जल प्रदुषण को भुले, प्लास्टिक की थैलियों पर लगाया ध्यान

प्रकाश चपलोत जैन 

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भीलवाड़ा। भीलवाड़ा शहर के आस-पास सैकड़ों टेक्सटाईल से संबंधित प्रोसेस हाउस है, जहा प्रतिदिन लाखो मीटर कपडा प्रोसेस किया जाता है। इन प्रोसेस हाउस में कपड़ा प्रोसेस करने के दौरान केमिकल युक्त लाखो लीटर पानी का उपयोग होता है, बाद में उसमें से हजारो लीटर केमिकल युक्त गंदा पानी प्रोसेस हाउस के मालिको द्वारा रात्रि के समय बनास नदी में मिलने वाले नदी नालों में छोड दिया जाता है। इस केमिकल युक्त पानी से बनास नदी के आस-पास के गावों की हजारो बीघा उपजाउ जमीन बंजड हो चुकी है। साथ ही इन गावों में रहने वाले सैकड़ों ग्रामीणां द्वारा केमिकल युक्त पानी पीने से गंभीर बिमारियों से पीडित है। राज्य के प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के अधिकारियों की इस गंदे पानी को रोकने की जिम्मेदारी होती है। 

मगर मण्डल के अधिकारी इन दिनों गंदे पानी छोडने वाले बड़े उद्योगपतियों को छोड़कर शहर के छोटे व्यापारियो के पीछे पडे है। अब तक मण्डल के अधिकारियों ने जिला प्रशासन एवं नगर परिषद के अधिकारियों के साथ मिलकर टीम बना शहर के 63 दुकानदारों के यहा छापा डालकर 700 किलो से अधिक प्लास्टिक की थैलियां बरामद कर उन पर तीन लाख रुपये तक का का जुर्माना लगाया है। नगर परिषद के रिकॉर्ड के अनुसार भीलवाड़ा शहर में अग्रवाल डिस्पोजल,सतगुरु डिपार्टमेंटल, शिव किराना,रोहित एजेंसी,संत ट्रेडर्स,नागौरी प्लास्टिक,महादेव किराना,भवानी किराना,सत्यनारायण किराना,महेंद्र स्टोर,भगवती नमकीन व चारभुजा नमकीन सहित अन्य व्यापारियों के विगत दिनों यहां छापे डालकर प्रतिबंधित प्लास्टिक की थैलियां बरामद की है।

इनका कहना है :

सरकार के निर्देशानुसार 100 माइक्रोन से कम के पीवीसी बैनर निर्माण, आयात, स्टाकिंग, बिक्री और उपयोग, वस्तुओं को 1 जुलाई 2022 से प्रतिबंधित किया गया है। उसी के अनुसार कार्यवाही की जा रही है। -विनय कट्टा, केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड क्षेत्रीय अधिकारी, भीलवाड़ा

शहर के ज्यादातर प्रोसेस हाउस मालिकों द्वारा बारिश के दिनों में केमिकल युक्त गंदा पानी बनास नदी में गुपचुप तरीके से रात्रि के समय छोड़ा जाता है। जिसकी हमारे संगठन ने मुख्यमंत्री तक को शिकायत कर रखी है। मगर प्रदुषण मण्डल के अधिकारी छोटे व्यापारियो के पीेछे पडे हुए है। ताकि सरकार को अपने कार्य के बारे में बता सकें। -दयाराम दिव्य, प्रदेश संयोजक, बनास बचाओ जन आंदोलन समिति