किस्सा फिल्म “केरल स्टोरी” का...!

लेखक : लोकपाल सेठी

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक 

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लगभग डेढ़ दशक पूर्व केरल के कुछ समाचार पत्रों में ऐसी खबरे छपी जिनका शीर्षक था केरल में “लव जिहाद”। इनमें विस्तार से लिखा गया था कि राज्य में  हिन्दू और ईसाई समुदायों की भोली भाली लडकियों को किस प्रकार से मुस्लिम युवकों द्वारा अपने प्रेम जाल में फंसा कर उन्हें मुसलमान बनने पर मजबूर किया जा रहा है। ख़बरों में यह भी कहा गया था कि यह सब एक योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है। इसके पीछे सिमी जैसे कुछ कट्टरपंथी संगठन है जो चाहते है के राज्य की मुस्लिम आबादी में इजाफा हो और एक दिन समुद्र तट पर बसे केरल राज्य को एक स्वतन्त्र इस्लामिक स्टेट घोषित किया जा सके। यह भी खबरे छपीं कि राज्य के कुछ मुस्लिम युवक इराक और अफगानिस्तान में जाकर तालिबानों के साथ मिलकर इस्लामिक स्टेट की लड़ाई में हिस्सा ले रहे है। ऐसे भी मामलों की ख़बरें छपीं जिनमें वहां गए केरल के कट्टरपंथी युवकों के साथ वे युवतियां भी शामिल है जिन्हें इन युवको ने पहले प्रेम जाल में फंसाया और फिर शादी के बाद उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए कहा। विदेश मंत्रालय ने बाकायदा ऐसे युवक औरयुवतियो लिस्ट भी जारी की।

शुरू में केरल के कुछ राजनीतिक दलों और मुस्लिम धार्मिक संगठनो ने इन ख़बरों को परले सिरे से ख़ारिज कर दिया। लेकिन  इसके बाद जब लगातार ऐसे मामले सामने आने लगे तो राज्य की पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने पाया कि ये घटनाएँ काफी हद तक सही है। इसके बाद लव जिहाद शब्द को    राष्ट्रीय अख़बारों ने भी उपयोग करना शुरू कर दिया। राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने पाया कि यह सब के योजना का अंतर्गत हो रहा है तथा इसके पीछे कट्टर पंथी  मुस्लिम संगठनों का सीधा हाथ है। राज्य में  मुस्लिम आबादी कुल आबादी का 26 प्रतिशत है और जिस दिन यह आबादी 35-40 हो जायेगी केरल को मुस्लिम देश घोषित कर दिया जायेगा। केरल में केन्द्रित और प्रतिबंधित पोपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया ने खुले रूप से कहा था की वे एक दिन केरल ऑफ़ एक स्वतन्त्र देश होते देखना चाहते है।

बाद के कुछ सालों या तो इस तरह के लव जिहाद की खबरें कम हो गई या समाचार पत्रों ने इस ओर अधिक ध्यान देना बंद कर दिया। लेकिन हाल ही में  सिनेमाँ घरों में रिलीज़ हुई फिल्म केरल स्टोरी के बाद इस मुद्दे पर एक बार फिर बवाल हो गया है। फिल्म केरल में हुई लव जिहाद की घटनाओं पर केन्द्रित है। इसके निर्माताओं का कहना है कि फिल्म सच्ची घटनाओं को लेकर बनायीं गई है। रिलीज़ होने से पूर्व ही इस पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग होने लगी। मामला केरल हाई कोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय तक गया लेकिन दोनों जगह इस बारे मनीं दाखिल की गई याचिकाएं ख़ारिज कर दी गई। कई दिनों तक इसको फिल्म को लेकर अख़बार में सुर्खिया छाई रही। इसके विरोधियों ने इसकी फिल्म कश्मीर फाइल से तुलना करके प्रोपेगंडा फिल्म घोषित कर दिया। 

उनका कहना था कि जो फिल्म में दिखलाया गया है ऐसा कुछ केरल में कभी नहीं हुआ। उधर इसके समर्थको ने इसे अच्छी फिल्म बताया और कहा कि सच्चाई सामने आने के बाद कट्टरपंथी और उनके समर्थक बौखला गए है। दिल्ली में जवाहर  लाल नेहरु यूनिवर्सिटी में कुछ छात्र संगठनों ने इस फिल्म को दिखाया।  यह अलग बात है ऐसा पुलिस की तैनाती के बाद हो सका। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो कर्नाटक विधान सभा में चुनाव अभियान के दौरान इस फिल्म की  सराहना की और कहा कि यह सच्चाई सामने का एक अच्छा प्रयास है। फिल्म के निर्माताओं को कहना है कि एक लम्बी रिसर्च के बाद ही फिल्म की पटकथा लिखी गई। प्रभावित परिवारों से मिला गया और वास्तविकता जानी गई। उनका दावा है कि केरल में इस लव जिहाद के जरिया कम से कम 32 हज़ार हिन्दू और ईसाई युवतियों को मुसलमान बनाया गया है। लेकिन उन्होंने तीन युवतियों केन्द्रित कर फिल्म बनाई। 

जिस दिन यह फिल्म रिलीज़ हुई उस दिन केरल में कुछ स्थानों पर इसका विरोध हुआ लेकिन कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। लेकिन दो दिन बाद ही तमिलनाडु  के मल्टीप्लेक्स तथा सिनेमाघरों ने इसे दिखाना बंद कर दिया। ऐसा कहा जा रहा है कि ऐसे कि तमिलनाडु की द्रमुक सरकार के दवाब में किया गया। उधर मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ने इस फिल्म को मनोरंजन कर से मुक्त कर दिया। हालाँकि इसे कम स्क्रीनों पर रिलीज़ किया गया लेकिन जहाँ भी रिलीज़ हुई इसे दर्शकों का अच्छा रेस्पोंसे मिला। इसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पहले दिन से अच्छा रहा। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)