विकास के पथ पर अग्रसर गहलोत सरकार : डाॅ. सत्यनारायण सिंह

आम आदमी की सरकार

लेखक : डाॅ. सत्यनारायण सिंह

(लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी है)

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राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जन विश्वास के साथ आम आदमी को एक संवेदनशील, पारदर्शी व जबाबदेह प्रशासन के माध्यम से विकास के पथ पर अग्रसर करने का जी-जान से प्रयास कर रहे है। उन्होंने खेत व किसान को खुशहाल बनाने, औद्योगिक जटिलताओं का सरलीकरण करने व हर वर्ग को विकास का अवसर व लाभ पंहुचाने के लिए आधारभूत संरचनाओं का विकास प्रारम्भ किया है। अभी हाल ही में आयोजित ‘‘प्रशासन शहरों की ओर’’ तथा ‘‘प्रशासन गांवों के संग’’ शिविरों में दूरस्थ स्थानों पर औचक निरीक्षण किया और यह सुनिश्चित किया कि शहरों व गांवों की अधिकतम समस्याओं का तुरत-फुरत मौके पर निवारण हो। प्रत्येक जिले में प्रभावी मंत्रियों व सचिवों को भेजा। मुख्य सचिव गये जिससे कार्यक्रम केवल औपचारिक नहीं रह जाय व मात्र कागजों में नहीं चले। 

सरकारी आंकडों के अनुसार 85 हजार से अधिक ग्रामीण लाभांवित हुए। मरीजों का मुफ्त इलाज, किसानों को 1875 करोड रूपये का फसल बीमा मुआवजा, 875 करोड की प्रथम बार इनपुट सब्सिडी, बीपीएल परिवारों को 2 रूपये किलो गेंहू, निःशुल्क बीज मिनिकिट्स प्रदान करने के साथ-साथ सवा आठ लाख परिवारों को विद्युत कनेक्शन, लगभग डेढ लाख किसानों को कृषि विद्युत कनेक्शन दिये गये हैं। अब एक लाख शिक्षक, डाक्टर, इंजीनियर्स, कांस्टेबिल, वन रक्षक, रोडवेजकर्मी, पटवारी, ग्राम सेवक आदि की नई नियुक्तियां की जा रही है। अफोर्डेबिल हाउसिंग पालिसी के अन्तर्गत 50 हजार मकान निर्मित होंगे। ग्यारह हजार मेगावाट की 14 विद्युत परियोजनाएं स्वीकृत की गई है। चिकित्सा सेवाओं का विस्तार व शहरी विकास हेतु अनेक महत्वपूर्ण बडे कदम उठाये गये है। जनजाति क्षेत्रों में रेल विकास हेतु धनराशि दी है तो जयपुर में मैट्रो परियोजना प्रारम्भ की है।

मुख्यमंत्री जी ने हर स्तर पर प्रशासन को चुस्त दुरूस्त करने व व्यवस्था सुधारने के लिए सीधे हस्तक्षेप किया है, चाहे सफाई व्यवस्था हो, चाहे वर्षा से सडको के बदतर हालात हो। मुख्यमंत्री सप्ताह में हजारों लोगों से मिलते है, प्रातः काल से अर्धरात्री तक प्रतिदिन सरकारी कामकाज निपटाते है, दूरस्थ स्थानों का दौरा करने में पीछे नहीं है। सामाजिक असमानता, जातिवाद, साम्प्रदायिक सोच व भ्रष्ट आचरण से उन्हें चिढ़ है। शहरों में आवासीय पट्टों का वितरण एक ऐतिहासक कदम है, लाखों आवासीय पट्टे दिये गये है। मुख्यमंत्री जी ने प्राथमिकता के आधार पर ध्यान दिया है। नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा हो, कानून व्यवस्था में सुधार हो, जनजीवन सुरक्षित हो, समुचित एवं तेज गति से प्रबन्धन के लिए उपयुक्त कदम उठाये।

