सुर्यदेव के रौद्र रूप से झुलसने लगी खेतो में खङी फसले

उमस भरी चिलचिलाती धूप ने उङा दी नींद

रात को बिजली की अघोषित कटौती से आमजन रोज परेशान 

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील। सावन माह में हर साल लगने वाली बरसात की झङी ने अबकी बार लोगों को तरसा दिया है। 19 साल में पहली बार दुर्लभ सहयोग से अधिमास होने के कारण इस बार सावन के दो महीने मनाए जा रहे है दुसरा माह लगभग समापन पर है लेकिन सुखा ही गुजर रहा है। इधर सुर्यदेव के रौद्र रूप से खेतो में खङी खरीब की फसले झुलसने लगी है। पिछले करीब पंद्रह दिन से आसमान में बादल गायब है। जिसे उमस भरी चिलचिलाती धूप ने कृषको की नींद उङा रखी है। भीषण गर्मी ने लोगों को बेहाल कर रखा है। वही विधुत विभाग कि ओर से कभी रात को तो कभी दिन में शटडाउन, फाॅल्ट या अघोषित बिजली कटौती से आमजन भी परेशान है। मौसम की इस बेरूखी का असर सबसे ज्यादा कृषि कार्यो पर पङ रहा है। चिलचिलाती गर्मी के कारण ग्वार, बाजरा, मुगंफली, मूंग, मोठ, तिलहन आदि फसलें झुलसने लगी है। खेतों में नमी खत्म होने से बोई हुई फसलों पर अकाल पङने का भय मंडरा रहा है। झुलसती फसलों को देख किसानों के चेहरे की रोनक उङने लगी है। कृषक भागचंद जाट और रामकुमार लोरा का कहना है कि शुरूआत में अच्छी बारिश से खुशी छाई हुई थी। लेकिन अब आसमान से बरसात होने की टकटकी लगाए बेठै है। गर्मी से बचने के लिए काम कर रहें आम आदमी को बस एक पानी पीकर प्यास बुझाने का सहारा नजर आ रहा है। कृषको का मानना है कि एक सप्ताह बरसात नही हुई तो अधिकतर खरीफ की फसले प्रभावित होगी। जिसे काफी नुकसान हो सकता हो सकता है। 

तापमान में वृध्दि से सर्वाधिक नुकसान बाजरे की फसल में- 

दुसरे सावन माह के शुरुआत से ही थमी बारिश के लिए तरसे लोगों को अब सबसे अधिक नुकसान मूंगफली और बाजरे की फसल में होने की चिंता सताने लगी, पिछले दो सप्ताह से तेज धूप के चलते अधिकतम तापमान भी 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। बारिश थमने के बाद तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जिले में पिछले एक सप्ताह से भी अधिक समय से अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस के आसपास चल रहा है। वहीं रात में न्यूनतम तापमान भी गिरकर 25 डिग्री सेल्सियस चल रहा है। इसकी वजह से सुबह के समय नमी अधिक रहती है तथा दिन के समय तेज धूप के असर की वजह से फसलो में मौसमी बीमारियां भी फैलने लगी हैं। 

चारे की मांग और भावो में बढोतरी संभावित-

ग्रामीणों ने बताया कि अबकी बार बरसात जल्दी हो जाने से लोगों ने धान की फसलों की अधिक बुआई की है। जिस कारण खेतों में चारा कम होने का आसार लग रहा है। गत वर्ष पांच सौ रूपए प्रति मण विक्रय हुआ था। परंतु इस बार चारे की मांग और भावो में बढोतरी देखने को मिलेगी। लेकिन बारिश नही हुई तो जानवरो के लिए चारे का भी अभाव रहेगा। फसलों की ग्रोथ भी कम हुई। लट, कीटो का प्रकोप भी बढ रहा है। कई खेतो में बाजरे की सिटटीयां पकने लगी है। ऐसे में बारिश की बहुत अधिक आवश्यकता है।