ठेके पर काम करने वाले सफाई कर्मचारियों में रोष, हड़ताल पर जाने से सफाई व्यवस्था पर पड़ा बुरा असर
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील (जयपुर)। पालिका प्रशासन की ओर से नगर में सफाई व्यवस्था के लिए छोड़ा गया टेंडर अब सफाई कर्मचारियों के लिए ही नहीं बल्कि खुद अधिशाषी अधिकारी के गले की हड्डी बन कर रह गया है। टेंडर कितने में छोड़ा गया, सफाई कर्मचारियों को किस आधार पर प्रति माह भुगतान किया जाना है, इस बात का खुलासा पालिका प्रशासन की ओर से आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि जिस फर्म को ठेका छोड़ा गया है उसकी ओर से भी इन सफाई कर्मचारियों को संतोषप्रद जवाब नहीं दिया जा रहा है।
जानकारी में आया है कि सांभर नगर पालिका में विभिन्न वार्डों में सफाई काम के लिए जिन 65 कर्मचारियों को जिनमें महिला कार्मिक भी शामिल है को ₹ 5000 प्रति माह दिया जा रहा है। पिछले 3 साल से इसी दर पर सफाई कर्मचारी ठेके पर काम कर रहे हैं, लेकिन इसमें चार रविवार का अवकाश का वेतन शामिल नहीं है। चर्चा यह भी है कि जिस फर्म ने यह ठेका छुड़वाया था उसका काम भी कोई और देख रहा है यानी उस काम में किसी पूर्व पार्षद को नियुक्त किया हुआ है, यह ठेकेदार की अपनी व्यवस्था हो सकती है लेकिन 2 माह से इनको भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है इस बारे में पालिका प्रशासन न तो ठेकेदार से पूछ रही है और न ही यहां के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि कोई सवाल जवाब कर रहे हैं।
इससे प्रतीत होता है कि इस काम में पालिका प्रशासन ने जिस आधार पर टेंडर छोड़ा था उसमें कुछ न कुछ गड़बड़ झाला तो जरूर मालूम पड़ता है, अन्यथा पालिका प्रशासन के हस्तक्षेप के बावजूद इतने लंबे समय से हड़ताल क्यों चल रही है, और क्यों ठेकेदार की ओर से इन्हें भुगतान नहीं किया जा रहा है। राजस्थान सफाई मजदूर काग्रेस की ओर से इस संबंध में अपनी पीड़ा का इजहार करते हुए तहसीलदार हरि सिंह राव से मिलकर इसमें सीधे हस्तक्षेप किए जाने के लिए अनुरोध किया है। इनकी मांग है कि ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों को सरकारी दर से इन्हें भुगतान किया जाए, नगर पालिका से ठेकेदार ने किस रेट पर टेंडर छुड़वाया था उसकी कॉपी सार्वजनिक चस्पा कर उन्हें बताई जाए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी जो भी हकीकत है वह सामने आ जाए। सफाई कर्मचारियों का आर्थिक और मानसिक शोषण किए जाने से यह सभी लोग काफी पीड़ित है तथा इनकी आर्थिक स्थिति भी कमजोर होने से इनके सामने गहरा संकट खड़ा हो गया है।
राजनीतिक दबाव भी इन पर डाले जाने की बात सामने आ रही है तो दूसरी तरफ सत्तापक्ष से जुड़े राजनेताओं व विपक्ष में बैठे जनप्रतिनिधि की भूमिका अदा करने वाले राजनेता भी महाभारत के संजय की तरह यह खेल देख रहे है। सभी वार्डों की सफाई व्यवस्था नियमित रूप से संभव नहीं हो पा रही है जगह-जगह गली मोहल्लों में कचरा देखने को मिल जाएगा। जानकारी करने पर बताया जा रहा है कि पालिका प्रशासन ने इसमें सीधे हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है तथा बताया जा रहा है कि ठेकेदार और सफाई कर्मचारी ही आपस में मिलकर अपनी समस्या का समाधान खुद करें।
इसी संदर्भ में राजस्थान सफाई मजदूर काग्रेस की ओर से इस संबंध में अपनी पीड़ा का इजहार करते हुए तहसीलदार हरि सिंह राव से मिलकर इसमें सीधे हस्तक्षेप किए जाने के लिए अनुरोध किया है। इनकी मांग है कि ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों को सरकारी दर से इन्हें भुगतान किया जाए, नगर पालिका से ठेकेदार ने किस रेट पर टेंडर छुड़वाया था उसकी कॉपी सार्वजनिक चस्पा कर उन्हें बताई जाए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी जो भी हकीकत है वह सामने आ जाए।
तहसीलदार हरि सिंह राव को ज्ञापन सौंपने के दौरान राजस्थान सफाई मजदूर कांग्रेस के उपाध्यक्ष मुनीत पंवार सोनू , अभिजीत, अभिनव , कुशाल अंकित ,अमित ,मंटू , आशीष, कन्हैया,रितिक ,खेमचंद ,मयूर,डालचंद, अशोक, नितिन ,अमन शंकर, मुन्नी, आशा, बीना, सीमा, संतोष, ललिता,शोभा इत्यादि लोग थे। वहीं दूसरी ओर पार्षद सुशीला देवी शर्मा ने भी प्रशासन को पत्र लिखकर यहां की चरमराई सफाई व्यवस्था को दुरुस्त कार्रवाई जाने के लिए आग्रह किया है। इनका कहना है कि चरमराई पालिका की व्यवस्था से नगर के हालात दिनोंदिन बदतर होते जा रहे हैं। सफाई व्यवस्था के यही हाल रहे तो इससे बीमारी फैलने का भी अंदेशा बढ़ जाएगा। मुझे तो लगता है कि नगर पालिका में पूरी तरह से पोपाबाई का राज बना हुआ है। अधिशासी अधिकारी मनीषा यादव के फोन रिसीव नहीं करने से उनका वक्तव्य नहीं लिया जा सका।