लेखिका : ममता सिंह राठौर
कानपुर (यूपी)
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मोहब्बत लिखा तो पूछा यह क्या लिखा
नफरतों में यही सवाल किसके लिए लिखा
अरे बाबा लिखने दीजिए ख़ुद से जीने दीजिए
मन के विस्तृत आंगन में आने_जाने दीजिए
अनुभवों के रंग से जिंदगी रगने दीजिए
अरे बाबा जिंदगी के स्वाद को चखने दीजिए
हदों के पार का ख़ामोश देखिए
मोल_तोल के बीच का झोल देखिए
अरे देखिए तो सही जिंदगी का कड़वा कठोर देखिए
कदम भी अपना सफर भी अपना चलते चलिए
कही_सुनी कुछ_तुड़ी मुड़ी मीठी खट्टी मिली जुली
यह जिंदगी किसकी खातिर ,मन के माफिक कौन है साथी