हज़रत सय्यद ज़ुल्फ़िक़ार अली शाह का 2 दिवसीय उर्स 15 से

बुन्दु लोहार   

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मनोहरपुर (जयपुर)। जयपुर जिले की आमेर तहसील की घाटी में स्तिथ हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक दरगाह हज़रत सय्यद ज़ुल्फ़िक़ार अली शाह रह. का 2 दिवसीय वार्षिक उर्स 15 अक्टूबर को मिलाद शरीफ से शुरू होगा जो कि 16 अक्टूबर को कुल की रस्म के साथ विधिवत सम्पन होगा। 

दरगाह के खादिम मोहम्मद यूनुस चिश्ती ने बताया कि अंग्रेजी तारीख 15 अक्टूबर शनिवार व चाँद की तारीख 18 रबी उल अवल को सुबह झंडा फहराया जाएगा इसी के साथ रंग बिरंगे कपड़ो में सज संवर कर विभिन्न प्रकार के वाहनों में सवार होकर जायरीनों के जत्थे आना शुरू हो जाएंगे, रात को मग़रिब से ईशा तक मिलाद शरिफ होगी जिसमे ख़ुदा के हुकम व मोहम्मद (स.अ.व.स.) के तरीके पर चलने की बात कही जाएगी।  इसके बाद में सम्पूर्ण रात्रि तक रोशनी व महफ़िल ए शमा होगी जिसमें राजस्थान प्रदेश की मशहूर कव्वाल पार्टियों द्वारा बाबा की मान मनुहार की जाएगी। 

इसी प्रकार अंग्रेजी तारीख 16 अक्टूबर रविवार व चाँद की तारीख 19 रबी उल अवल को सुबह 10 बजे फ़ातेहा व कुल और लंगर होगा इसमे सामूहिक कव्वाल पार्टियों द्वारा बाबा की मान मनुहार करते हुए कूल की रस्म की अदायगी करेंगे इसी के साथ विधिवत रस्म ओ रिवाज के उर्स का समापन होगा। लंगर (पंगत प्रसादी) के दौरान अकीदतमंदों द्वारा लंगर खाया जाएगा!इसी दौरान गठजोड़ा, मुंडन व चाद्दर चढ़ाने सहित आदि कार्यक्रम भी होंगे। 

चमत्कार

उल्लेखनीय हैं कि बाबा का करिश्मा रोजाना देखने को मिलता हैं यहां पर आने वाले जायरीनों की दुआएं सुनी जाती हैं रोते हुए आने वाले हंसते हुए जाते है। बिजली विभाग के एकल ने बताया कि 15 साल पहले मेरी आधी तनख्वाह कट गई थी और आधी ही मिली ये देखकर में बहुत दुःखी होकर रोने लगे गया क्योंकि तनख्वाह कम व खर्च ज़्यादा थे, इस पर मैंने बाबा के दरबार मे जाकर दुआएं की थी कि मेरी तनख्वाह जिंदगी में कभी भी नही कटनी चाहिए, बाबा ने ऐसी दुआए की हैं मेरे हक़ में कि आज तक तनख्वाह नही कटी।  

दुनियां के ठुकराए हुए इंसान बाबा की शरण मे आते हैं 7 गुरुवार बाबा के दरबार में हाजरी देते ही उनकी इच्छा पूरी हो जाती हैं बे औलाद वालो को औलाद मिल जाती हैं, जिनके पास रोजगार नही होता हैं उसको रोजगार मिल जाता हैं, ग़रीब घर की लड़कियों की शादी का इंतेजाम हो जाता हैं। 

जादू टोना, बदकिस्मती, मायूसी रंज व गम ख़त्म हो जाते हैं, जिंदगी में पुनः खुशियां लौट आती हैं इसका मुख्य कारण ये हैं कि बाबा ने कई सालों पहले सुनसान जंगल के अंधेरों में इबादत करते हुए ख़ुदा की राह में फ़ना हो गए थे इनकी इबादत से ख़ुदा राजी ही गए थे यही कारण हैं जो भी इनके दर पर आता हैं ख़ुदा अपने करम से सब जायरीनों की झोली भर देते है, इसी कारण हर गुरुवार को हिन्दू मुस्लिम जायरीनों यहा पर भीड़ लगी रहती हैं, किसान अपनी पहली फसल का अन्न व फल बाबा के पेश करते है इससे उसकी फसल कोई भी नुकसान नही होता हैं क्योंकि बाबा की दुआओं से वो सदैव खुश रहते हैं।