सांभर उपखण्ड मुख्यालय पर 70 साल से संचालित है तहसील कार्यालय
नवीन भवन पर खर्च हुये है 1 करोड़ 76 लाख रूपये
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील (जयपुर)। उप जिला होने का दर्जा प्राप्त सांभर उपखण्ड मुख्यालय पर वर्ष 1952 से लगातार संचालित तहसीलदार एवं उप पंजीयक कार्यालय सांभरलेक का नाम प्रशासनिक त्रुटि के कारण 70 साल से वास्तविक नाम को लेकर विधानसभा क्षेत्र के हजारों लोगों के सामने यह आज भी रहस्य बना हुआ है, इसी खामियाजा के चलते जो लाभ व्यापारिक दृष्टिकोण से सांभर को जिसका वह वास्तविक हकदार है, पूरी तरह से वंचित हे। इस मामले में राजस्व विभाग के पूर्व लिपिक व आरटीआई कार्यकर्ता शैलेश माथुर की ओर से इसके लिये वर्ष 2012 से लगातार सरकार से की जा रही वाजिब मांग विचाराधीन है।
1.76 करोड़ की लागत से बन चुका है नया भवन : वर्तमान परिपेक्ष्य व आमजन की सहूलियत को ध्यान में रखते हुये कटला बाजार स्थित तहसील के पुराने कार्यालय के वृहद विस्तार किये जाने के लिये राजस्व व न्यायिक भवनों के लिये पहले से ही आरक्षित की गयी भूमि पर प्रदेश सरकार की ओर से 1 करोड़ 76 लाख का बजट स्वीकृत करने पर विशाल भू-भाग में तहसील का नया भवन भी निर्माण हो चुका है, जहां राजस्व रिकॉर्ड में भी इस बात की पुष्टि होती है। वर्ष 2013 के बाद से पुराने तहसील के भवन से नवीन भवन में कार्यालय शिफ्ट भी हो चुका है।
तहसील के इसी भवन के नजदीक ही उपखण्ड अधिकारी व उपखण्ड मजिस्ट्रेट का कार्यालय भी पुराने भवन से शिफ्ट होकर नवीन भवन में ही चल रहा है, बता दें कि तहसील व उपखण्ड कार्यालय राजस्व विभाग की दो प्रमुख कड़ियां है जहां पर क्षेत्र के हजारों लोगों का इन कार्यालयाें में राजस्व प्रकरणों, जमाबंदी, नामान्तरण, विक्रय पत्र, वसीयतनामा, हक त्याग, मुख्त्यारनामा, मतदान पहचान पत्र, खाद्य सुरक्षा योजना, काश्तकारों के भूमि विवादों जैसे अनेक कार्यों के लिये आकर विगत सात दशकों से एक ही जगह इस सुविधा का लाभ उठाते आ रहे है।
उल्लेखनीय है कि सांभर उपखण्ड मुख्यालय पर न्यायिक कार्यालयोँ में एडीजे, एसीजेएम, सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट, ग्राम न्यायालय, पुलिस उपाधीक्षक, जलदाय विभाग सहायक अभियन्ता, विद्युत निगम का एक्सईएन व एईएन ऑफिस, महिला एवं बाल विकास विभाग, राजकीय शाकम्भर स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पंचायत समिति मुख्यालय, हिन्दुस्तान सांभर साल्ट का उपक्रम सांभर साल्ट्स कार्यालय, नगरपालिका, पर्यटन एवं पुरातत्व विभाग की ओर से कराये गये अनेक विकास कार्य के अलावा अनेक ऐतिहासिक इमारतें व धार्मिक स्थल भी है जिनकी देश व प्रदेश में काफी गहरी पहचान है।
यह भी बताना जरूरी है कि सरकार ने सांभर को पर्यटन नगरी का दर्जा भी प्रदान कर दिया है और पर्यटन के मानचित्र पर उभरने से इसकी पहचान और मजबूत हुयी है। उक्त आधार पर सांभर का पक्ष पूरी तरह से ठोस व उसके पक्ष में ही है, इसलिये सांभर उपखण्ड मुख्यालय पर सार्वजनिक निर्माण विभाग के एक्सईएन का दफ्तर व अपर जिला कलक्टर का कार्यालय और खोले जाने की जरूरत है।
मौजमाबाद का नाम शुद्ध तो सांभर का क्यों नहीं : आरटीआई में मांगी गयी सूचना से इस बात का खुलासा हुआ कि तहसीलदार दूदू मुख्यालय मोजमाबाद का नाम शुद्ध कर तहसीलदार मोजमाबाद कर दिया गया है। इस मामले में सरकार की ओर से एक अधिसूचना का प्रकाशन कर 6 मई 2002 को नाम दुरूस्त कर दिया गया है, जब तहसीलदार मोजमाबाद को तो उसके सही नाम की पहचान मिल चुकी है, लेकिन सांभर तहसील अपने वास्तविक नाम का आज भी मौहताज बना हुआ है। इसके लिये पूर्व लिपिक शैलेश माथुर ने प्रदेश के मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री से अनुरोध कर रखा है कि सांभर तहसील का शीघ्रातिशीघ्र नाम दुरूस्त किया जाये।