कर्नाटक कांग्रेस में बढ़ता घमासान
लेखक : लोकपाल सेठी

(वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक)

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यदयपि कर्नाटक में विधान सभा चुनाव अभी लगभग दस महीने बाद होने है लेकिन कांग्रेस में अभी से घमासान शुरू हो गया है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। पार्टी के बड़े नेता अभी से यह मान कर चल रहे है कि 2023 में वह फिर सत्ता में लौटेगी इसलिए ये नेता इस बात पर जोर दे रहे है कि  अभी से तय हो जाना चाहिए की बहुमत आने पर मुख्यमंत्री के रूप में किसकी की ताजपोशी होगी। 

वर्तमान में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारामिया और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार इस मुख्यमंत्री पद के दो बड़े दावेदार है। पिछले कुछ महीनों से दोनों नेता अपनी-अपनी लोकप्रियता और ताकत का प्रदर्शन करने का कोई मौका नहीं  छोड़ रहे है। 2013 के विधानसभा चुनावों से पूर्व कांग्रेस पार्टी के नेताओं को पूरा विश्वास हो गया था कि बीजेपी फिर सत्ता में नहीं आयेगी और कांग्रेस को बहुमत मिलना लगभग तय है। उस समय भी पार्टी में  मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार थे लेकिन सिद्धारामिया सबसे आगे थे। चुनावों से कुछ महीने पूर्व उन्होंने अपनी ताकत दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। उनके चेलों ने उनके समर्थन में बड़ी बड़ी सभाएं की और भीड़ जुटाने में पूरी ताकत लगा दी। कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई तथा सिद्धारामिया ने केवल मुख्यमंत्री बने बल्कि उन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल भी पूरा भी किया।

इस बार भी सिद्धारामिया भी, जो इस समय विधान सभा में विपक्ष के नेता हैं, अपनी ताकत का इज़हार करना शुरू कर दिया है। वे उनके समर्थक 3 अगस्त को दावनगेरे में उनका जन्म दिन मानने तैयारी कर रहे हैं। इसका नाम उन्होंने अमृत महोत्सव दिया है। इसमें वे पिछड़ा वर्ग और दलितों को अधिक से अधिक संख्या मैं लाने में जुटे है। सिद्धारामिया ने अपनी सरकार के काल में इन दोनों वर्गों पर केन्द्रित एकयोजना भाग्य शुरू की थी। उनके दावा है इस योजना के लाभार्थी आज भी इसके लिए सिद्धारामिया सरकार को याद करते हैं। वे खुद भी इन्हीं वर्गों से आते है तथा उनका दावा है कि आज भी उनकी  इन वर्गों में लोकप्रियता कम नहीं हुई है। ऐसा माना जाता है की उन्होंने अभी से अपने उन समर्थकों की सूची बनाना शुरू कर दी है जिन्हें वे विधान सभा चुनावों में पार्टी का उम्मीदवार बनाये जाने की हर कोशिश करेंगे। 

सिद्धारामिया के पार्टी के भीतर उनके बड़े प्रतिद्वंदी और कोई नहीं बल्कि  कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डी .के. शिवकुमार है। वे मंत्री भी रहे है  इसके अलावा वे पार्टी के सबसे धनवान नेता है। पिछले विधान सभा चुनावों में उन्होंने अपनी सम्पतियों का जो विवरण दिया था उसके अनुसार उनके पास 700  करोड़ से भी अधिक संपतियां है जिनमें बंगलुरु शहर से कुछ दूर एक रिसोर्ट भी शामिल है। वे गाँधी परिवार के कितना निकट है इसका अनुमान इसीसे से लगाया जा सकता है कि जब शिवकुमार मनी लौन्डरिंग के मामले में तिहाड़ जेल में बंद थे तो तब पार्टी के सभी बड़े नेता उनसे मिलने जाते थे। ऐसा वे पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी की सलाह पर ही करते थे। जमानत पर छूटने के बाद जब वे जेल से बाहर आये तोउन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। तभी से राजनीतिक हलकों में यह चर्चा आरंभ हो गयी थी कि अगर भविष्य में जब भी कांग्रेस सत्ता में आयेगी, वे ही राज्य के मुख्यमत्री होगें।

कुछ समय पूर्व उनके समर्थकों ने उनका जन्म दिन बड़े स्तर पर मनाया। इसका नाम “शिवकुमार उत्सव” दिया गया। हालाँकि उन्होंने कहा कि यह उनके समर्थकों की इच्छा थी और वे खुद इस तरह का शो नहीं करना चाहते थे। वे अपने कार्ड बड़ी सावधानी से खेल रहे है। वे कई बार सार्वजानिक रूप से कई बार कह चुके है कि पार्टी की शुरू से ही यह नीति रही है है कि चुनावों से पूर्व किसी भी नेता को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश नहीं किया जाता। नेता का चुनाव नव निर्वाचित विधायक ही करते है। इस बार भी ऐसा ही होगा। पार्टी के केंद्रीय नेता और कर्नाटक के इंचार्ज रणदीप सिंह सुरजेवाला एक से अधिक बार कह चुके है कि पार्टी की परम्परा के अनुसार कर्नाटक विधानसभा का चुनाव सामूहिक नेतृत्व के आधार पर ही लड़ा जायेगा। पार्टी हलकों में यह माना जा रहा है   कि भले ही किसी को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में किसी को भी पेश नहीं किया जाये लेकिन अगर पार्टी को बहुमत मिलता है तो मुख्यमंत्री की दौड़ में  शिवकुमार का पलड़ा भारी रहेगा। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं।)