केरल में निशाने पर बीजेपी !

लेखक : लोकपाल सेठी

(वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक) 

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केरल पुलिस के विशेष  जाँच दल द्वारा राज्य में विधान सभा चुनावों के दौरन यानि तकरीबन डेढ़ माह पहले राज्य बीजेपी के अध्यक्ष सुरेन्द्रन के ड्राईवर दवारा  चलायी जा रही  एक कार को लूटे जाने की एक घटना जाँच को लेकर अब एक से एक खुलासे कर रही  है जिससे  राज्य बीजेपी और इसके कई नेता निशाने पर आ गए है।

घटना के बाद जब ड्राईवर ने कार को लूटे जाने की रिपोर्ट लिखवाते समय यह कहा की इस कार में वे 25 लाख रूपये लेकर जा रहे थे जो उन्होंने सुरेन्द्रन के बेटे हरिकृष्णन को देने थे। शुरू में उसने  कहा की उस कार में चुनाव सामग्री थी तथा कुछ कैश था, जो कोज़िकोड़े के एक बीजेपी नेता, जो एक बड़े  व्यापारी भी है, धर्मराजन से लेकर चले थे। बाद में उसने कहाँ कार में कोई चुनाव सामगी नहीं बल्कि  केवल कैश ही था। पुलिस ने शुरुआती जाँच में पाया की  वास्तव में कार  में 3.50 करोड़ रूपये  थे। बाद में जब मामला विशेष जाँच दल को दिया गया तो  यह पाया कि धर्मराजन के पास कुल मिलाकर 10 करोड़ रूपये थे जो उन्होंने पार्टी के बड़े नेताओं के निदेश पर अलग-अलग जगह से चुनाव लड़ रहे पार्टी के उम्मीदवारों को पहुचाने थे। लेकिन पार्टी के नेताओं  के इसका खंडन करते हुए कहा कि उन्हें  इस प्रकार के काले धन के  बारे में उन्हें कुछ पता नहीं है। जाँच दल ने इस धन को लूटने वाले दल के 21 सदस्यों को गरिफ्तार किया है। वह सुरेन्द्रन के बेटे और उनके निजी सचिव से पूछताछ कर चुकी है। जाँच अधिकारी का दावा है उसके पास घटना के तीन दिन पहले तक  हरिकृष्णन और धर्मराजन के बीच मोबाइल पर कई बार हुई बातचीत का रिकॉर्ड है। इसके अनुसार हरिकृष्णन अपने पिता के निदेश पर  इस काले धन को  पार्टी उम्मीदवारों के पास पहुचाने की व्यवस्था में जुटे थे। अब अगली पूछताछ खुद सुरेन्द्रन से होनी है। इसलिए बार कह रहे है कि राज्य में दोबारा सत्ता में आयी वाम सरकार बदले के भावना से कम करते हुए पार्टी के ईमानदार नेताओं को इस कथित हवाला मामले में फसाने में लगी है। .

अभी इस मामले की जाँच चल ही रही थी की राज्य के एक बीएसपी नेता के सुंदरा ने पुलिस में एक मामला दर्ज करवाया कि सुरेन्द्रन ने उन्हें मंजेश्वर विधान सभा चुनाव  क्षेत्र से हटने केलिए ढाई लाख रुपये तथा एक मंहगा मोबाइल देने की पेशकश की थी। इसके साथ ही यह भी वायदा किया था कि अगर वे चुनाव जीत जाते हैं तो वे उनको शराब का ठेका भी दिलवा देंगे। इसी के चलते उन्होंने बीएसपी के उम्मीदवार के रूप में अपना नाम वापिस ले लिया था। उनका ये भी दावा है कि  मतदान से कुछ दिन पूर्व  सुरेन्द्रन खुद उनके घर आये थे। उन्होंने मैदान से हटने के लिए 15 लाख रूपये तथा एक शराब की एक दुकान का ठेका दिलवाने की मांग की थी। बाद में सौदा  ढाई लाख  रूपये और शराब की एक दुकान का ठेका देने पर तय हुआ। पचास हज़ार रुपये तुरंत उनकी मान को दे दिये गए तथा बाकि राशि चुनावों के बाद देने की बात हुई। उल्लेखनीय है सुंदरा ने न केवल चुनाव मैदान से हटे बल्कि बीजेपी में शामिल भी हो गए। पुलिस ने मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है। 

सुरेन्द्रन  का संकट केवल  यही ख़त्म नहीं हुआ। इलाके के एक आदिवासी नेता  सी. के. जेना ने भी दावा किया है की सुरेन्द्रन ने उन्हें चुनाव मैदान से हटने और  बीजेपी में शामिल होने के लिए 10 लाख रुपये दिए थे। सुरेन्द्रन के नजदीक माने जाने वाले  लोगों के अनुसार वे यहाँ से पिछला चुनाव मात्र 467 वोटों से हारे थे। इसबार चूँकि राज्यमें बीजेपी और मज़बूत है इसलिए इस बार उनका जीतना सुनिश्चित माना जाता है फिर भी वे इसे पुख्ता करना चाहते थे इसलिए धन के बल मैदान में उतरे उमीदवारों को मैदान से हटा कर अपनी स्थिति मज़बूत कर लें। 

उल्लेखनीय ही की राज्य में राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक गठबंधन ने कुल 140 सीटों में से 138 पर उम्मीदवार उतारे थे। जिसमें 113  बीजेपी के अपने उम्मीदवार थे। लेकिन पार्टी को एक सीट भी नहीं मिली। यहाँ तक कि मेट्रो मैन  के नाम से जाने जाने वाले श्रीधरन भी चुनाव हार गए। पार्टी ने उन्हें अपने मुख्यमत्री  के  चेहरे के रूप में चुनावों में पेश किया था। सुरेन्द्रन भी चुनाव हर गए। उन्हें इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के एम.के. अशरफ ने पराजित किया। 

पार्टी चुनावों में सत्ता पर काबिज़ होने के लक्ष्य से उतरी थी। चुनावों में डट कर पैसा खर्च किया गया। चुनावों से कुछ दिन पहले ही पार्टी के नेताओं ने मान लिया था कि वह सत्ता पर काबिज़ होने की दौड़ में नहीं है। लेकिन पार्टी के नेताओं को विश्वास था उसके लगभग तीन दर्ज़न उम्मीदवार निश्चित रूप से जीतेगे। लेकिन पिछले चुनावों में एक सीट जीतनी वाली बीजेपी इस बार एक भी सीट नहीं जीत पाई। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)