फेल्मिगोंज पक्षियों को गर्मी में भी रास आ रही है लवणीय सांभरझील

अंतरराष्ट्रीय फ्लेमिंगो दिवस पर सांभर झील खास रिपोर्ट

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील। दुनियाभर में आज का दिन अंतरराष्ट्रीय फ्लेमिंगो दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। प्रसिद्ध अमेरिकी पक्षी वैज्ञानिक और चित्रकार जॉन जेम्स ओडुबोन के जन्मदिन को दो साल पहले ही अंतरराष्ट्रीय फ्लेमिंगो दिवस घोषित किया गया था। सांभर के पक्षी प्रेमी व वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर लक्की सोनी ने बताया कि नागौर जिले का शुभंकर राजहंस यानी फ्लेमिंगो वैसे तो ठंडे प्रदेशों का पक्षी है, लेकिन जयपुर जिले की सांभर लेक और नागौर जिले के डीडवाना एरिया में हर साल यह प्रवासी पक्षी प्रवास करने के लिए हजारों किलोमीटर दूर से चले आते हैं। हर साल हजारों की तादाद में लेसर फ्लेमिंगो और ग्रेटर फ्लेमिंगो सुदूर ठंडे इलाकों से यहां आते हैं, जो सिलसिला कई दशकों से जारी है। सांभर लेक और डीडवाना का वेटलैंड इनका पसंदीदा क्षेत्र इसलिए बना हुआ है कि इन दोनों स्थानों पर इनको अपना पसंदीदा ग्रीन एल्गी बहुतायत और आसानी से उपलब्ध हो जाती है। 

सांभर और डीडवाना दोनों ही खारे पानी की झीलों की वजह से अपनी पहचान रखते हैं और यही खारे पानी की झीलें हर साल इन प्रवासियों को यहां खींच लाती है। फ्लेमिंगो ऐसी प्रजाति है जो विलुप्त होने के नजदीक पहुंच रही है। पक्षी प्रेमी त्रिलोक चंद सैनी ने बताया कि ऐसे में आज का दिन जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंटरनेशनल यूनियन फ़ॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर संस्था के फ्लेमिंगो स्पेशलिस्ट ग्रुप द्वारा प्रसिद्ध अमेरिकी पक्षी विज्ञानी और चित्रकार के जन्मदिन को अंतरराष्ट्रीय फ्लेमिंगो दिवस के रूप में मनाया जाना शुरू किया गया।

पक्षियों को संरक्षित करने की पहल : यह शुरुआत इसलिए कि गई ताकि इन खूबसूरत पक्षियों को संरक्षित किया जा सके इनकी सुरक्षा की जा सके। फ्लेमिंगो एक शर्मिला पक्षी माना जाता है जो अपने आसपास कोई भी मानवीय गतिविधि पसंद नहीं करता यही कारण है कि इनके क्षेत्रो में अगर कोई मानवीय दखल बढ़ता है तो यह वहां से उड़ान भर लेते हैं। ऐसे में अगर इनके हेबिटेट एरिया को संरक्षित किया जाए तो इस प्रजाति को विलुप्त होने से बचाया जा सकता है। फ्लेमिंगो अमूमन सर्दियों के दिनों में कम सर्दी वाले इलाकों में प्रवास करते हैं। अपने नेटिव एरिया में सर्दी ज्यादा होने की स्थिति में यह औसतन कम ठंडे प्रदेशों की और रुख करते हैं, लेकिन 5 -6 सालों में इनके पैटर्न में बदलाव दर्ज किया गया है। 

पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र : अनेक प्रजातियों की प्रवासी पक्षी देसी विदेशी पर्यटकों के अलावा पक्षी विशेषज्ञों व पक्षी प्रेमियों के लिए भी खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। अभी प्रमुख रूप से संत दादू दयाल की छतरी के पास, खटीको की हताई के नजदीक झील के पास,झपोक क्षेत्र सहित गुढा शर्ट की जाब्दी नगर इलाकों में इनकी मौजूदगी बनी हुई है।