लेखक : लोकपाल सेठी
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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भारत सरकार लगातार इस बात का प्रयास करती रही है कि श्रीलंका के तमिल बहुल इलाके जाफना की बीच आवाजाही बढ़ती रहे तथा दोनों देशो के तमिलभाषी लोगों में नज़दीकी संबंध बन रहे। दक्षिण के दो तमिलभाषी राज्यों - तमिलनाडु और पुद्दुचेरी के लोगों के बीच रिश्तेदारियां बहुत पुरानी है जब श्रीलंका भारत का ही हिस्सा हुआ करता था तथा वहां से आने जाने की कोई रोकटोक नहीं थी एक तरफ तमिलनाडु के रामेश्वरम और दूसरी ओर पुद्दुचेरी के कनकेशनदुराई समुद्र मार्ग इस श्रीलंका का यह प्रदेश सीधा जुड़ा हुआ था।
जाफना के तमिलभाषी लोग बरसो से तमिल एलेम (तमिल देश) की लडाई लड़ते रहे थे। अलग देश की मांग करने वाले संगठन लिट्टे के साथ श्रीलंका की सेना का लम्बा खोंनी संघर्ष चला लेकिन आखिर में लगभग आखिर अलग देश की लडाई हार गए। इस दौरान बड़ी संख्या में जाफना के तमिल शरणार्थी के रूप में तमिलनाडु और पुद्दुचेरी में आ गए थे इस काल में दोनों देशों के संबध काफी ख़राब रहे क्योंकि श्रीलंका यह मान कर चलता था कि जाफना के अलगाववादी तत्वों को भारत का परोक्ष रूप से समर्थन है।
चूँकि श्रीलंका आर्थिक तथा कई अन्य रूप से भारत पर काफी निर्भर है इसलिये जब जाफना में शांति की बहाली हुई तो भारत ने श्रीलंका के इस प्रदेश के लिए कई सहूलियते के लिए जोर डाला। बदले में भारत इस इलाके में लडाई से प्रभावित लोगो के पुर्नवास के लिए सहयोग करने का वायदा किया था। यह इसलिए भी किया क्योंकि तमिलनाडु की सभी सरकारों ने श्रीलंका के तमिलभाषी लोगों के अपने संबध बनाये रखने पर जोर दिया था, उनकी तमिल एलम बनने पर सुहानुभूति थी। भारत सरकार ने वहां बड़े स्तर पर आवास बनाने के लिए आर्थिक सहायता दी।
श्रीलंका में चल रहे आर्थिक संकट में तमिलनाडु की सरकार जाफना के लोगों के लिए कुछ आर्थिक सहायता देना चाहती थी लेकिन श्रीलंका चाहता था की यह सहायता सीधे न होकर उसके माध्यम से वहां की जाये। लेकिन बात बन नहीं पाई। आखिर यहाँ की विधान सभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से अनुरोध किया कि वह उसके 125 करोड़ के सहायता पैकेज के लिए श्रीलंका सरकार से बातचीत करे। भारत सरकार पहले से ही ने श्रीलंका को आर्थिक सहायता के अलावा पेट्रोल आदि भी उपलब्ध करवा रही थी इसलिए भारत सरकार यह बात मनवाने सफल रही कि तमिलनाडु का आर्थिक पैकेज केवल जाफना में ही उपयोग किया जाये।
2009 जब जाफना में लडाई का अंत हुआ तो भारत सरकार ने इस प्रान्त के विकास के कई बातें श्रीलंका सरकार से मनवा ली जिसमें दोनों देशो के बीच आवाजाही की सुविधाए बढ़ना और विकसित करना भी शामिल था। इसके लिए यह तय हुआ की जाफना को हवाई मार्ग द्वारा फिर से तमिलनाडु के त्रिचुनाप्ल्ल्ली से जोड़ जाये। जाफना का हवाई अड्डा श्रीलंका की वायु सेना के नियंत्रण में था। लेकिन कैसे न कैसे 2019 में यहाँ से दोनों देशो की बीच हवाई सेवा शुरू हो गयी हालाँकि यह केवल कुछ सीमित उड़ानों के साथ शुरू ही शुरू हुई। लेकिन कोरोना के संक्रमण के चलते ही यह हवाई अड्डा फिर नागरिक उड़ानों के लिए बंद कर दिया गया। पिछले महीने दोनों सरकारों के बीच बनी सहमति के बाद फिर इसे शुरू किया जा रहा है। दो साल से बंद पड़े इमीग्रेशन वाले भाग को फिर से तैयार किया जा रहा है। अगर सब ठीक ठाक रहा तो यहाँ से नागरिक हवाई सेवा अगले कुछ महीनों में शुरू हो जायेगी।
एक समय था कि जाफना और पुद्दुचेरी के बीच समुद्री मार्ग से न केवल लोग आते जाते थे बल्कि व्यापार भी होता था। पुद्दुचेरी का बंदरगाह बहुत बड़ा है।लेकिन निजी हाथों में आने के कारण यहाँ सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा था। अब इसे अडानी ग्रुप ने खरीद लिया है तथा इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए तैयार किया जा रहा है। भारत सरकार से बातचीत के बाद श्रीलंका इस समुद्री मार्ग को फिर से शुरू करने के लिए सहमत हो गया है। जाफना के लोगों की इस मार्ग को खोलने की मांग काफी पुरानी थी क्योकि जाफना से बहुत लोग पुद्देचेरी में अपने अपने रिश्तेदारो से मिलने आते है। नए प्रबंधन के आने से इस मार्ग पर यातयात जल्दी शुरू होने की संभावना है। हालाँकि दोनों देश जाफना और तमिलनाडु के रामेश्वरम के बीच समुद्री यातायात शुरू करने के लिए सहमत हो गए है। लेकिन रामेश्वरम पर अभी ढांचागत सुविधाएँ पूरी तरह विकसित नहीं हुई है इसलिए यह मार्ग शुरू होने में कुछ विलम्ब हो सकता है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)