अगर राम के समय में होते तो राम को कहीं जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। ये ही लंका में जाते और रावण का टेंटुआ पकड़कर उसे राम के चरणों में ला पटकते।1857 में होते तो तभी देश को आजाद करवा लेते, और अगर 1947 में होते तो विभाजन नहीं होने देते और पहले प्रधानमंत्री होते तो  नेहरू जी को देश का सत्यानाश करने का मौका ही नहीं मिलता। अब देखा नहीं, 500 साल से भगवान होने के बावजूद राम लला टेंट में टाइम काट रहे थे और अब ये आते ही राम लला को अंगुली पकड़कर ले आए और कर दिया मंदिर में स्थापित।  सम्बित पात्रा ने जगन्नाथ को मोदी जी का भक्त ऐसे ही थोड़े कहा है? 

हमने कहा- तोताराम, तो फिर एक काम कर मोदी जी को लेकर लद्दाख वाले वांगचुक के पास चला जा। वह मोदी को उन इलाकों में ले जाएगा जहां चीन ने कब्जा कर रखा है। फिर तू और मोदी जी दोनों लाल आँख दिखाकर चीन के कब्जे वाले भारतीय इलाके को मुक्त करवा लेना और फिर आजकल राजनाथ सिंह जी भी तो घर में घुसकर मारने लगे हैं। जिससे फिर 2047 में फिर यह नहीं कहना पड़े-

मैं होता तो यूँ होता 

और मैं होता तो त्यूँ होता। 

(लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)