नीरज पांडे और वूट सिलेक्ट ने 'बंदों में था दम' के लिए मिलाया हाथ

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मुंबई। वूट सिलेक्ट, क्रिकेट प्रेमियों को 2020/21 के ऑस्ट्रेलिया टूर की रोमांचक यात्रा पर ले जाने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसका टाइटल 'बंदों में था दम' है। सीरीज़ के रिलीज़ से पहले, प्लेटफॉर्म ने मुंबई में अपने लॉन्च इवेंट में नीरज पांडे द्वारा निर्देशित फिल्म का रोमांचक ट्रेलर लॉन्च किया, जिससे कि फैंस और दर्शकों को दुनिया की नंबर 1 टेस्ट टीम के चलते ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की ऐतिहासिक जीत की बेमिसाल झलक मिल सके। वेब सीरीज़ का प्रीमियर जल्द ही वूट सिलेक्ट पर एक्सक्लूसिव तौर पर किया जाएगा।

एक शक्तिशाली स्क्रिप्ट, पर्दे के पीछे के फुटेज, अजिंक्य रहाणे, रविचंद्रन अश्विन, चेतेश्वर पुजारा, मोहम्मद सिराज, ऋषभ पंत और हनुमा विहारी जैसी विजेता टीम के स्पष्ट कथन, उनके कोच और पत्रकार, जिन्होंने सीरीज़ 'बंदों में था दम' को कवर किया, जैसे तमाम बिंदुओं के साथ यह

प्रोजेक्ट उन कोशिशों और परेशानियों पर प्रकाश डालता है, जिनका सामना भारतीय क्रिकेट टीम को गाबा के मैदान में टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी अविस्मरणीय जीत से पहले करना पड़ा, जबकि उन्होंने 32 वर्षों तक एक भी टेस्ट मैच नहीं हारा था। वेब सीरीज़ इस बात पर केंद्रित है कि कैसे टीम ने बड़ी ही सहजता से क्रिकेट खेला, कड़ी मेहनत, दृढ़ता, दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता की अवधारणा को पुनः परिभाषित किया, और साथ ही साथ टेस्ट क्रिकेट के लुप्त होते फॉर्मेट में नई जान फूँकते हुए खेल कौशल के उच्चतम मानकों को स्थापित किया।


गौरव रक्षित, चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, वायकॉम18 डिजिटल वेंचर्स ने कहा, वायकॉम18 डिजिटल वेंचर्स में हमने सफलतापूर्वक एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया है, जो हमारे दर्शकों की उभरती जरूरतों को पूरा करता है। रोजमर्रा के कंसम्प्शन प्रपोज़िशन की स्ट्रेटेजी के साथ, हमने लगातार

उच्च गुणवत्ता वाले मनोरंजन को आगे लाने की कोशिश की है। हमारा मजबूत रूप से क्यूरेट किया गया कंटेंट मिक्स और डिजिटल-फर्स्ट के साथ हमारी सफलता, दर्शकों को गेम-चेंजिंग अनुभव प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है। 'बंदों में था दम' ऐसी कई कथाओं

में सबसे अनोखी सीरीज़ है और हम नई शैलियाँ और रास्ते तलाशना जारी रखेंगे, जो हमारे दर्शकों की पसंद के साथ तालमेल बिठाते हैं। फरज़ाद पालिया, हेड- एसवीओडी और इंटरनेशनल बिजनेस, वायकॉम18 ने कहा, बंदों में था दम, एक ऐसी कहानी है, जिसे हर भारतीय जानना चाहता है और साथ ही इसे जीना चाहता है। 

