सांभर-फुलेरा जिला बनाने के आंदोलन का सरकार पर नहीं हुआ कोई असर

सरकार की सद्बुद्धि के लिए अब भगवान की शरण में जाएंगे नेतृत्वकर्ता 

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील। सांभर-फुलेरा को संयुक्त रूप से जिले का दर्जा देने की मांग को लेकर चले संघर्ष में प्रदेश के मुखिया ने जिले का दर्जा तो नहीं दिया बल्कि आंदोलनकारियों की नवीन घोषित दूदू जिले में इसे शामिल नहीं करने की उनकी वाजिद इस मांग को स्वीकार कर मामूली राहत के छींटे जरूर दे दिए। बता दें कि आंदोलनकारियों ने सांभर-फुलेरा जिले की मांग करते हुए इसे दूदू में शामिल नहीं करने व जयपुर जिले में यथावत रखने का भी विकल्प सरकार को दिया था। अब आंदोलनकारियों के समक्ष दो तरह की चुनौती खड़ी हो गई है पहला सांभर फुलेरा को जिला घोषित करवाना तथा यदि फिलहाल ऐसा नहीं होता है तो  दूसरा सांभर फुलेरा को जयपुर ग्रामीण में नहीं बल्कि जयपुर शहर में ही यथावत रखने की मांग को पूरा करवाना। 

यह बताना जरूरी है फुलेरा विधानसभा के 15 साल से लगातार विधायक निर्मल कुमावत ने इस आंदोलन से पूरी तरह से अपनी दूरी बना रखी है, उन्होंने विगत दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भी कहा था कि 6 माह बाद जब भाजपा की सरकार आएगी तो सांभर फुलेरा जिला बनेगा ऐसी उनकी बात पार्टी के पदाधिकारियों से भी हुई है। फिलहाल आंदोलन में प्रमुख रूप से शामिल भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला देहात अध्यक्ष दीनदयाल कुमावत, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याधर चौधरी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के मानाराम ठोलिया ने आज फिर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार को चेतावनी दे डाली कि सांभर फुलेरा जिला बनने तक आंदोलन जारी रहेगा और जयपुर तक इस आंदोलन को लेकर जाएंगे। 

सरकार की सद्बुद्धि के लिए देवयानी तीर्थ स्थल स्थित सभी मंदिरों की परिक्रमा करते हुए व सभी देवी देवताओं के धोक लगाकर गांव गांव में जाकर अब आंदोलन को खड़ा करने का नया रूप देंगे। वही इस मामले में सोशल मीडिया पर सांभर दूदू को संयुक्त जिला बनाए जाने को लेकर लोगों की ओर से कोई प्रत्यक्ष रूप से प्रतिक्रिया भी नहीं दी गई वही सांभर फुलेरा को जयपुर जिले में ही क्यों रखा जाए, इस बारे में भी खुलकर कोई राय ठोस तरीके से सामने नहीं आ सकी, अलबत्ता यह जरूर बताया गया कि जयपुर जिले में रखने से भविष्य में सांभर जिले की मांग कर सकता है और सांभर-दूदू संयुक्त शामिल हो गया तो फिर जिले की मांग हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी। 

अब देखना यह है कि प्रदेश के मुखिया अधिसूचना जारी होने तक क्या कोई नई जादूगिरी दिखाएंगे या सांभर उप जिला को क्या नई सौगात देकर सांभर को जिला बनाने की सात दशकों से चली आ रही इस मांग को किसी भी रूप में पूरा करेंगे। इस संबंध में आम जनता से वह कुछ बुद्धिजीवियों से बात की गई तो उनका कहना है कि वर्ष  1952 के बाद से सांभर को जिला बनाने की मांग वर्ष 2022 तक लगातार चली है, लेकिन वर्ष 2023 में कथित राजनीति के चलते सांभर फुलेरा संयुक्त रूप से जिला बनाने का नया आंदोलन चल पड़ा और प्रबल समर्थन के बावजूद भी इसमें भी असफलता ही हाथ लगी, इसका मुख्य कारण राजनीतिक गुटबाजी, प्रदेश के मुखिया तक सीधी पकड़ का अभाव एवं पॉलीटिकल प्रेशर पूरी तरह से शून्य होना इस विधानसभा क्षेत्र का दुर्भाग्य रहा है।