कहानियाँ दादी-नानी की....

लेखिका : ममता सिंह राठौर

गाज़ियाबाद से

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ढूढ़ रही हूँ

दादी की कहानियाँ, नानी की पुचकारियाँ

गुम होती लोरियों को याद कर रही हूँ

रिश्तों में मुस्कराती खट्टी मीठी सफगोहियां

ढूंढ, ढूंढ कर धरोहरों सी रख रही हूँ

पीढ़ी-दर, पीढ़ी रिश्तों की गुमनामियाँ,

रिश्तों की खुशबुओं को पन्नो में रख रही हूँ

हर कोई पूछता है, वो अपनों की झपियाँ

दिल के पाषाण को पिघला रही हूँ

कौन बता पायेगा सच में सच्चाइयां 

आने वाले वक्त के लिए गवाहियाँ ढूढ़ रही हूँ