सांभर में गांधी बालबाड़ी के सौंदर्यीकरण का काम अधूरा

चारदिवारी पर भित्ति चित्र उकरने की योजना नहीं हो सकी साकार, ढाई साल से फव्वारा भी बना है शोपीस

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील। यहां कटला बाजार स्थित गांधी बालबाड़ी का तीन साल बाद भी सौंदर्यीकरण का काम अधूरा पड़ा है। पार्क की शोभा बढ़ाने के लिए लगाया गया फवारा कुछ समय तो लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा लेकिन बाद में देखरेख व असामाजिक तत्वों की वजह से आज यह पूरी तरह से नकारा पड़ा हुआ है। फव्वारे की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए इसके चारों ओर लगाई गई स्टील की जालियों के बाद भी किसी ने अंदर से इसका नोजल खोलकर निकाल लिया है, करीब ढाई साल से यह फवारा अब शॉपीस  बना हुआ है। फव्वारे के अंदर बारिश का पानी भरा हुआ है जो सडांध मार रहा है जिसे निकालने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, पानी में काई जम गई है और मच्छर भी भिनभिना रहे हैं। 

पार्क को विकसित करने के लिए खर्च की गई धनराशि का कोई औचित्य नहीं निकल रहा है। पार्क की चारदिवारी का रंग रोशन आज तक नहीं हुआ है। चारदिवारी के बाहर भित्ति चित्रों को उकेरने की योजना आज भी अधूरी पड़ी है। गांधी बालवाड़ी के दोनों द्वारों पर  लगाई गई अर्द्ध चंद्राकार लोहे की जाली टूटी पड़ी है। पार्क में नीम और वटवृक्ष के चारों ओर बनाये गये गट्टे पर लगाई गई ब्लैक टाइल्स अनेक जगह से धीरे-धीरे उखड़ रही है। इससे गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। सेंट्रल बैंक और पुरानी तहसील के पास स्थित यह गांधी बालबाड़ी आबादी के मध्य में स्थित है जहां आसपास के लोग यहां आते हैं। 

पार्क में दो मंदिर भी है जहां पूजा स्नान करने के लिए भी श्रद्धालु सुबह शाम आते हैं। आंधी की वजह से क्षतिग्रस्त हुई एक पेड़ की डाली आज भी झूल रही है। पार्क में सांसद कोटे से लगी जिम की देखरेख भी करने वाला कोई नहीं है, कुछ के पार्ट्स खराब भी हो चुके हैं। इस मामले में पार्षद धर्मेंद्र जोपट ने बताया कि उनके पिछली दफा इस वार्ड से पार्षद रहते हुए इस पार्क को डवलप करवाया गया था, लेकिन कुछ काम आज भी अधूरे ही पड़े है, अनेक दफा मेरी ओर से पालिका प्रशासन को भी लिखा गया और कई दफा मौखिक भी बोला गया लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं देने से विकसित करने के लिए पूर्व में खर्च किये गये बजट का कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल पा रहा है, इससे लोगों की भावनाएं भी आहत हो रही है।