सांभर नेहरू गार्डन में 5 साल बाद भी चारदीवारी पर पूरी नहीं हुई चित्रकारी

बच्चों का झूला टूटा, सांसद कोष से लगवाई गई जिम का नहीं हो रहा है मेंटिनेंस

पार्क में बेकार पड़े हैं इंदिरा रसोई योजना की भव्यता के लिए बनाए फ्लेक्स 



शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील (जयपुर)। स्थानीय पांच बत्ती चौराहा स्थित सार्वजनिक नेहरू बालोद्यान देखरेख के अभाव में इसके अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो रहा है। निवर्तमान भाजपा के बोर्ड में इसकी चारदीवारी पर महापुरुषों, प्रमुख धार्मिक स्थलों, पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए चित्रकारी योजना  

पांच साल बाद भी अधूरी पड़ी है। पार्क के मुख्य द्वार के पास चारदिवारी पर पृथ्वीराज चौहान का चित्र उकरने के बाद इस योजना पर विराम लग चुका है। यहां पर बच्चों के खेलने के लिए झूला लंबे समय से टूटा पड़ा है। झूले के पास ही गंदगी का ढेर लगा हुआ है। सांसद कोटे से लगाई गई जिम का समय-समय पर मेंटिनेंस नहीं होने से कई सामान खराब होकर अनुपयोगी बने हुए हैं। इंदिरा रसोई योजना के पिछवाड़े की तरफ बना पेशाब घर सड़ांध मार रहा है। पेशाब घर में देसी दारू के पव्वे पड़े हुए हैं। इनकी भी लंबे समय से धुलाई नहीं हुई है। 

खास बात यह है कि इंदिरा रसोई योजना की भव्यता को प्रदर्शित करने के लिए सस्ते में बनवाए गए तीन बड़े-बड़े फ्लेक्स पार्क के अलग-अलग हिस्सों में बेकार पड़े हुए हैं, इनमें से एक पूरी तरह से फट चुका है। अल्प समय में ही फेलेक्स का बेकार हो जाना एक सवालिया  निशान खड़े कर रहा है। पार्क में पेड़ पौधों को नियमित रूप से भी पानी नहीं मिल रहा है, जमीन सूखी पड़ी है। पौधों के मुरझाने की स्थिति पैदा हो गई है। 15 वर्ष पूर्व कड़ी मशक्कत से जिस पार्क को डवलप किया गया था उसकी दुर्दशा ना हो इस बात का खयाल ना तो प्रशासन को है और न हीं यहां के जनप्रतिनिधियों को कोई चिंता है। समय रहते यदि नहीं चेता गया तो हरियाली नष्ट हो सकती है। 

इसी पार्क में मुख्य द्वार के ठीक सामने लोगों को आकर्षित करने के लिए फव्वारा एक दशक से भी अधिक समय से नकारा पड़ा है। इसी पार्क में 15 अगस्त, 26 जनवरी के दिन नगर के प्रथम नागरिक की ओर से झंडारोहण किए जाने की परंपरा रही है लेकिन इसकी महत्ता को बरकरार नहीं रखा जा रहा है। सारांश यह है कि जिस गार्डन को विकसित करने के लिए नगर के लोगों को निवर्तमान बोर्ड ने सुनहरे सपने दिखाए थे वह तो पूरे नहीं हो सके लेकिन वर्तमान हालात और भी ज्यादा विकट है। बताया जा रहा है कि इसकी चारदीवारी पर नए सिरे से करवाया गया प्लास्टर व अन्य विकास कार्यों के नाम पर तत्कालीन बोर्ड के कार्यकाल के दौरान खर्च किए गए लाखों रुपए का हिसाब कोई पूछने वाला नहीं है। लोगों का कहना है कि इस  संबंध में पालिका प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो  पार्क की दुर्दशा होने से कोई नहीं रोक सकता है।