आधुनिक भारत के ध्वजवाहक थे स्व. राजीव गाँधी : डॉ. सत्यनारायण सिंह

21 मई पुण्य तिथि पर विशेष 

लेखक : डॉ. सत्यनारायण सिंह

लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी है 

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राजीव गांधी एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने अपने महत्वपूर्ण फैसलों से भारतीय राजनीति को नई दिशा दी और बुनियादी फैसले किये। मात्र पांच वर्ष के शासनकाल में एक कुशल शासक के रूप में सामने आये। उन्होंने पार्टी हितों के बजाए सदैव राष्ट्रहितों को प्राथमिकता व महत्व दिया। वे हर कार्य शांति व सहमति से करने के पक्ष में थे। शांति, सहमति और सद्भाव की इस नीति को उन्होंने राष्ट्रीय ही नहीं अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर भी विस्तार दिया। 

राजनीतिक क्षेत्र में भष्ट्राचार को मिटाने के लिए, ’आया राम गया राम‘ की सौदेबाजी, भ्रष्टाचार को रोकने हेतु दल-बदल विधेयक प्रस्तुत किया। विधेयक प्रस्तुत करने से पूर्व विपक्ष से परामर्श किया उनके अनेक सुझाव भी स्वीकार किये। राजीव के प्रयत्नों के फलस्वरूप विधेयक सर्व सम्मति से पारित हो गया। राजनीतिक जीवन में घुस आये भ्रष्टाचार के उन्मूलन की दिशा में पहला प्रयत्न था। 1985 में कांग्रेस के बम्बई अधिवेशन में सत्ता के दलालों को निकाल बाहर करने और नौकरशाही को भ्रष्टाचार से मुक्त करने की घोषणा की और इस और सफल प्रयास किये। 

उनका सर्वाधिक क्रांतिकारी कदम था। युवाओं को 21 वर्ष के स्थान पर 18 वर्ष की आयु वर्ग को मतदान (वोटिंग) का अधिकार प्रदान करना था। आधुनिक विकास के अग्रदूत राजीव गांधी लोकतंत्र को नयी सार्थकता देने वाले स्वप्न दृष्टा थे। भारत में कम्प्यूटर और संचार क्रांति का सूत्रपात वस्तुतः राजीव गांधी ने किया। इस क्षेत्र में आज जो कुछ भी देख रहे है। उसी का विस्तृत रूप में वर्ष 1985 स्वयं राजीव गांधी ही जनसंचार के केन्द्र बने। उस समय वर्तमान सत्ताधारी दल तो बैलगाड़ियों में बैठकर विरोध में पार्लियामेन्ट हाऊस गया था। राजीव गांधी राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से संचार माध्यमों को सशक्त बनाना चाहते थे। कम्प्यूटर क्रांति के क्षेत्र में उनकी दूरदर्शिता का अनुमान करना अब सहज हो गया। कम्प्यूटर को केवल शौक व रोजगार समाप्त करने वाला कदम बताने वाले आज के नेता अब जिन्दगी का आवश्यक अंग मानने लगें है। कम्प्यूटर ठप्प हो जाये तो विकास कार्य रूक जाएगा। इलेक्ट्रानिक फोन की सुविधा मोबाइल, टी.वी., राजीव गांधी की सोच का परिणाम है जिसने गांव-गांव से संचार क्रांति की है। राजीव गांधी ने 21 वीं सदी के भारत की जो कल्पना की थी उनकी कल्पना वर्तमान में साकार हो गई। 

राजीव गांधी समस्याओं का समाधान व विकास नीचे से शुरू करना चाहते थे। सत्ता व अधिकारों का विकेन्द्रीकरण चाहते थे। उन्होंने स्थानीय संस्थाओं व पंचायतों को सशक्त करने व अधिकार देने के लिए संविधान संशोधन 73 व 74 कराकर महत्वपूर्ण कदम उठाया। राजीव गांधी ने लगातार दूरदराज के गांवो, पिछड़े व आदिवासी क्षेत्रों का दौरा किया और नई जागृति पैदा की। 

राजीव गांधी को पूरे देश पूरे समाज और व्यक्ति के आत्म सम्मान की चिन्ता थी, इसलिए वे चहुमुखी विकास पर नजर रखे हुए थे। उन्होंने धार्मिक भेदभाव, साम्प्रदायिक वैमनस्य जैसी समस्थाओं के निराकरण हेतु कदम उठाये और लोगों के दिल में सहभावना के प्रतीक बन गये। उन लोगों के विरूद्ध जो जाति  और धर्म के नाम पर गरीबों का शोषण करते है, वैचारिक युद्ध प्रारम्भ किया। उन्हें बोफर्स तोप सौदे के नाम पर बदनाम किया गया परन्तु भारत में बोफोर्स तोपें कारगिल युद्ध के दौरान सर्वाधिक सफल तौप साबित हुई व भारत की विजय हुई। 

