साहिबज़ादा शौकत अली की ताज़ियती मजलिस सम्पन्न

दो शताब्दी का प्रतिनिधित्व करने वाले चल बसे : साहिबज़ादा सौलत

अरशद शाहीन 

www.daylife.page 

टोंक। देश एवं प्रदेश के जाने-माने अकादमिक व्यक्तित्व के धनी,अरबी और फारसी संस्थान के संस्थापक और पूर्व निदेशक,स्वर्गीय साहिबज़ादा शौकत अली ख़ान का रविवार को आकस्मिक निधन हो गया था। तदनुसार एक शोक सत्र (ताज़ियती मजलिस) का आयोजन मिल्लत स्कूल में किया गया।

ताज़ियती मजलिस का आयोजन मिल्लत स्कूल डायरेक्टर आमिर सिद्दीकी नदवी,नशा मुक्ति टीम मुफ्ती आसिम खान नदवी तथा उलेमा ए टोंक ने किया।कार्यक्रम का प्रारंभ तिलावत कुरआन तथा नात पाक से किया गया। तत्पश्चात मौलवी मोहम्मद सईद साहब का शोक संदेश सुनाया गया तथा साहिबज़ादा शौकत अली खान की सेवाओं को याद किया गया।कार्यक्रम की अधक्ष्यता करते हुए साहिबज़ादा सौलत अली खान ने बताया कि आपका जाना सिर्फ हमारे लिए ही नहीं अपितु समस्त टोंक व राजस्थान वासियों के लिए अपूर्णीय क्षति है आपने दो शताब्दी का प्रतिनिधित्व किया है। 

मौलाना जमील ने बताया कि आप अरबी, फ़ारसी तथा अग्रेंजी भाषा पर कमाल रखते थे और आप सच्चे आशिक़ रसूल थे।बदर आलम ने शोक व्यक्त करते हुए उनके साथ बिताए चालीस वर्ष के समय को याद किया,"ए ज़मीन सुखन कदर कर हमारी"पंक्ति को डेडिकेट किया। मौलवी आमिर सिद्दीकी ने सबसे पहले शोक सत्र  में अपनी संवेदना प्रकट करते हुए बताया कि आप ज्ञान का भंडार थे,आप शौकत थे,सौलत थे, सरवत थे,राहत थे,आपके जाने से मिल्लत सदमे में है "ज़मीं खा गई आसमां कैसे कैसे.."।

मुफ्ती आदिल नदवी ने अरबी फारसी शोध संस्थान में हो रही कार्मिकों की कमी पर बात कही और बताया कि स्वर्गीय साहिबज़ादा शौकत अली ने संस्थान में एक वृहद स्टाफ रखा और चलाया था"हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है,तब कहीं जाकर होता है चमन में दीदावर पैदा"। मुफ्ती इस्लाहुद्दीन खिज़र ने उनके व्यवहार व आचरण को अपनाने की बात कही।मौलवी अमीन ने खानदान अमीरिया तथा साहिबज़ादा शौकत अली खान के ऐतिहासिक कार्यों की चर्चा करते हुए बताया कि आपको राष्ट्रपति द्वारा पदक से सम्मानित किया गया। ज़फ़र रज़ा ने उनके साथ बीते हुए पल याद करके उनके अनेक गुण सामने रखे। 

कार्यक्रम में खुर्शीद आलम खत्तात ने उनकी पारखी नज़र की सराहना की एवं सैयद असगर अली ने अपनी संवेदनाएं प्रकट करते हुए कहा कि साहिबजादा शौकत अली खां के नाम पर एक अवॉर्ड प्रारंभ किया जाना चाहिए ताकि वो हमारे दिलों में ज़िंदा रहें। सभा का संचालन मुफ्ती आसिम ने करते हुए सभी को धन्यवाद प्रस्तुत किया। शोक सत्र में मुख्यत साहिबजादा सौलत अली खां, सरवत अली खां,राहत अली खां,मौलवी आमिर सिद्दीकी,मुफ्ती मोहम्मद आदिल,मुफ्ती इस्लाहुद्दीन खिजर,मुफ्ती आसिम खान, मौलवी राशिद, कारी ज़ाकिर खां,शब्बीर नागौरी,क़ाज़ी अब्दुल हसीब,अब्दुल लतीफ,असलम खान,मौलवी अमीन, मास्टर अन्नू,डॉक्टर आतिफ सिद्दीकी, अफ़ज़ल बियाई,सैयद असगर अली इत्यादि मौजूद रहे।