बाहर से आने वाले सैलानियों की भावनाएं आहत हो रही है...
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील (जयपुर)। केन्द्र व प्रदेश सरकार सांभर की लवणीय झील में देशी विदेशी पर्यटकों का रूझान बढाने के लिये प्रयासरत है, वहीं इसके विपरित हिन्दुस्तान सांभर साल्ट व एक ग्रुप के आदमियों की ओर से झील में विचरण करते परिंदों की फोटोग्राफी की रोक की वजह से देश व प्रदेश से बाहर आने वाले सैलानियों में गलत संदेश भी जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यदि इस मामले में किसी की ओर से तीखा विरोध कर इस बारे में सवाल किया जाता है तो सांभर साल्ट के प्रबन्धकों व कम्पनी के आदमियों की ओर से बेतुका जवाब दिया जा रहा है कि कोई भी यहां पर कैमरे से फोटो नहीं खींच सकता है, यदि किसी को पक्षियों की फोटो शोकिया तौर पर खींचनी है तो वह अपने मोबाइल का इस्तेमाल कर अपना शोक पूरा कर सकता है। बताया जा रहा है कि सांभर साल्ट व एक ग्रुप के आदमियों से यह तर्क रखा जा रहा है कि कैमरे से फोटो कामर्शियल की श्रेणी में आती है, इसलिये कैमरे से फोटो खींचने पर मनादी है। ऐसे अनेक वाकिये सांभर की इस लवणीय झील में सामने आये बताये जिसको लेकर अक्सर तनातनी हो जाती है और ग्रुप के आदमी किसी लपकागिरोह की तरह उस पर टूट पड़ते है, पूरी निगाहें इस प्रकार रखी जाती है कि कोई कैमरे से फोटो तो नहीं खींच रहा है।
इस बारे में जब पीडित की ओर से साफ तौर पर यह कहा जाता है कि वे झील में घूमने आये हैं तथा अपने परिवार के बीच वे यहां के दृश्यों को साझा करना चाहते हैं, वे कामर्शियल नहीं है इसके बावजूद भी उनकी नहीं सुनी जाती है, कैमरे से फोटो खींचने के लिये पहले पांच हजार रूपये जमा करवाकर रसीद कटवानी पड़ती है, उसके बाद उसको फोटों खींचने दिया जाता है। इस सम्बन्ध में वन विभाग से जानकारी करने पर बताया गया कि झील में पक्षियों की फोटों खींचने के लिये पाबन्दी हास्यास्पद है, इससे आने वाले पर्यटकों की भावनायें आहत होती है।
हमारी ओर से इस मामले को जिला कलक्टर की बैठक में उठाया जायेगा, झील रैवेन्यू लैंण्ड है, जिसे राज्य सरकार ने सांभर साल्ट को लीज पर दे रखा है। गाजियाबाद निवासी फोटाेग्राफी का शोक रखने वाले राकेश कुमार से बात करने पर बताया कि फेडरेशन ऑफ इण्डियन फोटोग्राफी की ओर से मैं अधिकृत हूं तथा आर्टिस्ट के हिसाब से कहीं पर फोटोग्राफी कर सकता हूँ, लेकिन इससे बावजूद मुझे रोक दिया गया, यह समझाने के बाद भी कि हमारी फोटोग्राफी किसी भी दृष्टि से कॉमर्शियल नहीं है। इससे अच्छा संदेश नहीं दिया जा रहा है।
इस मामले में सांभर साल्ट के वरिष्ठ प्रबन्धक दिलबाग सिंह से बात करने पर बताया कि कम्पनी और एक ग्रुप के बीच एमओयू हो रखा है, पहले भी हमारी ओर से झील में फोटो खींचने पर शुल्क लिया जाता था। इस मामले में पूर्व पार्षद चन्द्रप्रकाश सैनी ने बताया कि सांभर साल्ट की ओर से झील क्षेत्र में विचरण करने वाले पक्षियों की फोटोग्राफी के सम्बन्ध में कोई सूचना पट्ट या शुल्क की जानकारी का बोर्ड मैंने तो कहीं पर नहीं देखा है, यदि गुपचुप कहीं पर लगा रखा हो तो मुझे जानकारी नहीं है। सांभर साल्ट कर्मचारी संघ के महासचिव अशोक पारीक ने बताया कि हमने भी पहले इस बारे में आरटीआई से जानकारी मांगी थी, लेकिन नहीं दी जा रही है। कंपनी का जो एमओयू हो रखा है उसको सार्वजनिक कर इस भ्रम को दूर करना चाहिये, इससे गलत मैसेज जाता है।