राजीव गांधी की सोच के अनुसार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गांव-गांव में राजीव गांधी पाठशालाओं की स्थापना की व युवाओं को रोजगार प्रदान हुआ, निर्धन की झौपड़ी में साक्षरता का दीपक जला। राजीव गांधी ने देश की अर्थव्यवस्था में कालेधन की वृद्धि की रोकथाम हेतु कदम उठाये। अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। 1985 का बजट राजीव गांधी की विचारधारा का स्पष्ट धोतक है। प्रसिद्ध उद्योगपति के.के. बिरला ने अपनी पुस्तक में अंकित किया है ”यदि उनकी नीतियों पर दृढ़ता से अनुसरण किया जाय तो देश सभी दिशाओं में तीव्रता से प्रगति करेगा। 21 वीं सदी का स्फुर्ति और उत्साह से सामना कर सकेगा।“ 

राजीव ने गृह नीति सुदृढ़ बनाई। कश्मीर, पंजाब समस्या हल करने का प्रयास किया व सफल हुए। पंजाब में विदेशी शक्तियों के कदम छदम रूप से शामिल थें। असम समस्या सुलझाई, मिजोरम की समस्या का समाधान किया। श्रीलंका में चल रहे लिट्टे और सिंधलियों के बीच युद्ध को शान्त करने के लिए राजीव ने भारतीय सेना को श्रीलंका में तैनात किया। 

राजीव गांधी ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा था ”जातिवाद, साम्प्रदायिकता व संर्कीणता के विरूद्ध संघर्ष करें। हर युवा को शिक्षा, नौकरी व वोट डालने का अधिकार मिलना चाहिए।“ उन्होंने दृढ़ शब्दों में कहा था ”भारत इलैक्ट्रानिक्स की दौड़ में नम्बर एक पर लाया जाएगा।“ हम ऐसे लोगों को तैयार करें जो उन तमाम मैकेनिज्म का उपयोग करें, जिससे आधुनिक विश्व में कई ऊंचाई छू सके, हम आईआईटी जैसे शिक्षा संस्थान बनायेंगे। हम ऐसे युवाओं को प्रशिक्षित करेंगे जो तकनीकी विशेषकर टेलिकम्यूनिकेशन व्यवस्था में क्रान्तिकारी परिवर्तन लायेंगे। तकनीक को आगे बढ़ाने में राजीव गांधी ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। आज हमारे देश में ऑटोमोबाइल उद्योग ने जो ऊंचाईया हुई है, उसका श्रेय राजीव गांधी को जाता है। सेटेलाइट संचार उपग्रह सामान्य जनता की प्राथमिकता एवं आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बना। प्रसिद्ध स्तम्भकार खुशवंत सिंह ने उनके प्रधानमंत्री बनने पर कहा था ”राजीव गांधी की ताजपोशी इस देश की सर्वोत्कृष्ट घटना है“ और लिखा “निगाह बुलन्द शुकून दिल, जवान जान पर सोज यही है, रखते सफर मेरे कांरवा के लिए“।

विश्व खेलो मे भारत की भागीदारी बढ़ाने के लिए उन्होंने एशियाड का सफलता पूर्वक आयोजन कराया। भारत में रंगीन टीवी निर्माण कर टीवी कवरेज पहुंचाने का शुभारम्भ राजीव की देन है। इन्टरनेशनल टूर्नामेन्ट हुए, स्टेडियम बने, खेलगांव बना, बजट प्रावधान बढ़ा। “स्थानीय संस्थाओं व पंचायतराज संस्थाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण किया। प्रशासनिक व्यवस्था में लक्ष्य प्राप्ति का उद्देश्य संचारित किया। मानव संसाधन विकास विभाग सृजित कर रोजगार, जनसंख्या, स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा जीवन स्तर सुधार को प्राथमिकता दी। राजीव गॉंधी सूचना तकनिकी के प्रणेता बन गये।  आज भारत ने विज्ञान व तकनीकी  क्षेत्र में जो उपलब्धियॉ प्राप्त की हैं उससे अन्तर्राष्ट्रीय  वैज्ञानिक जगत भी चकित हैं। देष में सूचना, संचार, उन्नत प्राद्योगिकी को ऊॅंचाईयों तक ले जाने वाले, देष को टी.वी., कम्प्यूटर, मोबाईल, इन्टरनेट, औद्योगिक  उत्पादन, प्रबन्ध कौषल, परिवहन एवं नगरीय  विकास की आधुनिक प्राविधि प्रदान कर बहुत कम समय में भारत को विकासषील देष से विकसित देष की ओर ले जाने वाले राजीव गॉंधी ही हैं।  पहले विज्ञान शब्द का प्रयोग मात्र प्राकृतिक विज्ञान से  था। परन्तु राजीव गांॅधी  ने सामाजिक विकास में प्राकृतिक विज्ञान और प्राविधि की बहुमुखी भूमिका को प्रोत्साहन दिया। 

