परिषद की अनदेखी से हो रही दुर्दशा
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भीलवाड़ा। डाक बंगले के पास किसी जमाने में दूधूवाला कंपनी के अहाते में तीन कमरे किराए के लेकर चल रहे राज्य सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय को हटाकर वहां टेक्सटाइल मार्केट बनाने का प्लान तैयार किया गया तो तत्कालीन नगर परिषद अधिकारियों, राजनेताओं और जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों के बीच यह समझौता हुआ। कि नगर परिषद जिला पुस्तकालय और जनसंपर्क कार्यालय के लिए शहर के मध्य एक भवन बना कर देगी। इसके बाद नगर परिषद ने शहर के मध्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय सूचना केंद्र भवन का निर्माण कराया जिसका लोकार्पण तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय शिवचरण माथुर ने 14 अप्रैल 1989 को किया।
शहर के मध्य बनी इस आलीशान मल्टी स्टोरी बिल्डिंग की उपयोगिता जब ज्यादा नजर आने लगी तो नगर परिषद ने अन्य विभाग को देने के बजाय इसे अपने ही अधीन रखा और जिला पुस्तकालय, सूचना केंद्र को इस बिल्डिंग का मात्र 3073 वर्ग फिट का स्थान ही दिया गया, 10 मई 1989 को हुए इकरार के तहत जिला पुस्तकालय को भूतल में स्थित हाॅल, एक कमरा जिसका कुल क्षेत्रफल 1883 वर्ग फुट दिया गया। इसी प्रकार जनसंपर्क कार्यालय को भूतल स्थित दायी और का कमरा एवं स्टोर कुल 517 वर्ग फुट के साथ द्वितीय माले का पूर्ण भाग दिया गया।
तत्कालीन अधिकारियों ने भवन की लागत मात्र 9.35 लाख रुपए आंकी गई भवन का मालिकाना हक नगर परिषद ने अपने पास रखा जबकि भवन के निर्माण में 5 लाख रु जनसंपर्क विभाग ने दिये थें। इसके बावजूद जिला पुस्तकालय एवं जनसंपर्क कार्यालय को प्रतिमाह ग्यारह रूपये किराये के रूप में भवन लेना पडा। वही संपूर्ण भवन के रखरखाव एवं मरम्मत की जिम्मेदारी नगर परिषद ने ली। मगर आज यह भवन परिषद अधिकारियों की अनदेखी एवं सौतेले व्यवहार से उपेक्षा का शिकार होकर बदहाली की कहानी बता रहा है, आज इस भवन के भूतल का अधिकांश हिस्सा कचरे के ढेर और गंदगी के अंबार में तब्दील हो चुका है, आश्चर्य का विषय तो यह है कि जनसंपर्क कार्यालय को आवंटित कुछ कमरों पर अनाधिकृत रूप से कुछ संगठनों ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है।
वही परिषद ने पुरी बिल्डिंग को मरम्मत कराने की बजाय मात्र एक दो कमरों पर ही लाखो रूपये खर्च कर दियें। जबकि पूरी बिल्डिंग आज भी दुर्दशा का शिकार हो रही है। आज इस भवन में किराएदार इंश्योरेंस कंपनी के कार्यालय के अतिरिक्त एक बड़ा हिस्सा खाली पड़ा है जिसका कहीं कोई उपयोग नहीं लिया जा रहा है। परिषद के अधिकारी इतने लापरवाह और गैर जिम्मेदार हो गए है कि उन्हें परिषद की इस संपत्ति से कोई लेना-देना नजर नहीं आ रहा, भवन के बेसमेंट में आज भी बदबूदार पानी भरा हुआ है, कई जगह आवारा जानवरों ने अपना ठिकाना बना रखा है। मगर प्रशासन के किसी भी बड़े अधिकारी ने इस ओर आज दिन तक ध्यान नहीं दिया।
’इनका कहना है.....?’
सूचना केंद्र भवन में कितने किराएदार है क्या स्थिति है मेरी जानकारी में नहीं है मैं फाइल मंगवा कर देखने के बाद ही कुछ बता सकती हूं। ’श्रीमती दुर्गा कुमारी आयुक्त नगर परिषद भीलवाड़ा’
सूचना केंद्र भवन का मेंटीनेंस और वहां क्या हालात हैं देखने के बाद कुछ किया जा सकता है फिलहाल वहां कितने किराएदार हैं इसकी मुझे भी जानकारी नहीं। ’राकेश पाठक- सभापति नगर परिषद भीलवाड़ा’
सूचना केंद्र भवन नगर परिषद की संपत्ति है और हमने अपनी ही संपत्ति में उस समय 15 लाख रुपए खर्च किए हमारा किसी क्लब से कोई लेना-देना नहीं । ’श्रीमती ललिता समदानी तत्कालीन सभापति नगर परिषद भीलवाड़ा’