लेखक : लोकपाल सेठी
(वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक)
www.daylife.page
लगभग छः महीने पहले जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्या के आरोप में आजीवन सजा भुगत रहे ए जी पेरारिवलन को जेल में लगातार अच्छे व्यवहार के चलते पूर्व सर्वोच्च न्याययालय ने एक आदेश जारी करे रिहा किया जाने का निदेश दिया तभी लग रहा था कि देर सवेर उसके अन्य 6 साथियों को भी, जो पिछले लगभर तीस सालों जेल के सलाखों के पीछे हैं, इसी आधार पर जेल से रिहा कर दिया जायेगा। आखिर 11 नवम्बर को न्यायालय लगभग इसी आधार पर उनको रिहा किये जाने का आदेश पारित कर दिया। न्यायालय का कहना था कि इतनी लम्बी अवधि के बाद इन लोगों को जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है। यह भी कहा कि जेल की अवधि में इनका न केवल व्यवहार अच्छा था बल्कि इन लोगो ने पढ़ाई भी की तथा तथा वही रहते हुए कई समाज सेवा के काम भी किये। इसके अलावा इन में से तीन का स्वास्थ्य भी ख़राब चल रहा था।
तमिलनाडु की तमिल आस्था वाले दो प्रमुख राजनीतिक दल, सत्तारूढ़ द्रमुक और विपक्षी अन्नाद्रमुक, जो काफी समय से राजीव गाँधी के इन हत्यारों के रिहाई की मांग कर रहे थे, ने इस निर्णय का स्वागत किया। उधर देश के दो प्रमुख दलों, कांग्रेस और बीजेपी, ने न्यायालय के इस निर्णय का स्वागत नहीं किया है। इन दोनों दलों का कहना था कि इस रिहाई से सकारात्मक सन्देश नहीं जायेगा।
लगभग तीन दशक पूर्व तमिलनाडु के पेराम्बंदूर नामक स्थान, जहाँ राजीव गाँधी एक चुनावी र्रैली को संबोधित करने गए थे, तो एक मानव बम विस्फोट में उनके साथ साथ 14 और और लोगों की घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गयी थी। कई अन्य लोग घायल हुए थे। तब श्रीलंका में लिबरेशन टाइगर ऑफ़ तमिल इलम (लिट्टे) द्वारा वहां के जाफना प्रदेश को अलग तमिल देश बनाये जाने का संघर्ष चरम पर था। राजीव गाँधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इस मुद्दे पर एक समय वहां की सरकार का साथ दिया था। इसी से नाराज़ लिट्टे के नेतृत्व ने राजीव गाँधी की हत्या का षड़यंत्र रचा था। इसमें जाफना के लिट्टे के कुछ लोग तथा तमिलनाडु में उनके कुछ समर्थक शामिल थे। जाफना के एक युवती धनु के पेट पर बम बंधकर राजीव गाँधी की सभा में भेजा गया था। जब वे लोगों से मिल रहे थे और भीड़ में खड़ी धनु के पास से गुजरे तो धनु उनको माला अपनाने के नाम पर उनके नज़दीक आई तथा बम का बटन दबा दिया।
विस्फोट इतना तीव्र था की राजीव गाँधी के शरीर के चिथड़े उड़ गए। इस जघन्य घटना के बाद अपराधियों की धर पकड़ में कुल 46 लोगों को गिरफ्तार किया गया। यह भी कहा जाता है कि लगभग एक दर्जन लिट्टे के लोगों ने, जो इस मामले से सीधे जुड़े थे, ने गरिफ्तारी से बचने के लिए आत्महत्या करली। बाद इन में गरिफ्तार किये गए कईयों को फांसी के सजा सुनाई गई। जिन लोगों को फांसी की सजा दी गई उनमे एक नई नई शादी वाला जोड़ा, नलिनी और मुगरन भी था। नलिनी तमिलनाडु से थी जब की मुरगन श्रीलंका के तमिल बहुल इलाके जाफना का था तथा लिट्टे का काडर था। ग्रिफतारी समय नलिनी गर्भवती थी तथा जेल में ही उसने एक लड़की को जन्म दिया था।
इन लोगों को फांसी के सजा सुनाये जाने के कुछ समय बाद से ही तमिलनाडु में तमिल आस्था की दुहाई देने देने वाले राजनीतिक तथा अन्य संगठनों ने उनकी फांसी के सजा रद्द किये जाने के मांग करनी आरम्भ कर दी। लगभग इसी समय गाँधी परिवार ने भी राजीव गाँधी के इन हत्यारों को न केवल माफ़ कर दिया तथा सरकार से अपील की कि इन्हें फांसी पर नहीं चढ़ाया जाये। प्रियंका गाँधी तो स्वयं जेल में जाकर नलिनी से मिली थी तथा परिवार की ओर से व्यक्तिगत रूप से माफ़ कर दिया था। इसके बाद सभी लोगों की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया।
लगभग चार वर्ष पूर्व, जब राज्य में अन्नाद्रमुक के सरकार थी, मंत्रिमंडल में एक प्रस्ताव पारित कर तत्कालीन राज्यपाल बनवारी लाल के प्रेषित किया गया। इसमें केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया था कि राजीव गाँधी के हत्या के आरोप में आजीवन सजा काट रहे 6 लोगों को मानवीय आधार पर रिहा किया जाये। लेकिन तब के राज्यपाल ने अपने सलाह के यह प्रस्ताव केंद्र को प्रेषित नहीं किया। उनके बाद इस पद आये आर एन रवि ने भी फाइल को दबाये रखा। आखिर ने सर्वोच्च न्यायलय ने यह कहते हुए कि राज्यपाल अनिश्चित काल तक इस मामले को नहीं टाल सकते इसलिए यह इन सबको रिहा किये जाने का निर्देश देता है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)