लेखक : डा. सत्यनारायण सिंह
(लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी है)
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भाजपा जैसी काडर बेस्ड पार्टी, जिसकी जडें आर.एस.एस. के आदर्शों में है, जिसका नेतृत्व व नीति आर.एस.एस. की विचाराधारा और तौर तरीकों में रचा बसा है, जो भारत की ही नहीं दुनियां की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी है जिसकी सदस्य संख्या 2019 में 18 करोड़ बताई जा रही है वह अपने सहयोगी दलों के साथ 17 राज्यों में हुकूमत कर रही है और मजबूत होती जा रही है, उन नेताओं की बदोलत जो हाल तक विपक्षी दलों में रहा करते थे। जो कट्टर विरोधी थे, राजनीतिक अवसरवाद के चलते पाला बदलने के जरिये भाजपा में शामिल हो रहेे हैं। मध्य प्रदेश गोवा, मणिपुर, कर्नाटक में रिजार्ट ड्रामा के जरिये सरकारें बदली। भाजपा बहुरंगी हो गई।
असम के नेता हिमंत बिस्व शर्मा, अरूणाचल के प्रेमा खाण्डू, मणिपुर के वीरेन सिंह, कर्नाटक के बोम्भई, सर्वानन्द सोनेवाल, नारायण राणें, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा का विस्तार व संवर्धन किया है। काँग्रेस के भीतर अधिक रक्त-स्त्राव हो रहा है। दक्षिण पंथी कार्पोरेट जगत व हिन्दुत्व गठबंधन को लेकर पार्टी बढ़ रही है। राजनीतिक अवसरवाद ने देश का राजनैतिक दृश्य बदल दिया है। हारी सीटों पर नज़र रख कर राजनीति के तहत साम, दाम, दण्ड और भेद से नेताओं को तोड़ा जा रहा है। एक अध्ययन के अनुसार भाजपा ने दल बदल कराने में रेकार्ड तोड़ दिया। दलबदलुओं को टिकट दिये, मंत्री पद दिया। श्री अविलेश एस. महाजन के अनुसार भाजपा की हैरतअंगेज बढ़ोत्तरी में एक बेहद अहम खासियत गुंथी है वह है दूसरों को समाहित कर लेना, चाहे रूप बदल कर किया हो अथवा अपना बना कर या हथिया कर या परभक्षी तरीके से लीलकर, सेंध लगाकर घुसपैठ की गई। भिन्न भिन्न पृष्ठभूमि की सियासी शख्सियतों को अपने पाले में लेकर पदों पर आसीन किया। दूसरे दलों के नेताओं ने फलने फूलने का एक मात्र विकल्प भाजपा को समझा। महाजन के अनुसार भाजपा ने समूचे राजनैतिक मैदान में अप्रवासी काउन्टर खोल दिये जिसमें सर्वाधिक काँग्रेस से या फिर नेशनल कांँग्रेस, तृणमूल काँग्रेस, बीजद, सपा, बसपा, शिव सेना, अकाली हर हर रंग जात का समावेश हो गया।
भाजपा ने पिछले दशक में अपना प्रसार व्यापक करने के लिए हर जोड-जुगाड़, तरकीब, तरीके अपनाए। भाजपा शासित पांच राज्यों में दूसरे दलों के दल बदलू नेता हैं। जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस से देवेन्द्र राणा, पुदुच्चेरी में पीसीसी प्रमुख नव शिवायम, ममता बनर्जी के नजदीकी सुवेन्दु अधिकारी, गुजरात में कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल, पंजाब के सुनील जाख़ड़, हरियाणा के कुलदीप विश्नोई, गोवा के कामथ, राजसी परिवारों के आर.पी.एन. सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, बीजद के पाण्डा पाला बदल कर भाजपा में आये। विधायकों का पाला बदल लेना कोई बेतरतीव प्रक्रिया नहीं है। सोची समझाी, सुनियोजित प्रक्रिया है।
भाजपा की इस राजैतिक प्रक्रिया में पुराने नेताओं के स्थान पर नये नेताओं को प्रमुख पद दिये जा रहे हैं। उचित सम्मान, स्नेह व महत्वपूर्ण पद देने के आश्वासन से आकर्षक पेशकश के साथ, विरोधी पार्टियों में भगदड़ का फायदा उठा कर अन्य विधायकों को भी जोड़ा जा रहा है। यह आश्वास्त होने पर एक पूरी योजना अंततः कारगार होगी स्थिर सरकार को गिराकर अस्थिर सरकार लाई जानी है। आपरेशन लोटस शुरू होता है। भूल होने पर राजस्थान में अशोक गहलोत से मुँह की खानी पड़ी है। ममता ने भी उल्टे भाजपा के नेता तोड़े हैं। देश में लोकतंत्र को खतरे में कहने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है, साम्प्रदायिक सौहार्द में गिरावट हो रही है। मोदी के सत्ता में आने के बाद से आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। मंहगाई, बोरोजगारी, असमानता बढ़ रही है परन्तु दल-बदल तेजी से जारी है।
मंहगाई और बेरोजगारी, बढ़ती गरीबी के बावजूद दल बदलुओं ने भाजपा को पूरे देश में पंहुच बनाने में अहम भूमिका निभाई है। जाति व समुदाय के खेल में भी भाजपा की महारत के उत्कृष्ट उदाहरण भी हैं। द्रोपदी मुर्मू व जगदीप धनखड़ को राष्ट्रपति व उप राष्ट्रपति बनाने से भाजपा को उम्मीद है कि ये आदिवासी व जाट समुदाय को भाजपा की ओर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। पार्टी के उठान के समय तो दलबदलू साथ रहेंगे परन्तु ढ़लान में भी अवसरवादी लोग जो आर.एस.एस. से व उसकी नीतियों से नहीं जुडे हैं शामिल रहेंगे यह निश्चित नहीं है। भाजपा ने बसपा के मायावती के पुराने साथियों को साथ लेकर पद दिये हैं। ओबीसी जातियों को साथ लेने के पूर्ण प्रयास किये जा रहे हैं।
नया नेता नए इलाकों में भौगोलिक प्रसार व भाजपा की पैठ बनाता है। उन वर्गोें का ध्यान रखवाता है जिनमें भाजपा की पैठ नहीं है। भाजपा मिले जुले रंगों की पार्टी बन गई है। दल-बदल नाम की चीज उनकी डिक्शनरी में नहीं है। पहली नज़र में भाजपा के राजनैतिक मूल्य भी हल्के हो रहे हैं। हिन्दुत्ववादी पार्टी अल्पसंख्यकों में भी पदों व सत्ता के लालच पर भी व्यवस्थित प्रबन्धन के साथ प्रत्येक पार्टी में घुसपैठ कर विस्तार कर रही है। काडर पार्टी बहुरंगी हो गई है। अलग अलग राजनैतिक संस्कृतियों से दल बदलुओं को प्रत्येक स्तर पर जोड़ कर एक नई राजनैतिक संस्कृति स्थापित कर रही है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)