सांभर में जलदाय विभाग की लापरवाही से बिलाें का वितरण ही नहीं

सरकार की छूट से मिली राहत नहीं तो चुकानी पड़ती पेनेल्टी व ब्याज की राशि

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील (जयपुर)। जलदाय विभाग की लापरवाही से विगत दो माह के पानी के बिलों का वितरण नहीं कर उल्टे उपभोक्ताओं को ही दोषी ठहराते हुये बकाया बिलों पर पेनेल्टी राशि ही ठोक दी, गनीमत इस बार यह रही सरकार ने विभाग की पुराने बिलों पर चल रहे बकाया राशि पर पेनेल्टी व ब्याज की राशि माफ करने का आदेश प्रसारित कर उपभोक्ताओं को राहत देने का काम कर दिया, अन्यथा उपभोक्ताओं को बेवजह ही आर्थिक दण्ड भाेगना पड़ता। सूत्रों से जानकारी मिली है कि स्थानीय जलदाय विभाग की ओर से पानी के बिलों को उपभोक्ताओं के घरों तक पहुंचाने के लिये टेण्डर प्रक्रिया अपनायी जाती है, लेकिन जानकारी में आया है कि समय से टेण्डर नहीं छूटने के कारण दो माह से बिलों का वितरण नहीं हो सका। 

इस तथ्य को समझने के लिये विभाग के अभियन्ता से बात की गयी तो खुद की लापरवाही को स्वीकार करने के बजाय यह कहा गया कि यदि उपभाेक्ता को बिल नहीं मिला तो उन्हें कार्यालय में आकर प्राप्त करना चाहिये था या अपने बिल की राशि का पता कर जमा करवानी चाहिये। यह तो उपभोक्ताओं को ही जिम्मेदारी हे, यानी कुल मिलाकर निष्कर्ष यह निकल कर सामने आ रहा है कि यदि उपभोक्ताओं की जिम्मेदारी है तो विभाग समय रहते अपनी जिम्मेदारी से कैसे मुंह मोड़ सकता है। 

विभाग का यह भी कहना हे कि बिल के पीछे सभी निर्देश छपे हुये है उसको पढकर उपभोक्ताओं को इसकी पालना करनी चाहिये, लेकिन विभाग यह नहीं बता पा रहा है कि साढे पांच हजार उपभोक्ता खुद के बिलों काे प्राप्त करने या उसकी जानकारी लेने के लिये यदि वहां पर पहुंच जाये तो वहां की स्थिति किस प्रकार से उत्पन्न हो सकती है और क्या विभाग के लिये यह कैसे संभव हो सकता है, जबकि जलदाय विभाग के बिलों को जमा करवाने के लिये सीधे उनके स्तर पर नहीं बल्कि ई-मित्र के यहां पर प्रावधान किया हुआ है, क्योंकि सभी उपभोक्ताओं के लिये आनलाईन पेमेण्ट जमा करवाना किसी भी सूरत में सो फीसदी संभव ही नहीं है। 

अब सरकार की ओर से जारी निर्देशों के अनुपालना में 31 मार्च तक बकाया राशि एक मुश्त जमा करवाने पर पेनेल्टी व उस पर लगने वाला ब्याज पर छूट दी गयी है। यह लिखने योग्य है कि समय पर वितरण बिलों का वितरण नहीं होने के बावजूद पेनेल्टी क्यों लगायी जा रही हे इस खामी को दूर करने के लिये क्षेत्र के तमाम जनप्रतिनिधियों की ओर से भी इसके लिये कोई आवाज सार्वजनिक तोर पर नहीं उठायी जा रही है, कुल मिलाकर अंधेर नगरी चोपट राजा-टका सेर भाजी टका सैर खाजा वाली कहावत ही चरितार्थ हो रही हे।