(वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक)
www.daylife.page
पिछड़े कुछ हफ़्तों से कर्नाटक की राजनीति पर अरबों रूपये का बिटकॉइन स्कैम छाया हुआ है। सतारूढ़ दल बीजेपी प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने नेताओं पर आरोप लगा रहा है यह स्कैम 2018 में कांग्रेस-जनता दल(स)के शासन काल में ही शुरू हुआ और फूला फला था। लेकिन कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह स्कैम 2019 में शुरू हुआ था जब राज्य में बीजेपी की सरकार थी और वर्तमान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई राज्य के गृह मंत्री थी। यह स्कैम उनकी नाक थले हुआ लेकिन अपराधियों के खिलाफ कोई करवाई नहीं की गयी। हालाँकि इस बारे में पहला मामला पिछले साल के मध्य दर्ज हुआ था और इस स्कैम के मुख्य कर्ताधर्ता श्रीकृष्णा रमेश, जिसे किरकी के नाम से जाना जाता है, को नवम्बर में नारकोटिक्स की तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया गया था पर वह जल्दी ही जमानत पर छूट गया। राजनातिक हलकों में यह कहा जा रहा है की सिरकी एक माहिर हैकर है तथा इसने बिटकॉइन, जो डिजिटल मुद्रा है, के एक एक्सचेंज बिटफिनेक्स को हैक कर कई अरबो रूपये मूल्य के बिटकॉइन चोरी किये। यह कहा जा रहा है इसे पहले कांग्रेस और बाद में बीजेपी नेताओं का वरदहस्त रहा है क्योंकि सिरकी चुराई राशि का बड़ा हिस्सा इन दलों के नेताओं को देता था।
जब इस स्कैम को लेकर बीजेपी के भीतर मुख्यमंत्री बोम्मई के खिलाफ सुगबुगाहट शुरू हुई और उन्हें पद से हटाने की बात तक चल पडी तो वे दिल्ली जाकर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मिले और उनके सामने अपना पक्ष रखा। बोम्मई का कहना है कि राज्य के गृह मंत्री के रूप में जब यह मामला उनके सामने आया तो उनकी सलाह पर तब के मुख्यमंत्री येद्दियुरप्पा ने इसे प्रवर्तन निदेशालय को सौंप दिया क्योंकि पहली नज़र यह मनी लौंडरिंग का मामला था। जब बाद में यह बात सामने आई तो यह हैकिंग से विकेंद्रीकृत डिजिटल मुद्रा को चोरी करने का मामला और यह सब विदेशी वेब साइट्स के जरिये हुआ तो सीबीआई से यह कहा गया कि इंटरपोल से माध्यम से इस सारे मामले की जाँच करे।
हालांकि बंगलौर पुलिस का क्राइम ब्रांच, जो मामले की जाँच कर रहा है, के अधिकारियों से उच्च पुलिस अधिकारी इस मामले पर चुप हैं लेकिन उनमें यह खुसुर पुसर हो रही है कि यह स्कैम कम से कम दस हज़ार करोड़ का है। इसमें कुछ नेताओं तथा कुछ पुलिस अधिकारियों के नाम भी सामने आ रहे हैं। पिछले दिनों एक ऑडियो क्लिप सामने आई जिसमे पुलिस का एक बड़ा अधिकारी मामले की जाँच कर रहे मध्यक्रम के पुलिस अधिकारी से यह पूछ रहा है इसमें कौन लोग लिप्त है तो जवाब वह कह रहा है की मत पूछिये इसमें कौन लिप्त नहीं है। उसने इस बारे में कुछ बड़े आईपीएस से लेकर टॉप नेताओं का नाम लिया।
क्रिप्टो करेंसी का आगमन कुछ वर्ष पूर्व ही हुआ था। यह किसी तरह के बैंक से नियंत्रित नहीं है। इसका उपयोग डिजिटल तरीके से भुगतान के लिए किया जाता हैं। इसके कोई निर्धारित नियम नहीं है। यह माना जाता है की इसका आकार विश्व की कुल डीजीपी से कहीं अधिक बड़ा है। अब तक किसी भी देश ने इसको मान्यता नहीं दी और न ही इसे अवैध घोषित किया।
अब बात करते है लगभग 26 वर्षीय सिरकी की। जब इसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ी तो उसके पिता ने नीदरलैंड की एक टेक्निकल यूनिवर्सिटी में भेजा लेकिन वह वहां से जल्दी ही वापिस आ गया है। उसका कहना है कि इस यूनिवर्सिटी में जो पढाया जाता है वह उससे कहीं अधिक जनता है। वापिस आने के बाद वह साइबर क्राइम मेंलिप्त हो गया। शुरू वह गेम पोर्टल्स की साईट को हैक कर अपने मित्रों और जानकारों को सामने वाले खिलाड़ी के पत्तों को बता देता था। उन्हीं दिनों वह कोलकाता के बिटकॉइन व्यापारी रोबिन खंडेलवाल के संपर्क में आया। इसके बाद तो सब बदल गया। खंडेलवाल और उनके दोस्त बंगलौर के पांच सितारा होटल में गेम पोर्टल पर जुआ खेलने के लिए जुटते। सिरकी उस गेम पोर्टल की साईट को हैक करता और वे सब खूब पैसा बनाते।
सिरकी को भी इसमें से एक बड़ा हिस्सा मिलता। पुलिस के अनुसार खंडेलवाल तथा उनके एक मित्र ने सिरकी को बिटकॉइन एक्सचेंज को हैक कर वहां से बिट कॉइन ट्रान्सफर करने की सलाह दी। उन दिनों एक बिटकॉइन की कीमत भारतीय मुद्रा के अनुसार लगभग 50 लाख रूपये थी। उसने इस एक्सचेंज से नौ सौ बिटकॉइन ट्रान्सफर किये लेकिन खंडेलवाल को नहीं दिए। बताया जाता है उन्हीं दिनों वह यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद हैरिस नालापत के संपर्क आया और फिर उसके राजनीतिक सम्बन्ध बनते चले गए। पहले बार वह नारकोटिक्स की ओन तस्करी में पकड़ा गया लेकिन जल्दी जमानत पर छूट गया। वह फिर दो गरिफ्तार हुआ पर जल्दी बाहर आ गया। नवम्बर में जब क्रिप्टो करेंसी की चोरी की बात सामने आई तो उसके खिलाफ गंभीर रूप से जाँच शुरू हुयी। वह अब तक पुलिस को कई तरह के बयान दे चुका है। कुछ बड़े लोगों के नाम लेता है और फिर मुकर जाता है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)