कांग्रेस पार्टी का पुर्नगठन : डा.सत्यनारायण सिंह

लेखक : डा.सत्यनारायण सिंह

(लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी हैं)

www.daylife.page 

अभी हाल ही में सम्पन्न राज्यों के चुनाव नतीजे पूर्वानुमानो के अनुसार ही रहे है। भाजपा ने पूरी शक्ति-साधन झोंक दिये। देष भर के आर.एस.एस. संगठन को पुरी तरह यूपी चुनाव में झोंक दिया। छोटे विपक्षी दलो को अप्रत्यक्ष रूप से मदद की, कांग्रेस में तोडफोड की। इन चुनावो के पश्चात कुल मिलाकर कांग्रेस कमजोर हुई है, उसकी स्थिति व शक्ति सिकुडी है।

कांग्रेस के क्षेत्रीय व राष्ट्रीय स्तर के केन्द्रीय नेता, क्षेत्रीय कांग्रेस संगठन को मजबूत कर, मैदान मे झोंके नहीं जा सके। भाजपा ने टीवी चैनल व मीडिया को चुनाव पूर्व व चुनावों के दौरान पूरी तरह इस्तेमाल किया। कांग्रेस को घेरने, उसे कमजोर व पराजित घोषित करते हुए अपनी और एक वातावरण बनाया।

कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव के बाद ऐलान किया था ‘‘संगठन को नया रूप देकर मजबूत किया जायेगा, जमीन से जुडे स्वच्छ छवि के लोकप्रिय लोगो को आगे लाया जायेगा, अनुभवी व युवाओं का समन्वय एवं सामजस्य बैठाया जायेगा, अनुषाशासनहीनता को समाप्त किया जायेगा, एक नए विजन के साथ कडी मेहनत कर आम जनता की समस्याओं के लिये संगठन स्तर पर शक्तिषाली संर्घष किया जायेगा’’, परन्तु अनिर्णय के चलते यह सब नहीं किया जा सका।

भाजपा ने कांग्रेस पर परिवारवाद, भ्रष्टाचार, कुप्रबन्धन के आरोप लगाये है। अभी सभी प्रान्तों में कांग्रेस का थोडा बहुत वजूद है। शिवसेना प्रमुख ने इसे स्वीकार किया है। हालांकि यह सत्य है कि दुनिया की सबसे बडी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी रिजनल पार्टियों की तरह सिकुड रही है, कमजोर हो रही है, उसका संगठन कमजोर व निर्झर हो चुका है। हर और कांग्रेस में निराशा व्याप्त है। केवल कुछ गिनती के राज्यों में सत्तासीन रही है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी क्षेत्रीय पार्टियों की तरह वर्तमान में प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी बन गई है।

वर्तमान मे भाजपा द्वारा कांग्रेस को मात्र अल्पसंख्यकों की पार्टी बताया जा रहा है। तुष्टीकरण के आरोप लगाये जा रहे है जबकि अनेक अल्पसंख्यक संगठन अब उसे अल्पसंख्यकों के लिए हितकारी नहीं मानते। अल्पसंख्यक वर्ग सभी पार्टियों मे बटा हुआ है कांग्रेस को अपना जनाधार दलितो, पिछडो, मजदूर कृषको, महिलाओं, ग्रामीण युवाओं व मध्य वर्ग मे तेजी से बढाना होगा। पार्टी की प्राथमिकताओं को स्पष्ट कर एक स्पष्ट विजन नीति के साथ आगे बढना होगा। जमीन से जुडे अनुशासित नेताओं को आगे लाना होगा। व्यक्तिगत निकटता, विरासत, जाति/सम्प्रदाय, मैनेजमैन्ट की पढाई को तवज्जो देने के बजाय संगठन के प्रति श्रद्धा, सिद्धान्तों मे विश्वास रखने वाले कमीटेड, स्वच्छ दृष्टि के अडिग व्यक्तियों को नेतृत्व संभलाना होगा। कांग्रेस ने व्यक्तिगत अहम व अनुशासनहीनता को सख्ती से नहीं रोका। जिन्दगी भर कांग्रेस मे उच्च पदों पर रहकर व्यक्तित्व निर्माण करने वाले नेता भी शीर्ष नेताओं को आंख दिखाते है। व्यक्तिगत हितो को ध्यान मे रखकर पार्टी विरोधी नुकसानदायक स्टेटमेंट देते रहते है व भाजपा शासन की असफलताओं व आमजन में व्याप्त आर्थिक सामाजिक असन्तोष को नही भुला सके है।

पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ‘‘सेन्टर-लेफ्ट’’ की नीति अपनाई थी, श्रीमती इन्दिरा गांधी नें ‘‘लेफ्ट-आॅफ-सेन्टर’’ की नीति अपनाई थी, कांग्रेस से पृथक हुए अनेक प्रगतिशील नेता कांग्रेस मे आये। राजीव गांधी ने मजबूत व ‘‘बैलैंसड-सेन्टर’’ व टेक्नोलोजी को अपनाया। नृसिंहा राव के पश्चात ‘‘सेंटर-राईट‘‘ नीति अपनाई गई। यूपीए सरकार द्वारा अनेक सुविधाए, सूचना का अधिकार, खाद्य का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, आदि के बावजूद रोटी, कपडा, मकान, रोजगार मांगती जनता, को कांग्रेस से दूर कर दिया। जोडतोड की कार्यप्रणाली ने सामाजिक कार्यक्रमो को भी पीछे छोड दिया। सर्विस सेक्टर बढा, लग्जरी गुड्स का उत्पादन बढा, अमीरों की संख्या बढी, मिडिल क्लास बढा, परन्तु बुनियादि सुविधाए, कृषि, व मैन्यूफेक्चरींग समानुरूप से नही बढी। लीकेज, दलाली व करप्षन के आरोप लगे। जबकि स्पष्ट है दृक्षिणपंथी भाजपा को पूंजीपतियों, उद्योगपतियों, व्यवसायियों व दक्षिणापंथियों द्वारा संचालित मीडिया से ‘‘सेन्टर-राइट’’ राजनीति से परास्त करना संभव नहीं है। भाजपा को बैंक बाण्ड व अन्य स्त्रोतो से हजारो करोडो का का चन्दा उद्योगपतियों व व्यापारियों से मिल रहा है।

भाजपा अपनी हिन्दुवादी नीतियो से माहौल सृजित कर बहुसंख्यकों को आकर्षित कर हिन्दु पोलराईजेशन कर रही है। सोशियल इन्जीनियरिंग व दलितो व पिछडो को भी आकर्षित किया है। कभी मंदिर, कभी धार्मिक यात्राये, कभी गोमांस, कभी प्रान्तवाद को उछाल कर जनता को आकर्षित कर रही है भृमित कर रही है। संसद मे बगैर बहस कानून पास कर रही है। विपक्षी दलो मे सी.बी.आई, .ई.डी. का डर बैठाकर फूट डाल रही है। बसपा इसका उदाहरण है। कांग्रेस के पास अभी उसका प्रभावी तोड नहीं है। भाजपा कांग्रेस में लगातार तोडफोड कर रही है।

कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व को शीघ्र गंभीर चिंतन कर, आवश्यक सर्जरी के साथ, विकल्पहीनता को समाप्त कर, सामुहिक प्रभावशाली नेतृत्व खडा करना होगा। रणनीति के साथ, एकजुट, दृढ संगठन व स्पष्ट नीति के साथ मैदान मे उतरना होगा। कांग्रेस को भाजपा सरकार की असफलताओं, नीतियों, अधुरे वायदो, बेरोजगारी, मंहगाई, बढती असमानता व गरीबी की तरफ जनता को जागृत करना होगा वहीं अपनी स्वयं की संगठनात्मक शक्ति को मजबुत कर, इन्दिरा गांधी से प्रेरणा प्राप्त कर, मैदान में उतरना होगा। 

कांग्रेस केवल बीजेपी की असफलताओं के सहारे विकल्प नही बन सकती उसे जनता मे पुन: विश्वास जागृत करना होगा कि केवल कांग्रेस ही संविधान एवं राष्ट्रीय नीति के अनुसार लोकतंत्र को मजबुत कर सुदढ प्रगतिशील नेतृत्व प्रदान कर सकती है, संतुलित समावेशी व सर्वागिण विकास कर सकती है। कांग्रेस को दल से अनुशासनहीनता समाप्त कर, कांग्रेस मे आंतरिक लोकतंत्र कायम कर, अपने सिद्धान्तो पर आधारित विचारशील कैडर को पुन जागृत कर मजबूत करना होगा। साथ ही वर्तमान स्थितियों मे कांग्रेस को अहम छोडकर यथोचित शर्तो पर विपक्षी एकता को एकजुट व मजबूत करना होगा। इसकी जिम्मेदारी भी कांग्रेस को लेनी होगी। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)