लघु कथा : भिखारी

लेखिका : डॉ सुधा जगदीश गुप्त 

कटनी, मध्य प्रदेश 

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महंँगाई के दौर में अधिकांश सवारी बस से ही यात्रा करती हैं। इसी कारण बस स्टैंड में टिकट विंडो पर बहुत भीड़ थी। ऐसी भीड़ भड़क्कम में भिखारी भी अपना धंधा खूब चमकाते हैं। 

एक भिखारी भीख मांँग रहा था। बहुत से लोगों ने एक-एक, दो-दो, पांच-पांच, के सिक्के उसके कटोरे में डाले। देखते ही देखते उसके कटोरे में काफी पैसा इकट्ठा हो गया। भिखारी ने बस टिकट की लाइन को हंँसते हुए देखा और प्राइवेट टैक्सी करके आराम से अपनी मंजिल पर निकल गया। (लेखिका का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)