21वीं सदी में सोशल मीडिया, डिजिटल मीडिया, वेब मीडिया और सूचना संचार प्रौद्योगिकी ने बिना किसी विशेष भेदभाव और चेहरा, जाति, रंग, धर्म, क्षेत्र, भाषा और पंथ देखे प्रत्येक व्यक्ति को सशक्त बनाया है
लेखक : डॉ कमलेश मीना
सहायक क्षेत्रीय निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, इग्नू क्षेत्रीय केंद्र भागलपुर, बिहार। इग्नू क्षेत्रीय केंद्र पटना भवन, संस्थागत क्षेत्र मीठापुर पटना। शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार।
एक शिक्षाविद्, स्वतंत्र सोशल मीडिया पत्रकार, स्वतंत्र और निष्पक्ष लेखक, मीडिया विशेषज्ञ, सामाजिक राजनीतिक विश्लेषक, वैज्ञानिक और तर्कसंगत वक्ता, संवैधानिक विचारक और कश्मीर घाटी मामलों के विशेषज्ञ और जानकार।
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जवाहर कला केंद्र जेएलएन मार्ग जयपुर में ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन, जयपुर के तत्वावधान में हमारे पुराने मीडिया मित्रों, संपादकों, उप संपादकों, पत्रकारों, साहित्यकारों, स्वतंत्र सामग्री लेखकों, फोटोग्राफरों और विभिन्न रचनात्मक क्षेत्रों के कलाकारों के साथ डेढ़ दशक से अधिक पुरानी तस्वीर आदरणीय प्रमोद जी शर्मा भाई साहब द्वारा साझा किया गया। सोशल मीडिया की शक्ति और आसान उपस्थिति के माध्यम से पुरानी यादों में से एक को देखकर वास्तव में खुशी हुई। हाल ही में वर्चुअल माध्यम से मैं अपने जीवन के सबसे अच्छे दोस्तों में से एक विनोद पूनिया से साढ़े 12 साल बाद मिला और पिछले साढ़े 12 वर्षों में हमारा एक-दूसरे से संपर्क नहीं हुआ। यह ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन की तस्वीर भी जीवन की सबसे अच्छी यादों में से एक है, जब हम विभिन्न क्षमताओं में पत्रकारिता का हिस्सा थे।
इस फोटो के माध्यम से हम महसूस कर सकते हैं कि 15-20 साल पहले हम मीडिया के बहुत ही प्रसिद्ध और स्थापित मित्रों, पत्रकारों, साहित्य जगत की हस्तियों, लेखकों, फोटोग्राफरों और प्रसिद्ध कलाकारों, पेशेवरों आदि बहुत प्रमुख हस्तियों का हिस्सा थे जो इस चर्चा का हिस्सा थे। इस फोटो में मीडिया के बहुत ही प्रसिद्ध निम्नलिखित हस्ति हैं: ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक आदरणीय प्रमोद शर्मा जी, आदरणीय महेश शर्मा जी पूर्व संपादक दैनिक नोवज्योति, पूर्व संपादक अमर उजाला यसवंत व्यास जी, प्रसिद्ध फोटोग्राफर महेश गोस्वामी जी, सहायक निदेशक जनसंपर्क विभाग राजस्थान सरकार तरुण जैन जी, महावीर कैंसर हॉस्पिटल की जनसंपर्क अधिकारी करुणा शर्मा जी, ललित शर्मा जी वरिष्ठ पत्रकार, आलोक आनंद, प्रमोद वैष्णव जी, अर्चना कुमावत जी आदि।
मैं प्रमोद शर्मा जी भाई साहब के ठीक बगल में बैठा हूं जो इस जमीनी स्तर के 'ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन' के मुख्य वास्तुकार थे। अपने पिछले सोशल मीडिया में मैंने अपनी एक पुरानी याद का जिक्र किया था जब हम 'विश्व संवाद केंद्र', एम आई रोड जयपुर में बैठे थे और उस समय प्रमोद शर्मा जी भाई साहब के मार्गदर्शन में कुलदीप शर्मा जी के नेतृत्व में राजस्थान युवा पत्रकार मंच की स्थापना की थी।
उस समय हमें 'विश्व संवाद केंद्र', 'पाथेय कण पत्रिका' के प्रधान संपादक आदरणीय श्री कन्हैया लाल चतुर्वेदी जी, महानगर टाइम्स के प्रधान संपादक गोपाल शर्मा जी और कई प्रसिद्ध पत्रकार, संपादक, जनसंपर्क अधिकारियों, संपादकों, पत्रकारों, साहित्य जगत की हस्तियों और प्रसिद्ध लेखकों की देखरेख और नेतृत्व में हमें मीडिया और पत्रकारिता के बुनियादी पहलुओं को सीखने का अवसर मिला। अब आदरणीय गोपाल शर्मा जी दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी के बैनर तले सिविल लाइन्स विधानसभा सीट से राजस्थान से विधान सभा सदस्य बने हैं।