पूर्व में शोधों पर जो कार्य एवं व्यय हुआ उसका विकास के कार्यक्रमों और प्राथमिकताओं  से तालमेल नहीं था, वैज्ञानिकों को षिकायत रही कि उनकी प्रतिभा और विषिष्ठ ज्ञान का उपयोग नहीं किया जा रहा। आयातित प्राविधियों पर  निर्भर रहने की प्रवृति रही, राष्ट्रीय हित का व्यापक दृष्टिकोण नहीं रहा। यह नहीं समझा गया कि षोध और आर्थिक आयोजन में घनिष्ठ सम्बन्ध  है व निजी विधाओं के विकास के आधार पर देष को उन्नति के षिखर पर ले जाना है। 

राजीव गॉंधी ने इस महत्वपूर्ण दृष्टिकोण को  अपनाया और उनके प्रधानमंत्रित्व कार्यकाल में इस दिषा में हमारे देष में वैज्ञानिक व प्राविधिक संस्थानों  के द्वारा  काफी  काम हुआ।  विज्ञान अकादमियॉं बनी जो अपने अपने स्तर पर महत्वपूर्ण कार्यकर रही हैं।  राजीव गॉंधी ने  महसूस करा दिया  कि देष की समस्याओं के समाधान में वैज्ञानिकों का योगदान महत्वपूर्ण है। शोध और विकास का बजट बढ़ाया गया जिससे कृषि, भारी उद्योग, उर्जा, सुरक्षा आदि राष्ट्रीय अर्थ व्यवस्था के प्रमुख घटकों में आत्म निर्भरता में सहायक हुई। वैज्ञानिक एवं तकनीषियन राष्ट्र निर्माण के कार्याें में ज्यादा उत्साह व उमंग से भाग लेने लगे, उन्होंने इन  संस्थाओं के प्रषासनिक ढांॅचे में  भी बदलाव किया और स्पष्ट किया कि ’’विज्ञान विकास के लिए हैं’’ ’’सेटेलाइट संचार उपग्रह’’ सामान्य जनता की प्राथमिकता आवष्यक आवष्यकताओं को पूरा करने के लिए ही है। हमारे वैज्ञानिकों को उर्जा के नये स्त्रोत खोजने के लिए प्रोत्साहित किया गया। निराशा को आशा में बदला गया। (विश्व व्याप्त उर्जा संकट ने हमारी प्रगति की रफ्तार को भी रोका है)।

देश के प्रसिद्ध उद्योगपति ने आर. टाटा ने राजीव गांधी से आर्थिक विकास योजनाओं पर चर्चा के पश्चात कहा था ”वे आज तक राजीव गांधी जैसे असाधारण व्यक्ति से नहीं मिले वे ईमानदारी से उत्पादन व गुणवता, उद्योगो में मानवीय सम्बन्ध और औद्योगिक परोपकार चाहते है। उद्योग व कृषि में तकनीकी विकास, कम्प्यूटरीकरण, दैनिक जीवन में विज्ञान व तकनीकि उपलब्धि, मूल वैज्ञानिक अनुसंधान, निर्यात पर बल, उदारवादी नीतियां, प्रबन्धन में सहभागिता प्रारम्भ हुई है। मुझे मरूस्थलीय व आदिवासी क्षेत्रों में उनके साथ रहने, लम्बी वार्तालाप करने का सौभाग्य मिला। मेरी दृष्टि से राजीव गांधी जैसा कोई नहीं। केदारनाथ की पंक्तिया समीचीन है मैने उनको जब-जब ”देखा लोहा देखा, लोहा जैसे तपते देखा, ढलते देखा, गोली जैसा चलते देखा।“ (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)