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गाज़ियाबाद। बड़े हर्ष का विषय है कि हम सब गीतकार धनंजय सिंह का पिचहत्तर वां जन्मदिवस अमृत महोत्सव के रूप में मन गया। इस अवसर पर सिंह के बारे में श्रीमती ममता सिंह राठौर ने कहा कि यह प्रभु की कृपा है कि यह सुअवसर हमें प्राप्त हुआ। आगे भी हमे ऐसे अवसर प्रदान करें यही हम सब कामना करते हैं। जिन्हें हम बाबूजी के नाम से जानते हैं, बाबूजी के गीतों को सुनके लगता है कि गीत क्या होते हैं? कैसे होते हैं? यह जानने के लिए बाबूजी के गीतों को पढ़ना बहुत आवश्यक है, मेरे लिए बाबूजी के गीतों, लेखनी, पूरे व्यक्तित्व, कृतित्व को बता पाना मानो चाँद और सूरज को दीपक दिखाने जैसा है पर मैं सोचती हूँ जहाँ श्रद्धा होती है वहाँ दीपक ही हम जलाते हैं।
श्रीमती ममता ने कहा कि बाबूजी के गीतों में शहद सी मधुरता होती है और जो गीतों के अर्थ हैं वो अपने आप में बहुत कुछ समेटे होते हैं। हमारा सौभाग्य है कि हम बाबूजी को गाते हुए सुनते हैं। साथै ही बाबूजी अपने संस्मरण में बताते हैं अज्ञेय जी, हरिबंश रॉय बच्चन, महादेवीवर्मा, जैसे और भी महान, विद्वान जनों से बाबूजी चर्चा करते थे साहित्य की समाज की यह जानकर बहुत खुशी होती है। क्योकि हमने तो इन सब विद्वज्जनों को किताबो में कक्षाओं में पढ़ा है। ऐसे बहुत सारे संस्मरण हैं, जिन्हें सुनकर मन रोमांचित हो उठता है, हम बाबूजी को सुन पाते हैं यह हमारे लिए बहुत ही गौरव की बात है एवं सौभाग्य है। हम सब ईश्वर से प्रार्थना करते हैं वे लिखते रहें, स्वस्थ्य रहें।