राष्ट्र में शांति होने पर ही संभव आत्मसाधना, हमारा पहला धर्म राष्ट्रधर्म
पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने मीडियाकर्मियों को दिया मंगलसंदेश
प्रकाश जैन चपलोत जैन
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भीलवाड़ा। देश की सेवा से बढ़कर कोई कार्य नहीं हो सकता। धर्म में पहला धर्म राष्ट्रधर्म है। राष्ट्र में सुख-शांति का माहौल रहने पर ही हम आत्मसाधना कर सकते है। ऐसे में चातुर्मास का फोकस भी इसी पर रहेगा कि राष्ट्र में किस तरह शांति का माहौल बन सकता है। ये विचार भीलवाड़ा के शांति भवन में 10 जुलाई से चातुर्मासिक मंगलप्रवेश करने जा रहे आगमज्ञाता प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनि म.सा. ने मंगलवार दोपहर मिर्ची मंडी के पास अनुकम्पा रीट्रीट अपार्टमेंट परिसर में मीडियाकर्मियों को मंगलसंदेश प्रदान करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने वर्तमान युग में मीडिया की भूमिका अहम बताते हुए कहा कि तलवार से अधिक ताकत मीडिया की कलम में होती है। ऐसे में मीडिया को समाज में सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। मुनिश्री ने चातुर्मास के लक्ष्य एवं उद्ेश्यों की चर्चा करते हुए कहा कि समकित की यात्रा के माध्यम से भगवान महावीर के सत्य, अहिंसा एवं अनेकान्तवाद के सिद्धांत को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। चातुर्मास का लक्ष्य रहेगा कि जीवनशैली में बदलाव महसूस हो और व्यक्ति संयम व साधना के पथ पर आगे बढ़े। जीवन में सभी को सुकुन चाहिए और संतों की वाणी ऐसा ही सुकुन प्रदान करने वाली होती है।
पूज्य समकितमुनिजी ने कहा कि चातुर्मासकाल में 13 जुलाई से शांतिभवन में प्रतिदिन सुबह 9 से 10 बजे तक होने वाले प्रवचन केवल जैन धर्म पर केन्द्रित नहीं होकर सभी के जीवन के लिए उपयोगी होंगे चाहे श्रवण करने वाला किसी भी धर्म से संबधित हो। उन्होंने जैन एकता से जुड़े सवाल पर कहा कि भले एक न हो लेकिन नेक बनकर रहे तो बड़ी बात होंगी। मंजिल एक होती है भले रास्ते अलग-अलग होते है। गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने गुरू मिले सत्संग से गीत की प्रस्तुति दी। मीडिया से चर्चा में प्रेरणाकुशल भावन्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य मिला। शांतिभवन श्रीसंघ के मंत्री राजेन्द्र सुराना ने चातुर्मासअवधि में होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए मीडियाकर्मियों से मुनिश्री के संदेश और धार्मिक कार्यक्रमों की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने में पूर्ण सहयोग प्रदान करने की अपील की। आभार शांतिभवन चातुर्मास-2022 के मीडिया प्रभारी निलेश कांठेड़ ने जताया।
सोच को एडजस्ट करने एवं भूलने की यात्रा समकित की यात्रा
पूज्य समकितमुनि म.सा. ने कांचीपुरम स्थानक में प्रवचन देते हुए समकित की यात्रा का लक्ष्य बताया। उन्होंने कहा कि इस यात्रा का लक्ष्य सोच को एडजस्ट करना सीखाना और भूलने का संदेश देना है। हम किसी व्यक्ति द्वारा कहीं गई अप्रिय बातों को वर्षो बाद भी याद रखते है जिसके कारण उसके साथ संबंध सामान्य नहीं बना पाते है। समकित की यात्रा जीवन की अप्रिय बातों को भूल जाने और सोच को बड़ी रखने और सबके साथ समन्वय कायम करने का संदेश देने वाली है।
उन्होंने कहा कि घर में कितना ही पैसा हो लेकिन वातावरण कलहयुक्त है तो कभी सुख-शांति नहीं मिल सकती। ऐसे में हमे कलह का त्याग कर सुकुन भरे जीवन को जीना चाहिए। मुनिश्री ने 10 जुलाई को शांति भवन में चातुर्मासिक मंगलप्रवेश के बाद 12 से 14 जुलाई तक होने वाले सामूहिक तेला तप आराधना में भी अधिकाधिक सहभागिता का आग्रह करते हुए कहा कि प्रत्येक परिवार से कम से कम एक तेला तप आराधना करने का भाव रखा जाना चाहिए। धर्मसभा में गायनकुशल जयवंत मुनि एवं प्रेरणाकुशल भावन्त मुनि का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मसभा में बंसता डांगी, गुणमाला बोहरा ने भी विचार व्यक्त किए।