सांभर लवणीय झील के अस्तित्व को बचाने के लिए गुहार

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील (जयपुर)। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में जन सुनवाई के दौरान समाजसेवी कैलाश शर्मा ने राज्य सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी से मुलाकात कर विश्व प्रसिद्ध लवणीय झील के अस्तित्व को बचाने की गुहार लगाई। उनसे निवेदन किया कि सांंभर झील प्रबंधन एजेंसी को कागजों से तो निकालकर फील्ड में सक्रिय किया जाए। 

एजेंसी का गठन गत वर्ष अक्टूबर माह में किया गया था, इस साल फरवरी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट भाषण के पृष्ठ संख्या 48 व क्रमांक 100 पर इस एजेंसी के लिए दस करोड़ रुपए का प्रावधान घोषित किया था। लेकिन अभी तक यह एजेंसी कागजों/फाइलों से आगे नहीं बढ़ पाई है, जिस कारण सांभर झील में सैंकड़ों एकड़ भूमि अतिक्रमण की चपेट में है, सैकड़ों बोरवैल के जरिए झील के पानी की चोरी हो रही, नागौर और अजमेर का जिला व पुलिस प्रशासन चुपचाप है। वनमंत्री को सांभर झील प्रबंधन एजेंसी के लिए रोड़मैप दिया है, जिसमें कहा गया है कि एजेंसी का मुख्यालय सांभर हो, ताकि फील्ड वर्क यहाँ से निष्पादित हो। एजेंसी के सांभर मुख्यालय में आवश्यक स्टाफ तैनात किया जाए। 

झील की निगरानी के लिए गुढ़ा साल्ट, जाबदीनगर, नावां, खारडिया तथा सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा प्रहरी तैनात हों। सांभर साल्ट के पास जो 56 हजार एकड़ से अधिक जमीन है, उसमें उत्पादन के लिए काम आ रही 6000 एकड़ जमीन छोड़ कर शेष 50 हजार एकड़ सांंभर झील प्रबंधन एजेंसी के सुपुर्द की जाए। भारत सरकार व राज्य सरकार ने पर्यटन इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जो 100 करोड़ रुपए खर्च किया है, वह इन्फ्रास्ट्रक्चर एजेंसी के सुपुर्द हो, क्योंकि सांभर साल्ट प्रबंधन पांच साल में पर्यटन विकास के लिए खुद कुछ नहीं कर पाया। 

इस एजेंसी को रैवेन्यू माडल के लिहाज से स्वायत्तशासी बनाया जाए। चूंकि सांभर साल्ट लि. नमक उत्पादन के लिए कच्चे माल के तौर पर सांभर झील का पानी काम में लेती है, इस पानी की एवज में सांभर साल्ट लि. से बिक्री का 10% सेस शुल्क वसूल किया जाए। झील की सुरक्षा के लिए एरिया में पांच स्थानों पर पुलिस चौकी भी स्थापित की जाए। क्षेत्रीय पंचायत समिति विकास अधिकारियों, तहसीलदारों, उपखंड  अधिकारियों, थानाधिकारियों आदि की द्विमासिक बैठक नियमित हो, सांभरझील एरिया को वैश्विक बर्ड वाचिंग सेंटर के रुप में विकसित किया जाए।