दूदू के बजाय दूद-सांभर संयुक्त नाम से जिले पर लग सकती है मुहर

मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद अटकलों का बाजार गर्म

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील (जयपुर)। भौगोलिक व प्रशासन दृष्टि से पूरी तरह प्रतिकूल होने के बावजूद प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत की ओर से ग्राम पंचायत दूदू को जिला घोषित कर देश में एक नया कीर्तिमान स्थापित तो जरूर कर दिया है लेकिन सात दशक पुरानी सांभर को जिला बनाने की मांग का फिलहाल एक प्रकार से दुखद पटाक्षेप ही कर दिया है, अब सांभर को जिला घोषित करवाने के सपने तब ही साकार हो सकते हैं जब यहां के विधायक, कांग्रेस के विधायक उम्मीदवार और जयपुर ग्रामीण सांसद तीनों एकजुट होकर प्रबल तरीके से इस मांग को जनहित में उठाते हुए एक ठोस आंदोलन का ऐलान करें तथा सांभर को जिला बनाने के लिए पुनर्विचार कर (नवीन जिला) ग्राम पंचायत दूदू को इसमें शामिल किया जाए। इसके अलावा एक नए सिरे से इन तीनों प्रमुख नेताओं को एक ठोस नेतृत्व के साथ कदम उठाए जाने की खास जरूरत है। 

सांभर को जिला घोषित करवाने के लिए क्षेत्र के आमजन और व्यापारिक वर्ग की ओर से अब तक दिया गया प्रबल समर्थन फिर से हासिल किए जाने की जरूरत है। इस नेतृत्व में सांभर के अधिवक्ता समूह को विधिक प्रक्रिया की जानकारी एवं सरकार पर दबाव बनाने के लिए सौ फ़ीसदी साथ लिया जाना जरूरी है। अधिवक्ताओं ने अपनी ताकत एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल सरकार से पारित करवाकर प्रदेश में दिखा दी है इसलिए इस मजबूत समूह को जोड़ना और इसी प्लेटफॉर्म के जरिए रणनीति को तैयार करवाना काफी लाभदायक साबित हो सकता है। यह बताना जरूरी है कि सांभर को जिला बनाए जाने के पक्ष मे यूं तो सांभर की सैकड़ों हस्तियां प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से साथ लगी हुई है, लेकिन इसके बावजूद सकारात्मक परिणाम निकल के सामने क्यों नहीं आ रहे हैं इस पर भी मंथन किए जाने की जरूरत है। 

विगत दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात के बाद शिष्टमंडल को जो आश्वासन मिला उसके बाद अब खुले तौर पर आंदोलन तो दिखाई नहीं दे रहा है लेकिन क्षेत्र के लोग आश्वस्त हैं कि प्रदेश के मुखिया सांभर के पक्ष में जरूर कोई अच्छा फैसला लेंगे। माना जा रहा है कि सर्वप्रथम सांभर को जिला बनाने की मांग यदि किसी कारणवश पूरी होना संभव नहीं होती है तो फिर सांभर को जयपुर जिले में रखा जाए इसके पक्षधर भी अधिक हैं। अब चर्चाओं का बाजार यह भी गर्म है कि सांभर फुलेरा संयुक्त रुप से जिला नहीं बन सकता तो फिर दूदू सांभर संयुक्त रूप से नाम जोड़कर इस की नई घोषणा की जाए। 

कयास लगाए जा रहे हैं कि जिस प्रकार से प्रदेश में नवीन जिलों के गठन के पश्चात विरोध के स्वर गूंज रहे हैं उसको देखते हुए सरकार पर काफी दबाव बताया जा रहा है और इसी का फायदा सांभर को भी मिल सकता है बशर्ते इसके लिए ठोस पॉलिटिक्स, सकारात्मक आंदोलन, जोश और जुनून के साथ बेहतर नेतृत्व सांभर को जिला बनाने के लिए पूरे दमखम के साथ मांग फिर से उठाई जाए, अन्यथा सांभर का भविष्य आने वाले समय में क्या रूप लेगा यह फिलहाल राजनीतिक तौर पर भी कहना मुश्किल है। नए जिलों के संबंध में विरोध के स्वर के बाद अब कयास लगाया जा रहा है कि सरकार दूदू सांभर संयुक्त नाम से जिला घोषित कर उसके अस्तित्व को कायम रख सकती है। फिलहाल क्षेत्र वासियों की निगाहें मुख्यमंत्री के आश्वासन पर ही टिकी हुई है।