मुझे वह अवसर देने के लिए मैं जमीनी स्तर के 'ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन' और प्रमोद शर्मा भाई जी का आभारी हूं और मैं व्यक्तिगत रूप से उस तरह की चर्चा और विचार-विमर्श से समृद्ध हुआ और आज मैंने जो कुछ भी सीखा, हासिल किया और मीडिया और पत्रकारिता का अनुभव, विशेषज्ञता और ज्ञान प्राप्त किया, इसका श्रेय मेरे और हममें से कई लोगों के प्रति उनके कठिन प्रयास और वास्तव में समर्पित ध्यान को जाता है। अपने दूरदर्शी छोटे छोटे रचनात्मक कदमों के माध्यम से हमारी युवा पीढ़ी को समृद्ध बनाने के लिए आपकी निस्वार्थता और वास्तव में लगातार रचनात्मक कार्य के लिए प्रमोद शर्मा जी भाई साहब को धन्यवाद।
मैं गर्व से पूरी जिम्मेदारी और जवाबदेही के साथ बता रहा हूं कि मेरे जैसा एक साधारण व्यक्ति जो ग्रामीण इलाकों से हिंदी माध्यम की स्कूली शिक्षा लेकर आया है, लेकिन 'ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन', ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट आबू राजस्थान और भारतीय विज्ञान संचार कांग्रेस के मुख्य वास्तुकार आदरणीय प्रोफेसर मनोज पटैरिया के दूरदर्शी विचार और पूर्व विभागाध्यक्ष जनसंचार केंद्र प्रोफेसर संजीव भानावत जी नेतृत्व के कारण मेरे जीवन में भारी और सच्चा परिवर्तन आया है इसमें कोई संदेह नहीं, अन्यथा एक समय था जब मैं लिखने, बोलने और वक्तृत्व कौशल में अच्छा नहीं था। मैं बोलने में अच्छा नहीं था और न ही मेरी अंग्रेजी भाषा अच्छी थी।
लेकिन आज मेरे लेखन कौशल, बोलने के वक्ता कौशल और ज्ञान, अनुभव और विशेषज्ञता को कई प्रसिद्ध कलाकार, लेखक, पेशेवर, प्रोफेसर और शिक्षक दिल से स्वीकार करते हैं और सराहना भी करते हैं। यह भी सच है कि आज की भौतिकवादी दुनिया और प्रतिस्पर्धी समाज में मुझे थोड़ी सी जगह और सम्मान भी मिल सका, इसमें कोई संदेह नहीं है।
वास्तव में मैं अपने गुरु, शिक्षकों, गुरुओं और मार्गदर्शक का आभारी हूं जिन्होंने हमेशा मेरे जीवन में अलग-अलग समय और सही समय पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मेरे जीवन में कई लोग चमत्कार या इस ब्रह्मांड की शुद्ध आत्मा के दूत और इस सृष्टि के दूत के रूप में आए, जिन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया, मुझे सलाह दी, मेरी देखरेख की और मुझे मेरी सही मंजिल तक पहुंचने का सही रास्ता दिखाया। मैं उन लोगों को अपने जीवन में कभी नहीं भूल सकता और मेरा जीवन सदैव उनका ऋणी रहेगा। ये कुछ नाम यहां हैं जिन्होंने मेरे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और मुझे जीवन की राह दिखाई और मेरे जीवन को ऑक्सीजन दी। मेरे पिता श्री राम जी लाल मीना और मेरी माता श्रीमती प्रेम लता देवी जी और मेरे सभी शिक्षक। प्रत्येक शिक्षक ने मुझे मेरे जीवन के लिए कुछ न कुछ दिया।
ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन
मेरे जीवन में इन लोगों की रही अप्रत्याशित एवं जबरदस्त भूमिका स्वर्गीय डॉ. हरि सिंह जी पूर्व सांसद एवं कैबिनेट मंत्री राजस्थान सरकार, मुख्य संपादक दैनिक नोवज्योति आदरणीय श्री दीनबंधु चौधरी जी, प्रमोद शर्मा जी, प्रोफेसर शंभूनाथ सिंह जी कुलपति, तेजपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय, नप्पम , असम, डॉ. रमेश यादव जी, प्रोफेसर प्रमोद मेहरा जी, इग्नू और मेरे मित्र डॉ. एसपी महिंद्रा जी। पर्दे के पीछे प्रमुख मित्रों, शिक्षकों, पत्रकारों, साहित्यकारों, व्यक्तियों की भी सदैव महत्वपूर्ण भूमिका रही। उनका विवरण मेरी आत्मकथा में उल्लिखित होगा। मैं अपने सभी शिक्षकों का हृदय से आभारी हूं और यह उनके प्रति मेरा सच्चा समर्पण है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)