भाजपा, कांग्रेस और राजस्थान : डा. सत्यनारायण सिंह

लेखक : डा. सत्यनारायण सिंह

(लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी हैं)

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पिछले पांच सालों में कांग्रेस पुनः राष्ट्रव्यापी जनाधान नहीं बना पाई। उसके हाथ से पंजाब निकल गया, मणीपुर, उत्तराखण्ड, गोआ में संभावित सफलता नहीं मिली। यूपी में वोट प्रतिशत व सीटों में भारी गिरावट आई। कांग्रेस जिनको नेता मान बैठी थी वे सभी हार गये। मध्यप्रदेश अनुशासनहीनता व दलबदल के कारण हाथ से निकल गया। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार है। महाराष्ट्र व झारखण्ड में अन्य दलों के साथ सत्ता में है। राजस्थान की कांग्रेस सरकार को भी गिराने का प्रयत्न किया गया परन्तु मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की दूरदर्शिता व कठोर परिश्रम से उसे गिराना संभव नहीं हुआ।  

भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व ने 2023 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए राजस्थान पर फोकस कर दिया है। राजस्थान में घटने वाली हर छोटी मोटी घटनाओं को लेकर बात का बतंगड बनाकर प्रस्तुत किया जा रहा है। रीट परीक्षाओं को लेकर, महिला अत्याचारों, दलित अत्याचारों व बलात्कार आदि की दुर्घटनाओं को लेकर आन्दोलन किये गये। सीबीआई जांच की मांग की गई, गृहमंत्री पद से इस्तिफा मांगा, ईडी के रेड भी डाले गये। प्रचार अभियान तेज किया गया। प्रदेशाध्यक्ष, विपक्ष के नेता व उपनेता को भी छपाक का ऐसा रस मिला है कि भाजपा से प्रभावित अखबार व टेलीविजन, सोशियल मीडिया में प्रतिदिन छाये रहने का प्रयास किया जा रहा है। भाजपा के सांसद व मंत्री भी उचित अनुचित स्तरहीन धरने, प्रदर्शन, वक्तव्यों से जनजीवन में जहर उगल रहे है।

भाजपा ने राजस्थान को दंगाग्रस्त राज्य घोषित करने में कोई कसर नहीं छोडी। 2023 के चुनावों में भाजपा की जीत अनिवार्य मानकर हर साधन झोंककर केन्द्रीय व प्रान्तीय नेता जुट गये है। राजस्थान के अलावा जिन राज्यों में चुनाव होने जा रहे है उनमें गुजरात, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश में उसकी सीधी टक्कर कांग्रेस से है। भाजपा ने अपनी केन्द्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी राजस्थान में ही रखी है। राजस्थान सहित अन्य राज्यों में अपनी सरकार बनाने के लिए जयपुर में 20 व 21 मई को भाजपा महामंथन करेगी जिसमें भाजपाध्यक्ष नड्डा सहित पूरे देश के छोटे बडे नेता सम्मिलित होंगे। लोगों का अनुमान है प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री शाह भी व्यक्तिशः उपस्थित हो सकते है।

कांग्रेस पार्टी का तीन दिवसीय चिन्तन शिविर चिंजन, मनन, मंथन के लिए उदयपुर में होने जा रहा है। 13 से 16 मई को चिन्तन षिविर में देशभर के लगभग 400 नेता भाग लेंगे, रणनीति तय होगी। राजस्थान जैसे शांत व सद्भावनाओं से भरे राज्य के करौली, जोधपुर, भीलवाडा, राजगढ(अलवर) में साम्प्रदायिक तनाव, हिंसा हो चुकी है। भाजपा अलवर में रैली कर चुकी है, जोधपुर दंगों के बाद आरोप प्रत्यारोप लग रहे है। भाजपा ने सीबीआई जांच की मांग की है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा व आरएसएस पर आरोप लगाते हुए राजस्थान सहित 7 राज्यों में हुए दंगों की जांच केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा कराने की चुनौती दी है। 

जांच कमेटी में हाईकोर्ट, सुप्रिम कोर्ट के जज सम्मिलित किये जाये। उन्होंने चेतावनी भी दी है, करौली के प्रयोग के बावजूद रामनवमी/हनुमान जयन्ती पर दंगा नहीं होने दिया। 7 राज्यों में दंगे हुए, बुलडोजर चले। संविधान की धज्जिया उडाकर केन्द्रीय सरकार दंगा भडकाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा ‘‘राजस्थान को बक्सो, निर्दोष लोग मारे जाये, आगजनी हो, दंगे भडके, हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे।’’

वर्तमान राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस के लिए राजस्थान जीतना जरूरी है। राजस्थान में पिछले कई दशकों से जो सरकार सत्ता में होती है वह दुबारा रिपीट नहीं हो रही है। गहलोत के ऐतिहासिक फैसलों व निर्णयों, संवेदनशील पारदर्शी सरकार के बावजूद कांग्रेस चुनाव हारती रही है। एक बार कांग्रेस और दूसरी बार भाजपा की सरकारें आती जाती रही है, परन्तु राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बार ठान ली है कि सरकार रिपीट नहीं होने के मिथक को तोडकर दोबारा कांग्रेस सरकार प्रदेश में बनानी है। 

करौली, राजगढ, जोधपुर, भीलवाडा में हुए दंगों से भाजपा इस उम्मीद को गलत साबित करना चाहती है। भाजपा कांग्रेस को दोबारा सरकार बनाने में रोकने में इससे भी ज्यादा हथकंडे अपनायेगी तथा चुनाव आते-आते पूरा प्रदेश अराजकता में लाने का प्रयोग करेगी। वैसे अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते यह संभव नहीं है। भाजपा को केवल हिन्दुत्व नहीं जिता सकेगा बल्कि केन्द्रीय सरकार की असफलतायें, जनता के सामने बेरोजगारी, मंहगाई जैसे मुद्दे भी अपनी-अपनी अहमियत रखेंगे। जनता को जुमलो, नारो, आरोपो के सहारे लम्बे समय तक बेवकूफ बनाकर भरमाया नहीं जा सकेगा। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)