मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी के जीवन पर प्रदर्शनी का आयोजन

17 सितंबर को किया जाएगा प्रदर्शनी का आयोजन 

जयपुर। जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द राजस्थान द्वारा 17 सितंबर को सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक मुस्लिम मुसाफिर ख़ाना एम. डी. रोड जयपुर में जमाअत के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी के जीवन व उनके योगदान पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। प्रदर्शनी का उद्घाटन जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष सैय्यद सआदतुल्लाह हुसैनी द्वारा किया जाएगा। प्रदर्शनी में मौलाना जलालुद्दीन उमरी द्वारा लिखी गई पुस्तकों का स्टॉल भी लगाया जाएगा और इसके साथ ही मौलाना के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं को पोस्टर और फिल्म के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा। इस अवसर पर स्कूल के बच्चों की पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाएगा।

कुछ दिन पहले मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी का 26 अगस्त शुक्रवार की रात को दिल्ली के अल शिफा हॉस्पिटल में इंतेक़ाल हो गया था। मौलाना जलालुद्दीन उमरी का जन्म सन 1935 में कर्नाटक राज्य में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा पैतृक गांव पुत्तग्राम, उत्तर आरकोट में हुई फिर उन्होंने जामिया दारूस्सलाम उमराबाद में प्रवेश लिया, जहाँ से सन 1954 में उन्होंने फ़ज़ीलत (स्नातकोत्तर) की डिग्री हासिल की। मद्रास यूनिवर्सिटी से फ़ारसी में मुन्शी फ़ाज़िल डिग्री व अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिट्रेचर में बी. ए. किया, उसके बाद मौलाना रामपुर यूपी चले गए जहाँ पहले जमाअते इस्लामी मर्कज (केन्द्रीय कार्यालय) था। रामपुर में उन्हें 'इदारा ए तसनीफ़' (लेखन संस्थान) का कार्यभार सौंपा गया।  फिर सन् 1970 में 'इदारा तहक़ीक़ व तस्नीफ ए इस्लामी अलीगढ़ यूपी की स्थापना के बाद मौलाना वहां चले गए सन् 2001 इस संस्थान के सचिव रहे। वहां से निकलने वाली त्रैमासिक पत्रिका 'तहक़ीक़ाते इस्लामी' के जीवन पर्यंत सम्पादक रहे। 2011 से जमाअत की मासिक पत्रिका ज़िंदगी-ए- नौ के भी पांच वर्ष एडिटर रहे। कई साल तक केन्द्रीय प्रतिनिधि सभा और केन्द्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य भी रहे। सन् 1990 से 2007 तक जमाअते इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे। उसके बाद 2007 से मार्च 2019 तक जमाअत ए इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। 

वर्तमान में वे जमाअत द्वारा स्थापित शरिया कोन्सिल के चैयरमैन थे। उन्होंने इस्लाम के विभिन्न पहलुओं पर पर पचास से अधिक पुस्तकें लिखी हैं जिनका अनुवाद अरबी, इंग्लिश, गुजराती, हिन्दी, तमिल, मलयालम, कन्नड़, तेलगु, मराठी, बंगला इत्यादि भाषाओं में हुआ।

मानवाधिकार और महिलाओं के विषय पर लिखी उनकी पुस्तकें सनद की हैसियत रखती हैं। जमाअत के प्रदेशाध्यक्ष मुहम्मद नाज़िमुद्दीन ने बताया कि प्रदर्शनी का उद्देश्य मौलाना के योगदान से लोगों को परिचित कराना, उनकी पुस्तकों को जनता के बीच लाना और उनके जीवन से प्रेरणा लेना है। यह जानकारी प्रदेश मीडिया सचिव हारून रशीद ने प्रेस विज्ञप्ति में दी। (PR)