गहलोत सरकार ने युवको को सेवा, विकास व उद्योगो की ओ आकर्षित किया है। महिला सशक्तिकरण हेतु गंभीर प्रयास किये है। सूचना के अधिकार अधिनियम, शिक्षा का अधिकार और अब प्रशासनिक सुधारों ने व्यवस्था व प्रबन्धन में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। प्रशासनिक विकेन्द्रीयकरण व पंचायतों को दिये गये अधिकार व कार्य उससे जन सामान्य के जीवन से सम्बन्ध बढायेंगे। सत्ता का केन्द्र जन सामान्य के नजदीक हो रहा है, जन सामान्य को वांछित राहत मिलेगी। प्रशासनिक व्यवस्था का पुनरावलोकन गहलोत सरकार को निसंदेह जन सहयोग प्राप्त करने में सहायक होगा। जिला व ब्लाक स्तर पर दायित्व और प्रशासनिक अधिकार की श्रृंखला अवश्य विकेन्द्रित संस्थाओं को अधिक निष्ठावान, सहृदय और कृत संकल्पित बनायेगी। गहलोत सरकार द्वारा किया गया पंचायत राज संस्थाओं का सुदृढिकरण एक क्रांतिकारी कदम सिद्ध होगा।

शहरी क्षेत्रों के विकास, पर्यटन व औद्योगिकरण हेतु कारगर कदम उठाये गये है। स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में उठाये गये कदमों की विश्वस्तर पर सराहना हुई है। मुख्यमंत्री पेंशन योजनाएं, एकल नारी सम्मान पेंशन योजना, सरकारी कर्मचारियों के भविष्य व प्रदेश की तरक्की के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू की गई। प्रदेश में कोई भूखा नहीं सोये उसके लिए इन्दिरा रसोई योजना के तहत न्यूनतम भुगतान पर भोजन, स्वास्थ्य क्षेत्र में चिरंजीवी योजना, सरकारी अस्पतालों में मुफ्त जांच व इलाज, दवा, आपरेशन की योजनायें गहलोत की संवेदनशील सरकार की अभूतपूर्व मानवीय पहल है।

परन्तु हमारे विपक्षी दल हर स्तर पर, हर मौके पर सरकार को नीचा दिखाने, असफल करने, रोडे अटकाने, जनता को भ्रमित करने, व्यक्तिगत आरोप व दुष्प्रचार करना ही अपना कर्तव्य समझ बैठे है। सकारात्मक दृष्टिकोण छोडकर पूर्णतया नकारात्मक दृष्टिकोण अपना लिया है। चाहे मंदी व मंहगाई के अन्तर्राष्ट्रीय कारण हो, मौसम का प्रतिकूल होना हो, आमदनी बढने व सप्लाई लाईन कम होने, अवैध भण्डारण व कालाबाजारी हो, उन्हें तो एकमात्र सरकार को जिम्मेदार ठहराना है। विशेष अधिकार दिये जाये तो खिलाफत, विकास हेतु निवेश पर आवश्यक तरजीह या रियायत पर खिलाफत, विशेष व्यवस्था का प्रावधान, सबमें कालख व गन्दगी ही नजर आती है। 

राज्य सरकार ने सभी आवश्यक परियोजनाओं के संबंध में उपयुक्त मांग व सुझाव केन्द्र सरकार को समय पर प्रस्तुत कर विशेष सहायता की मांग की है। आवश्यक वित्तीय प्रावधान व सहायता प्राप्त भी की है परन्तु विपक्षी दल को उसमें भी खोट व कमी ही दृष्टिगत होती है। सकारात्मक सोच व सहयोग की भाषा कहीं नजर नहीं आती। प्रगति का सही मूल्यांकन करने की आदत ही समाप्त हो गई है। आपसी बातचीत, बहस के सथान पर मात्र आरोप जडना, रैली निकालना, बंद आयोजित करना, विरोध प्रदर्शन करना ही उद्देश्य रह गया है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)