राजस्थान दिवस पर विशेष
लेखक : डाॅ. सत्यनारायण सिंह
(लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी है)
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देश में आज ऐसे राजनीतिज्ञ बहुत कम है जो लक्ष्य बना कर, निश्चित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये व नीतिगत फैसलों की क्रियान्विति के लिये पूरी इच्छा शक्ति दृढ़ता एवं मेहनत से काम करते है संकल्प शक्ति व आत्म विश्वास से है। इसी संकल्प शक्ति व कड़ी मेहनत के आधार पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सुविधा, साधनों के घोर अभावों के बावजूद निर्धारित मार्ग पर चल कर सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहे है, मौसम की प्रतिकूलता, और भेाजन के बिना भी वे संकल्प को पूरा करने मे व्यस्त रहते है। इसीलिये वे आज देश व प्रान्त में आम लोगो के लिए प्रेरणा श्रोत है। सकारात्मक सोच, व आत्म शक्ति के स्रोत बन गये है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ध्यान प्रारम्भ से ही प्रदेश के विकास को गति देने का रहा है। इंदिरा गांधी कैनाल के पश्चात सर्वाधिक बडा रिफायनरी का प्रोजेक्ट इस प्रदेश को मिला है। उनके प्रयासों से राज्य अब एक विद्युत हब बनेगा और बिजली उत्पादन में देश में अग्रणी हेागा। आणुविक बिजली, वायु व उष्ण वातावरण का उपयोग कर विघुत योजनाओं से प्रदेश विधुत उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा, चाहे निःशुल्क दवा व जांच योजना हो चाहे जननी शिशु सुरक्षा योजना हो, चाहे मुफ्त पशुधन दवा योजना हो, चाहे पेंशन महाअभियान, पट्टो का वितरण, बगैर ब्याज फसली ऋण, बी.पी.एल को एक रुपये किलो अनाज, किसान व पशुपालकों को बोनस, बी.पी.एल को मकान बनाने हेतु अनुदान, योग्य छात्र छात्राओं को छात्रवृत्ति, निशक्तजन एवं विशेष योग्यजनों को ट्राई साइकिल, इन्द्रा रसोई योजना उनकी इन कल्याणकारी योजनाओं का कोई जवाब नही है। राज्य की सरकार ने उल्लेखनीय कार्य कर रही है। उनकी आम लोगो पर अमीट छाप पडी है।
किसी भी नायक का विश्लेषण करते समय उनमें उनके व्यक्तित्व व कृतित्व को चीरफाड करने के बजाय उन परिस्थितियों और फैक्ट्स की तह में जाकर देखना चाहिए जो उससे पूर्व प्रशासकों ने निर्मित करदी थी। प्रतिपक्ष जनहित के कामों में भागीदार न बन कर मात्र आरोप लगाता है, सत्ता पक्ष की गलतियों को दोहराने का प्रयास करता है। जन समस्याओं के नाम पर आये दिन जो दिखावटी आन्दोलन किये जाते है, उनका जनहित से कोई संबंध नही होता, जनहित के प्रति उनकी कोई जवाबदेही नही होती।
अशोक गहलोत के नेवृत्व में राजस्थान सरकार ने ग्रामीणो, बेरोजगारों, कमजोर वर्गाे, पंचायती राज संस्थाओं के संबंध में जो निर्णय लिये है उन्हें जनहित के नाम पर वोट प्राप्त करने के लिए बताना बचकानी हरकत है। सभी नीतिगत निर्णय विधानसभा में बजट एवं कानून पास कराकर किये जा रहे है। इन्हें जनतंत्र विरोधी, वोट प्राप्त करने के लिए पार्टी हित में अथवा विरोधी पक्ष के विरुद्ध लोकलुभावन निर्णय कहना सरासर अदूरदर्शिता एवं दुखद है। सभी निर्णयों को तेजी से लागू किया गया है, जिससे यह आरोप नही लगे कि मात्र घोषणाएं की गई है।
महिला सशक्तिकरण एव महिलाओं जो जागरुक करने के लिए जो कदम उठाये गये हैं उन्हे की वाहवाही लूटने वाले कदम बताना निहायत गैर जिम्मेदाराना सोच है। नियुक्तियां व प्रमोशन पक्षपात भेदभाव व बेरोजगारों के रोश से बचने के लिए नही किया गया अपितु बजट प्रावधान निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार नियमित रुप से की गई है। युवको को पैरो पर खडा करने के लिए नियमित कौशल कार्यक्रम प्रारम्भ किये गये। ग्राम स्तर पर प्रशिक्षित व्यक्ति उपलब्ध करा देना अत्यन्त कल्याणकारी है।
भ्रष्टाचार के विरूद्ध जिस प्रकार सख्त रूख अपनाकर लगातार भ्रष्ट अधिकारियों को पकड़कर कार्यवाही की जा रही है वह ऐतिहासिक है। अखिल भारतीय सेवाओं के उच्चपदस्थ अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। कोरोना महामारी के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा उठाये गये कदम व किये गये प्रबन्धन के देश में ही नहीं विदेशों में तारीफ हुई है। कठिन परिस्थितियों के अभावों मे उनका कार्य, व्यवहार, प्रबन्धन सर्वोत्कृष्ट रहा है।
नोटबंदी, जीएसटी व लम्बे लाॅकडाउन से जिस प्रकार मंदी, महंगाई, बेरोजगारी बढ़ी जिस प्रकार सरकारी आय में कमी हुई और सामाजिक समस्यायें बढ़ी उस स्थिति में भी गहलोत ने अपने विकास कार्यक्रमों की गति का धीमें नहीं पड़ने दिया। निरोगी राजस्थान संकल्प को पूरा करने के लिए पूरी ताकत के साथ जुटें है। ग्रामीण क्षेत्रों की प्रमुख समस्याओं पेयजल, विद्युत सप्लाई, प्राकृतिक प्रकोपों से खराबा आदि को हल करने को प्रभावशाली कदम उठा रहे है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)