करबला जयपुर से
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एकता की चरख़ी मोहब्बत की डोर।
प्यार की पतंग उड़ाओ चारों ओर।।
वो काटा, वो मारा के मत बोलो बोल।
प्यार मोहब्बत के अब तो सारे दरवाजे खोल।।
जुबां की धार मांझे की तरहा तेज़, तर्रार ना हो।
ध्यान रखो आपस में कहीं भी तकरार ना हो।।
नफरत ना करो किसी से, मत बोलो बिगड़े बोल।
प्यार मोहब्बत के अब तो सारे दरवाजे खोल।।
वैसे भी हमारे देश के हालात अब पीछे जा रहे हैं।
जो भी सरमाया था, अब बिकता ही जा रहा है ।।
महंगाई ने जीवन का बिगाड़ दिया सारा ढांचा।
सब ओर कोरोना का भूत घर-घर जाकर नाचा।।
लॉक डाउन ने अपने पन की सारी खोली पोल।
प्यार मोहब्बत के अब तो सारे दरवाजे खोल।।
हालत सुधर जाएंगे बस प्यार से बात करो।
जो नफरत फैलाएं उस पर ध्यान ना धरो।।
बिछड़ा कोई मिल जाए तो आगे बढ़कर बोल।
प्यार मोहब्बत के अब तो सारे दरवाजे खोल।।
एकता की चरख़ी, मोहब्बत की डोर.....।
प्यार की पतंग उड़ाओ 'बाबू' चारो ओर।।