जब मैंने कप्तान के रूप में पदभार संभाला, तो मेरा पूरा ध्यान सिर्फ इसी बात पर था कि टीम का मनोबल बरकरार रहे। पहली हार के बाद हम मेलबर्न में हुए दूसरे टेस्ट मैच में मजबूत वापसी करने में सफल रहे। यह हम सभी के लिए एक भावनात्मक यात्रा रही है। हालाँकि, दूसरी जीत के बाद टीम के कुछ प्रमुख खिलाड़ी चोटिल हो गए, जिसने नई चुनौतियों को जन्म दिया। बंदों में था दम, इस यात्रा को खूबसूरती से समेटे हुए है। रविचंद्रन अश्विन बताते हैं, ऑस्ट्रेलिया का भारत टूर एक क्रिकेटर के रूप में सबसे अविस्मरणीय अनुभवों में से एक है। मुझे याद है कि कैसे हनुमा और मैं कई गंभीर चोटों के

बावजूद ढाई घंटे से भी अधिक समय तक मैदान में जमे हुए थे। लेकिन यह हमारे लिए करो या मरो की स्थिति थी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की जीत से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं लग रहा था, और मुझे उस ऐतिहासिक टूर का हिस्सा होने पर गर्व है। बंदों में था दम, एक भावनात्मक यात्रा का खुलासा करता है, जिसने अंततः एक उल्लेखनीय जीत हासिल की। मोहम्मद सिराज ने कहा, मोहम्मद शमी के हाथ में चोट लगने के बाद सभी की निगाहें मुझ पर थीं, क्योंकि मैंने उन्हें टीम के मीडियम-फास्ट बॉलर के रूप में रिप्लेस था। मैं पूरी तरह से तैयार था, क्योंकि यह मेरा टेस्ट डेब्यू था, और मैं अपने जीवन के सबसे कठिन क्षण से गुजर रहा था। हालाँकि, भगवान के आशीर्वाद से यह सब कम से कम क्रिकेट के मोर्चे पर मेरे पक्ष में रहा, क्योंकि इस दौरान मैंने टेस्ट क्रिकेट में अपने करियर के पहले पाँच विकेट लिए थे। मैं अपना प्रदर्शन अपने दिवंगत पिता को समर्पित करता हूँ, जो हमेशा मेरे हीरो रहेंगे और वूट सिलेक्ट पर बंदों में था दम के साथ मैं स्क्रीन पर फैंस द्वारा सीरीज़ में निहित क्षणों को देखे जाने के लिए उत्साहित हूँ।

चेतेश्वर पुजारा ने कहा, ऑस्ट्रेलिया के पिछले टूर के दौरान मेरे बेहतर प्रदर्शन को लेकर कई उम्मीदें मुझसे जुड़ी हुई थी। मैं उन उम्मीदों को पूरा करने के लिए उत्सुक था, और मेरा लक्ष्य अपने देश के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना था और अधिक से अधिक रन बनाकर हमें एक ऐतिहासिक जीत हासिल करने में मदद करना था। बंदों में था दम, भारतीय क्रिकेट टीम के धैर्य, दृढ़ संकल्प और मानसिक शक्ति की कहानी है, जिसने तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई टीम पर सभी बाधाओं के खिलाफ जीत हासिल की, और मैं इस सीरीज़ के माध्यम से इसे फिर से जीने के लिए बेहद उत्साहित हूँ।

हनुमा विहारी ने कहा, मुझे याद है कि तीसरे टेस्ट मैच के दौरान जब अश्विन और मैं अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए अंतिम दिन मैदान में थे, उस समय मैं बहुत दबाव महसूस कर रहा था। हम एक अकल्पनीय ड्रॉ हासिल करने और सीरीज़ को अंतिम छोर तक ले जाने के लिए 42.4 ओवर तक रुके रहे। वह पल मेरे लिए हमेशा सबसे खास रहेगा। बंदों में था दम, ने हमारी जीत की यात्रा को बेहद खूबसूरती से कैद किया है, जो हमेशा हमारे दिलों में अंकित रहेगी। बेमिसाल उतार-चढ़ाव के साथ यह रोमांचक क्रिकेट यात्रा निश्चित रूप से सभी क्रिकेट प्रेमियों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है।