उस्ताद अली-गनी को मांड गायन के लिए मिला राज्य स्तरीय सम्मान

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जयपुर। शिक्षा, कला, साहित्य और संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने राजस्थानी मांड गायक जोड़ी और 50 से अधिक फिल्मों और राजस्थानी गीतों के 70 एलबम में संगीत देने वाले उस्ताद अली-गनी को यहां ओटीएस के भगवत सिंह मेहता सभागार में आयोजित समारोह में राज्य स्तरीय सम्मान प्रदान किया। इस अवसर पर राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ दुलाराम सहारण, प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ हेतु भारद्वाज और प्रसिद्ध आलोचक डॉ. अपूर्वानंद भी मौजूद थे। 

बीकानेर के तेजरासर ग्राम के मूल निवासी अली-गनी ने अपने पिता उस्ताद सिराजुद्दीन खान, उस्ताद मुनव्वर अली खान और उस्ताद बडे़ गुलाम अली खान से संगीत की शिक्षा ली। संगीत भूषण और राजस्थान संगीत अकादमी से कला पुरोधा सम्मान, पद्म अल्लाह जिलाई बाई अवार्ड, पंडित चिरंजीलाल तंवर अवार्ड, बीकानेर गौरव अवार्ड से सम्मानित उस्ताद अली गनी ने राजस्थानी मांड गायन को देश और दुनिया में लोकप्रिय बनाया। 

इस संगीत जोड़ी ने 1982 में बॉलीवुड में प्रवेश किया। प्रतिष्ठित गायक पंकज उधास, चन्दनदास, इला अरुण, अल्का याग्निक, हंसराज हंस, अनुराधा पौडवाल के गीत एलबम को आपने संगीतबद्ध किया। अली-गनी ने राजस्थानी लोकगीतों के 2 दर्जन से अधिक एल्बम में संगीत दिया जो बहुत लोकप्रिय हुए और आज भी लोगों के कण्ठों में अपने स्मृति संजोए हुए हैं।

अली गनी ने मिट्टी, मिस्टर कबाड़ी, हम तुम दुश्मन दुश्मन, मेरा साया साथ होगा, मैं तेरे इश्क में, टेंशन दूर, पहली नजर का प्यार जैसी हिंदी फिल्मों में संगीत दिया। आपने राजस्थानी और पंजाबी फिल्मों में भी संगीत निर्देशन किया। देश के तमाम महानगरों के रेडियो और टेलीविजन पर आपकी मधुर मांड गायकी के कार्यक्रम समय-समय पर प्रसारित हुए।